राहुल देशपाण्डेय ने शास्त्रीय भजनों से मन मोहा। मायसोरे मंजूनाथ ने वायलिन से समा बांधा।

राहुल देशपाण्डेय ने शास्त्रीय भजनों से मन मोहा। मायसोरे मंजूनाथ ने वायलिन से समा बांधा।

स्वतंत्र प्रभात।
ब्यूरो प्रयागराज।
 
गंगा पंडाल, नृत्य एवं वादन की त्रिवेणी से आज  झंकृत हुआ। आज कार्यक्रम की शुरुआत कर्नाटक संगीत में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले विदवान एस महादेवप्पा के पुत्र एवं शिष्य तथा संगीत नाटक अकादमी पुरस्कृत माय सोरे मंजूनाथ ने अपने वायलिन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। अपने कार्यक्रम में उन्होंने राग काफ़ी, आदि ताल का कर्नाटक शैली में अदभुत प्रस्तुति दी l
 
 उन्होंने त्रिस्या एवं खण्ड गति की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति के रूप में पालघाट के गुरु के वी नारायणस्वामी के शिष्य तथा कर्नाटक शास्त्रीय संगीत में प्रमुख नाम श्री पट्टाभिराम पंडित ने अपनी गायकी से सभी का मन मोह लिया। सबसे पहले उन्होंने शंकराचार्य द्वारा रचित राग मारकोस में बेहतरीन रचना ओम नमः शिवाय की प्रस्तुति दी। अपनी अन्य प्रस्तुति में उन्होंने परात्परा परमेश्वर गायन को राग वाचस्पति में प्रस्तुत किया जिसे श्रोताओं ने तालियों से स्वीकार किया। अपनी आखिरी प्रस्तुति के रूप में काशी विश्वेश्वराय महाराजा स्वाति पर राग भैरवी में किया। 
 
उसके बाद दिल्ली से पधारी श्रीमती स्वप्न सुंदरी ने कुचिपुड़ी और भरतनाट्यम को एकीकृत करते हुए माँ भगवती, माँ गंगे तथा शिव के प्रसंगों को नृत्य एवं नाट्य के माध्यम से प्रदर्शित किया। 
उसमे बाद कार्यक्रम की शमा बांधा मुम्बई में अपनी आवाज से कई गीत प्रस्तुत कर चुके तथा भारतीय संगीत के अनमोल गायिका अनुराधा पौडवाल और साधना सरगम के साथ कई मंचो को साधा तथा उनके साथ इनके कई एल्बम भी आ चुके हैं। उन्होंने अपने भजनों से कार्यक्रम को मधुर कर दिया। 
 
कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति के रूप में पद्मविभूषण केलू चरण महापात्रा एवं शंकर बहरा की शिष्या झेलम परांजपे ने अपने ओडिसी नृत्य से दर्शकों पर विशेष प्रभाव डाला। उन्होंने शिव एवं शक्ति के प्रसंगों को दृष्टिगत कार्यक्रम प्रस्तुत किये। 
उसके बाद भारतीय शास्त्रीय संगीत में अपनी अमिट छाप छोड़ रहे तथा भारतीय संगीत में अपनी उपस्तिथि को और समृद्ध कर चुके राहुल देशपाण्डे ने अपने विभिन्न सांस्कृतिक भजनों से सभी दर्शकों का दिल जीत लिया।
 
 

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