तानाशाह सीएचसी अधीक्षक के सिंघासन बचाने को लेकर कूटरचित समझौता की हो रही साजिश

फर्जी दस्तावेज की स्टाम्प वेंडर से खरीददारी का मामला आया सामने 

तानाशाह सीएचसी अधीक्षक के सिंघासन बचाने को लेकर कूटरचित समझौता की हो रही साजिश

आशा विवाद को लेकर सुलह की कथित चर्चा पर आशा सावित्री ने लगाया विराम नही हुआ अधीक्षक  से कोई समझौता 

फर्जी तरीके से स्टाम्प खरीदने को लेकर आशा का आया बयान नही है मेरा अनुमति और न ही है मेरा हस्ताक्षर
 
बलरामपुर तानाशाही के दम पर सीएचसी तुलसीपुर में तैनात अधीक्षक के सिंहासन पर इस वक्त भूकंप के तेज झटके महसूस किया जा रहा है ।  जिससे बचने को लेकर तुलसीपुर अधीक्षक सुमन्त सिंह चौहान के द्वारा अपना सिंघासन बचाने को लेकर कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ा गया है चाहे वह सही हो या गलत ।जिसको लेकर साम दाम दंड भेद हर तरह के उपाय अपनाए जा रहे हैं। इसी काम में हम बात करते हैं पूर्व में हुए आशा सावित्री और अधीक्षक तुलसीपुर सुमन्त सिंह चौहान विवाद को लेकर जो मामला प्रकाश में आया है जिसमे जिला अस्पताल के उच्च अधिकारियों के द्वारा जांच बिठाई गई थी
 
जिसमे समित ने जांच रिपोर्ट सीएमओ बलरामपुर मुकेश रस्तोगी को सोपा दिया था लेकिन इस पर अभी निर्णय नही बताया गया है आखिर क्या हुआ है । जो अपने आप में एक बार सवाल उत्पन्न कर रहा है। तो वही इस विवाद को लेकर उच्च अधिकारियों को भ्रमित करने का खेल भी लगातार किया जाने की बात भी सामने आ रही है । जहां पर एक तरफ डॉक्टर सुमन्त सिंह चौहान और उनके सहयोगियों के द्वारा आशा विवाद को लेकर क्षेत्र में यह भ्रांतियां फैलाई जा रही है।जिसमे आशा विवाद में समझौता होने की बात की जा रही है जबकि इस संबंध में आशा सावित्री से बात करने पर उसने ऐसे किसी भी समझौते के न करने की बात बताया है और इस बात का खंडन किया है ।
 
वही आशा के परिजन के द्वारा यह भी जानकारी दी जा रही है कि आशा सावित्री के नाम से सुमन्त सिंह चौहान के द्वारा राजस्व अभिलेख फर्जी ढंग से स्टांप खरीदा गया है जिसमें न तो मेरी अनुमति ली गई है और ना ही मेरे हस्ताक्षर हैं।जबकि फर्जी हस्ताक्षर बनाकर स्टाफ वेंडर इम्तियाज से सावित्री देवी के नाम से स्टांप खरीदा गया है की जानकारी दी गई है । जिसका कभी भी गलत उपयोग हो सकता है। और रही बात समझौते की तो मेरे और मेरे परिवार के द्वारा कोई ऐसा समझौता नही किया गया है इससे सुमन्त सिंह चौहान और आशा सावित्री का विवाद समाप्त हो गया है ।
 
जबकि वड़ा सवाल यह है कि जब बिना किसी अनुमति के स्टाम्प वेंडर से फर्जी स्टांप खरीदा जा सकता है तो कुछ भी अपडेट बनाकर फर्जीवाडा कर उच्च अधिकारियों को संतुष्ट करने के लिए बिना विपक्ष के अनुमति और साइन के उच्च अधिकारियों को भृमित करने का खेल खेला जा रहा है। इसमें सुमन्त सिंह चौहान के आपराधिक सोच और शातिर दिमाग की अहम भूमिका होने के बाद बताई जा रही है।जिसमे सहयोगी के द्वारा स्टाम्प वेंडर को झूठा प्रमाण दे कर स्टाम्प खरीदा गया । इससे पहले यह भी क्षेत्र में चर्चा का विषय था कि आशा सावित्री और सुमन्त सिंह विवाद का पटाक्षेप हो गया है और 7 लाख के एवज में मामले को समझौता कर दिया गया है।
 
इस संबंध में जब आशा सावित्री से बात की जाती है तो उन्होंने इस मामले को लेकर साफ इंकार  कर दिया जिसमे उनका कहना है कि सम्मान और स्वाभिमान से कोई सौदा नही करना है । सुमन्त सिंह विवाद  को लेकर हुए विवाद में मैं ने कोई समझौता नहीं किया गया है और न हम कभी भी समझौते का प्रयास करेंगे और समझौता करेंगे। जिसको लेकर आशा सावित्री ने इसकी शिकायत जिला अधिकारी बलरामपुर से करने की बात कही है। अब देखना यह होगा कि अधीक्षक सुमन सिंह चौहान के द्वारा फर्जी तरीके से स्टाम्प खरीदारी की जांच होनी चाहिए ।और ऐसे फर्जी वाड़े पर जिला प्रशासन -क्या कार्यवाई करता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि आज उसके द्वारा बिना किसी अनुमति व जानकारी के  फर्जी स्टाफ खरीदा गया है कल ऐसा कुछ भी कदम उठाया जा सकता है जिसमे हमारा जान माल का नुकसान हो ।
 
अब सवाल जब ऐसे मामले प्रकाश में आ रहे तब विवादित आशा के जान और माल की जिम्मेदारी किस पर होगी यह भी एक बड़ा सवाल है। दूसरी तरफ जिले के उच्च अधिकारियों को भृमित  करने वाले ऐसे अधीक्षक तुलसीपुर पर स्वास्थ्य विभाग बलरामपुर क्या कार्रवाई करता है या विभागीय बचाव का रास्ता अपनाता है। अपने आप में एक बड़ा सवाल है । अब देखना यह होगा कि सीएससी तुलसीपुर अधीक्षक सुमन्त सिंह चौहान अपने रुतबे और दबंगई के साथ राजनीतिक संरक्षण के बल पर अगला कौन सा कदम उठाते हैं और फर्जी प्रचार प्रसार कर फर्जी दस्तावेजों के सहारे उच्च अधिकारियों को भ्रमित करने के खेल करते है और ऐसे अपराध पर स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन कौन सा कार्यवाही करता है इससे भविष्य में कभी ऐसी कोई घटना न होने पाए और ऐसे अपराध पर अंकुश लगे।

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