संजीव-नी।
हिंदी पर न्योछावर हर दिल और जान है।
हिंदी पर न्योछावर हर दिल और जान है।
हिंदी है हमारी प्यारी भाषा,
हिंदी है एक शक्तिशाली
और विशाल ज्ञान की भाषा,
आओ बनाएं इसे राष्ट्रभाषा।
हिंदी भाषा हमारा मान और अभिमान है,
हिंदी राष्ट्र का वैभवशाली गौरव गान है।
हिंदी देश की गंगा -जमुनाई स्वाभिमान है,
हिंदी पर न्योछावर हर दिल और जान है।
हिंदी भारत के माथे की चमकती बिंदिया है।
हिंद देश में बहती पवित्र गंगा नदिया है।
हिंदी पर आओ शीश झुकाए,करें नमन,
हिंदी ही है लताएं, फूल, बगिया और चमन।
हिंदी से ही बना प्यारा हिंदुस्तान हमारा,
हिंदी ने ही किया शीश जग में ऊंचा हमारा।
हिंदी भाषा भोली और इतनी विशाल है,
हिंदी भाषा अर्वाचीन और बेमिसाल है।
हिंदी हमारे असंख्य हृदयों पर करती राज,
हिंदी से ही अत्यंत सफल है, देश का काम-काज।
हिंदी के प्रयोग की ले विराट शपथ और प्रतिज्ञा l
हिंदी बन जाए विश्वव्यापी जैसी हो मां भारती की आज्ञा।
आओ मिलकर बनाएं इसे
विश्व ज्ञान की एक बड़ी जिज्ञासा,
और बनाए इसे देश की राष्ट्रभाषा।
जय हिंदी, जय भारत।
हिंदी भाषा अमर रहे।
संजीव ठाकुर,
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