election 2025
संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

वायदों का बाजार है चुनाव

वायदों का बाजार है चुनाव                                      (नीरज शर्मा'भरथल')    लगता है की पूरा देश ही वायदों पर चल रहा है। हर चुनाव से पहले लोक लुभाने वायदे किए जाते हैं। एक पार्टी कुछ वायदा करती है दूसरी पार्टी उस से भी बड़ा वायदा कर देती, तीसरी पार्टी...
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