sanjeev-nee
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नी|

संजीव-नी| आज मेरे दिल का क्या हाल है।     आज न जाने मेरे दिल क्या हाल है, सुर है न ताल है हाल मेरा बेहाल है।     आंखों से क्या जरा ओझल हुए तुम, जिन्दगी की हर चाल ही बेचाल है।     सोते जागते...
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कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नीl

संजीव-नीl जो शांति के दे पैगाम,जो शांति के दे पैगाम,वक्त में जो काम आएवह सच्चा मित्र होता है।साथ साथ जो कंधेसे कंधा मिलाकरपसीना बहाए,वह अच्छा मित्र होता है।मित्र और शत्रु की पहचानबुरे...
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