राहुल विदेश में जाकर भारत के खिलाफ विषवमन क्यों करते हैं? 

राहुल विदेश में जाकर भारत के खिलाफ विषवमन क्यों करते हैं? 

कांग्रेस नेता एवं लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर से विदेशी धरती पर भारत के खिलाफ जमकर उगला है । वह हाल ही में अमेरिका के दौरे पर थे और  वहां वे भारत के विरोध में बोलते हुए चीन के गुणगान कर रहे थे , जबकि यह सभी जानते हैं कि चीन भारत का कभी भी मित्र नहीं रहा है। अमेरिका में बैठकर राहुल भारत से बेहतर चीन को बता रहे हैं और भाजपा संघ को निशाना बना रहे हैं। यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी ने विदेशी धरती से भारत के खिलाफ बोला हो, इससे पहले भी कई बार  अपने विदेशी दौरे के दौरान भारत के खिलाफ बयान बाजी कर चुके हैं। उनके इस रवैए को क्या कहा जाए, क्या यह देशद्रोह नहीं है? क्या उन्हें अपने देश से प्रेम नहीं है। भारत में रहकर सरकार की खिंचाई करना तो समझ में आता है लेकिन विदेशी धरती पर भारत के खिलाफ बोलना कहां तक न्यायसंगत है। भारत में रहकर सरकार की बुराई करते करते वे यह भूल जाते हैं, उन्हें विदेशी धरती पर भारत को लेकर क्या बोलना है। राहुल गांधी अब एक जिम्मेदार नेता है।
 
वे सांसद तो हैं ही, साथ ही संसद में विपक्ष के नेता भी हैं। विपक्ष के नेता को यह समझना चाहिए कि उन्हें कब, कहां क्या बोलना है। उनकी इसी हरकत के कारण भारत की जनता उन्हें कई नामों से पुकारती है। जब उन्हें पप्पू कहा जाता है तो उनकी बहन प्रियंका वाड्रा कहती हैं कि वे पप्पू नहीं है। उन्हें पप्पू कहकर उनकी छवि को धूमिल करना बताया जाता है। 
 राहुल गांधी बार-बार विदेश में जाकर बिना सिर-पैर की बातें करते हैं। ऐसे-ऐसे बयान देते हैं जो देश के खिलाफ तो होता ही है लेकिन साथ ही सचाई से भी दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं रहता। राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष हैं, संसदीय लोकतंत्र में विपथ का प्रथम चेहरा हैं। नेता प्रतिपक्ष के पद पर आसीन होने के बावजूद राहुल गांधी के व्यवहार में संसद के भीतर भी परिपक्वता और जिम्मेदारी भरे व्यवहार की समस्या बनी रहती है लेकिन यह नितान्त असहनीय और गैरजिम्मेदाराना हरकत है कि राहुल गांधी विदेशी दौरे के. दौरान तमाम प्रोटोकाल को दर किनारे कर देश की प्रतिष्ठा को धूमिल करें।
 
यह राहुल गांधी की राजनीति है अथवा वह वाकई भारत को कमतर साबित करने पर आमादा रहते हैं, लेकिन यह तय है कि वह अक्सर गलत, भ्रामक और अनावश्यक तथ्य पेश करते हैं। ताजा संदर्भ सिखों का है। अमरीकी प्रवास के दौरान उन्होंने मंच से एक सिख नौजवान का नाम पूछा और फिर आशंका जताई कि सिख भारत में पगड़ी और कड़ा पहन पाएंगे या नहीं। वे गुरुद्वारे में प्रवेश पा सकेंगे या नहीं? राहुल की यह सवालिया आशंका निर्मूल है, क्योंकि भारत में ऐसी स्थिति नहीं है। कहीं भी पगड़ी या फिर सिखों के किसी भी धार्मिक प्रतीकों पर पाबंदी नहीं है। राहुल ने दावा किया कि वह यह लड़ाई लड़ रहे हैं। सवाल है कि किसके खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं, जबकि ऐसे हालात ही नहीं हैं। सिखों को भारत में ठीक उतनी ही आजादी और अधिकार हासिल है, जितना किसी दूसरे धर्म के नागरिक को हासिाल है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है और इसलिए वहां व्यक्ति को आजादी और अधिकार धर्म देखकर न मिलते हैं और न ही धर्म के आधार पर छिनते हैं। ऐसे राहुल गांधी ऐसे बनान क्यों दे रहे हैं नह समझ से परे है?
 
यही नहीं अमेरिका में उनके साथ गये उनके सलाहकार सैम पित्रोदा भी उनका यह कहकर बचाव कर रहे हैं कि सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी पप्पू नहीं हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी का एजेंडा कुछ बड़े मुद्दे को संबोधित करना है। जो करोड़ों रुपये खर्च करके बनाए गए भाजपा के विजन से बिल्कुल अलग है। वह उच्च शिक्षित हैं। वह किसी भी विषय पर गहरी सोच रखने वाले रणनीतिकार हैं। सैम पित्रोदा भले ही उनका बचाव करें लेकिन जिस तरह से वे विदेश में जाकर भारत के खिलाफ बोलने लगते हैं, उसे एक परिपक्व नेता का बयान नहीं कहा जा सकता है। इससे एक बार फिर यह सिद्ध होता है कि राहुल गांधी, आज भी देश को बांटने वाले तत्वों के साथ मिले हुए हैं और टुकड़े-टुकड़े गिरोह का नेतृत्व कर रहे हैं। राहुल गांधी चीन के चंदे पर पलने वाले भारत विरोधी एक मोहरे से अधिक और कुछ भी नहीं हैं। इससे यह भी साबित होता है कि वे टुकड़े टुकड़े कहने वाले गैंग के सरगना हैं।
 
राहुल गांधी का यह कहना कि भारत में सबकुछ मेड इन चाइना है। यह भारत के उन लोगों का अपमान है जो आज देश को आत्मनिर्भर बनाने में लगे जी जान से जुटे हुए हैं। आज भारत न केवल अन्न उत्पादन में आत्मनिर्भर हो चुका है बल्कि सैन्य क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर चुका है। भारत के कुशल श्रमिक और कर्मचारी स्वदेशी तरीके से बहुत सी चीजें बना रहे हैं, लेकिन राहुल गांधी उनका अपमान कर रहे हैं। इससे साबित होता है कि राहुल की जड़ें भारत की मिट्टी से जुड़ी नहीं हैं। उनका भारतीय लोगों, उनकी संस्कृति और परंपराओं से कोई लेना-देना नहीं है। राहुल गांधी को तो इस बात का गर्व होना चाहिए कि भारत आज कई मामलों में आत्मनिर्भर हो चुका है। इसकी उन्हें विदेश में जाकर न केवल प्रचार करना चाहिए बल्कि सीना फुलाकर कहना चाहिए कि आज भारत सभी तरह से संपन्न होता जा रहा है।
 
दुनिया की निगाहें भारत की ओर हैं। यूक्रेन और रुस जैसे देश यह मानने लगे हैं कि उनका युद्ध भारत ही खत्म करा सकता है। मोदी के नेतृत्व में आज भारत आत्मनिर्भर' बनने की ओर है और जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।इतना ही नहीं अमेरिका दौरे के दौरान एक वरिष्ठ पत्रकार द्वारा बंग्लादेश के हिन्दू उत्पीड़न के मामले में एक सवाल पूछने पर राहुल की टीम के लोगों ने जिस तरह एक पत्रकार को आधा घंटा तक एक कमरे में बंद कर प्रताड़ित किया वह भी बहुत शर्मनाक और दंडनीय हरकत है। ऐसे समय में जब कुछ विदेशी ताकतों के विस्तारवाद के कारण भारत की प्रगति उन्हे रास नहीं आ रही है तब राहुल गांधी की इस तरह की हरकत निश्चित रूप से शर्मनाक है। ऐसे नेता को जनता इसी कारण से नकार देती है।
 
मनोज कुमार अग्रवाल 
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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