एम्बुलेंस फर्जीवाड़े की जांच किस शासन को भेजा गया
सब गोलमाल है भाई गोलमाल आखिर जांच की रिपोर्ट किस शासन में धूल- फांक रही है
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अम्बेडकरनगर। एम्बुलेंस बिना मरीजों के चक्कर लग रही थी मीडिया में खबर प्रकाशित होने के बाद कई महीनो तक जनपद अंबेडकर नगर में जांच चली मीडिया कर्मियों ने जांच के बारे में जब जानकारी अधिकारियों से लिया तो जांच अधिकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी और अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि यह जांच शासन तक पहुंचा दिया गया । गौरतलाप है की जांच तीन बार हुई अधिकारियों की माने तो फर्जीवाड़ा हुआ था लेकिन जांच रिपोर्ट देने में कतरा रहे है थे जब इसकी शिकायत किया गया तो निस्तारण लिखा गया यह जांच गोपनीय है दिया नहीं जा सकता जांच आख्या की रिपोर्ट लगाने वाले मुख्य चिकित्सा अधिकारी हैं मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने ऐसा क्यों लिखा कि यह जांच गोपनीय है जबकि एंबुलेंस सेवा जनहित के लिए चलाई जा रही हैं आखिर उसे जांच रिपोर्ट में क्या था जो गोपनीय बताया गया जो कि मीडिया में प्रेस विज्ञप नहीं दिया गया जिस तरीके मीडिया को गुमराह किया गया यह सवालों के घेरे में हमेशा मुख्य चिकित्सा अधिकारी बने हुए हैं।
जन सूचना के माध्यम से जब महानिदेशक राष्ट्रीय कार्यक्रम अनुप्रवण एवं मूल्यांकन परिवार कल्याण महानिदेशक उत्तर प्रदेश लखनऊ से अवगत कराया गया
दिनांक 14/06/2022 से 102 एम्बुलेंस सेवा अवधि में ट्रिपो में हुई वृद्धि के दृष्टगत समस्त ट्रिपो का सत्यापन कराते हुए आख्या परिवार कल्याण महानिदेशक एवं मिशन मुख्यालय को उपलब्ध करवाने के निर्देशित दिए गए हैं और यह भी लिखा गया जांच रिपोर्ट एवं कार्यवाही की छायाप्रति की मांग की गई उक्त पत्र में उल्लेखित मिशन मुख्यालय के पत्र स०-1749-50 दिनांक 14/06/2022 के अवलोक में सम्बंधित किसी भी जनपद से परिवार कल्याण महानिदेशालय स्तर पर कोई सुचना उपलब्ध नहीं कराई गई
एम्बुलेंस फर्जीवाड़े की जांच किस शासन को भेजा गया
जन सूचना मे आई रिपोर्ट यह साबित करता है जांच शासन तक पहुंचाई ही नहीं गई तो कार्यवाही कैसे होगी सब गोलमाल है भाई सब गोलमाल आखिर जांच की रिपोर्ट किस शासन में धूल- फांक रही है साहेब कहीं ऐसा तो जीवीके जीवनदायिनी कम्पनी का भरा सूटकेस मिल तो नहीं गया आखिर एम्बुलेंस फर्जीवाड़े का जांच की फाइल इस दफ्तर में धूल खाक गई बहुत सवाल खड़े हो गए इसीलिए तो बताया गया कि जांच गोपनीय है वाह साहेब वाह अगर बेवकूफ बनाना सीखना है तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी सीखना फिलहाल देखना यह जिले के जिम्मेदार अधिकारी शासन से कब तक कार्रवाई करवा पाते हैं किसी चुनौती से कम नहीं।
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