उत्तर प्रदेश विधान परिषद में आउटसोर्सिंग की नौकरियों पर गंभीर सवाल 

 उत्तर प्रदेश विधान परिषद में आउटसोर्सिंग की नौकरियों पर गंभीर सवाल 

चित्रकूट। उत्तर प्रदेश विधान परिषद में एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया गया, जिसमें चित्रकूट से विधान परिषद सदस्य  डॉ. बाबूलाल तिवारी ने आउटसोर्सिंग (सेवा प्रदाता संस्थाओं) द्वारा किए जा रहे नौकरियों के टेंडर प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए सदन का ध्यान इस ओर आकर्षित किया कि कैसे लखनऊ और दिल्ली जैसी बड़ी कंपनियाँ छोटे और श्रमिक वर्ग के लिए काम करने वाली नौकरियों के टेंडर हासिल कर स्थानीय बेरोजगारों का हक मार रही हैं उन्हें 6-6 महीने तक वेतन नसीब नहीं होता   बड़ी कंपनियों द्वारा छोटे-छोटे कामों के लिए जैसे सफाई कर्मी, चौकीदार, माली और अनुसेवक की नियुक्ति के लिए टेंडर हासिल करने से सुदूर क्षेत्रों के बेरोजगारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
 
उन्होंने बताया कि इन कंपनियों द्वारा काम पर रखने के नाम पर प्रभाव का प्रयोग किया जाता है, जिससे स्थानीय युवा बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे हैं और उनके लिए रोजगार के अवसर सिमट कर रह जाते हैं।यह भी बताया कि इन बड़ी कंपनियों द्वारा नियुक्त किए गए बिचौलियों का रवैया आमतौर पर अमानवीय और शोषणकारी होता है। यह बिचौलिए बेरोजगारों से गलत तरीके से पेश आते हैं और उन्हें उचित मेहनताना नहीं देते, जिससे उनकी स्थिति और भी कठिन हो जाती है। खासकर बुंदेलखंड क्षेत्र और शिक्षा विभाग में इस प्रकार की समस्याएं और भी गंभीर रूप ले चुकी हैं।
 
इस विषय को लोक महत्व का बताते हुए डा० बाबूलाल तिवारी ने सरकार से जल्द कदम उठाने की अपील की। उन्होंने कहा कि सरकार को आउटसोर्सिंग कंपनियों पर तत्काल रोक लगानी चाहिए और स्थानीय सेवा प्रदाता कंपनियों को प्राथमिकता देनी चाहिए, ताकि सुदूर क्षेत्रों के बेरोजगारों को रोजगार के अवसर मिल सकें और उनके शोषण की समस्या से निजात मिल सके।सदन में इस मुद्दे पर चर्चा और विचार विमर्श तेज हो गया। विपक्ष और सत्ताधारी दल के सदस्य इस पर अपने-अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं। अब यह देखना होगा कि सरकार इस गंभीर मुद्दे पर कब और क्या कदम उठाती है।यह मामला प्रदेश के बेरोजगारों के लिए एक अहम सवाल बनकर उभरा है, और यह देखने वाली बात होगी कि क्या इस पर सरकार कोई ठोस कदम उठाती है या फिर यह मामला यूं ही लंबित रह जाता है।
 
 

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