शिया समुदाय को गरीब बताकर चल रहा है ठगी का धंधा
तामीर हसन शीबू
जौनपुर। शिया समुदाय के कल्याण व मदद के लिए आये धन का दुरूपयोग व निजी मामले में खर्च करने की चर्चा तेजी से बढ़ रही है। चर्चा में कहा गया कि इस समुदाय के लोगों को शिक्षित बनाने व उनके मकान बनवाने के अलावा बीमारी में दवा इलाज समेत कई चीजों के लिए विभिन्न ट्रस्टों से जो मदद के लिए धन आता है उसे चुपचाप डकार लिया जाता है।
कुछ मदरसा संचालकों का हाल तो यह है कि जहां इन ट्रस्टों से लंबी रकम लेकर गरीबों को शिक्षा व मदद करने का दावा किया जा रहा है वह दावा मात्र उनके तक ही सीमित हो जाता है। नगर के हमामदरवाजा, पान दरीबा, बारादुअरिया, पुरानी बाजार में यह बड़ा खेल खेलने वाले लोग बड़ी सफाई से अपने अपने बैंकों के खाते में लंबी रकम रखे हुए है।
देखा जाये तो उनकी आमदनी का कोई जरिया नहीं है लेकिन फिर भी उनके पास बेशुमार पैसे जो शिया समुदाय के मदद के लिए आते है उसके मालिक बने हुए है। इसके अलावा कुछ मदरसा संचालक ऐसी सफेद चादर ओढ़कर इस नोच घसोट में शामिल है जिनको ईमानदारी व धर्मगुरू का तमगा हासिल है।
इस आड़ में चंदे की रकम डकार जाना उनकी आदत में शुमार है। कुछ मदरसे इन लोगों के सिर्फ कागजातों पर चल रहे हैं जिन्हे दिखाकर वह अलग अलग संगठनों से जहां प्रति माह लाखों रूपये वसूलते है वहीं मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों से फीस के नाम पर वसूली करना उनकी आदत बन गयी है।
संगठनों में इमामिया वेलफेयर ट्रस्ट बैंगलोर, ईरान कल्चर हाउस, नजफी हाउस मुंबई, तंजीमुल उर्दू एकेडमी लखनऊ व फिदा हुसैन ट्रस्ट के अलावा अन्य कई ट्रस्टों से शिक्षा, दवा व बेघरों को घर बनवाकर देने के लिए सहायता राशि भेजी जाती है ऐसा सूत्र बताते हैं।
आखिर इन संचालकों को ट्रस्टों से पैसा लेकर मदद कहा की जाती है यह बात पूरी तरह छुपे तौर पर चल रही है।
कुछ मदरसे ऐसे भी है जिनके प्रबंधक प्रिंसिपल व अन्य पदाधिकारी एक ही व्यक्ति बनकर चला रहे है जिसकी रकम का अलग-अलग पदों का वेतन वह स्वमं ही लेकर मालामाल हो रहे हैं। अब सवाल इस बात का उठता है कि आखिर वो कौन-कौन से लोग है जो शिया समुदाय को गरीब बताकर ठगी का धंधा फैलाए हुए है।
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