मुख्यमंत्री शिकायत पोर्टल हुए शिकायत पर गलत रिपोर्ट लगा कर दिया मामले का निस्तारण
डीएम बलरामपुर से की गई थी आशा सावित्री के द्वारा शिकायत में गलत आख्या लगा उच्च अधिकारियों को किया गया भृमित
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क्या मिलीभगत के इस खेल में सम्बन्धित विभागीय अधिकारियों द्वारा मिलेगा पीड़ित को न्याय य होता रहेगा मनमानी
पीड़ित आशा के शिकायत को बताया जा रहा सरकारी कार्य मे बाधा व जघन्य अपराध दी जा रही धमकी
बलरामपुर- सरकार विभागों व विभागीय अधिकारियों के भ्र्ष्टाचार को लेकर चाहे कितना भी आदेश व निर्देश दे और उनके ही दम पर भ्र्ष्टाचार मुक्त भारत के सुहाने सपने देखे और जितना भी दावे करे कि प्रदेश में अपराध व अपराधियों पर नकेल कसते हुए प्रदेश को भ्र्ष्टाचार से मुक्त किया जा चुका है ।लेकिन आईने की फितरत है साहब हम सच ही दिखाएंगे ।जिसका ताजा मिसाल जनपद बलरामपुर का स्वास्थ्य विभाग है जो इनदिनों काफी चर्चा में है ।
जंहा मामला एक अधीक्षक डॉ सुमन्त सिंह चौहान बनाम आशा सावित्री विवाद से जुड़ा हुआ मामला जो काफी दिनों से चर्चा में रहा है जिसमे आशा सावित्री ने सुमन्त सिंह पर तमाम ऐसे आरोप लगाए जिनमे चरित्र हीनता, आशाओ से छेड़खानी, निजी दवा की बिक्री, व अन्य आरोप लगाए जिनको लेकर विभागीय जांच टीम बना जांच व कार्यवाही का आश्वासन तो दिया गया लेकिन विभागीय अधिकारियों द्वारा मामले को रफादफा करने की साजिश के तहत धमकी,पैसे की लालच, राजनीतिक दबाव सारे।
हथकंडे अपनाए गए जिससे मामला रफादफा हो जाये और अधीक्षक सुमन्त सिंहः पर जो आरोप लगाया गया उसका सुलह नामा लिखवा सारे आरोप से अधीक्षक बरी हो जाये लेकिन जब पीड़ित आशा सावित्री ने किसी भी दबाव में समझौता नहीं करने पर आमादा हुई तो फर्जी तरीके से सीएचसी तुलसीपुर अधीक्षक सुमन्त सिंह के द्वारा अपने सहयोगियों के माध्यम से अवैध ढंग से बिना आशा सावित्री के अनुमति व हस्ताक्षर के फर्जी तरीके से स्टाम्प खरीदा गया और उसमें कूटरचित दस्तावेज बना माफी नामा लिखवा फर्जी तरीके से विभाग के उच्च अधिकारियों को भृमित करने का खेल खेला गया कि आशा ने अपने कृत्य को लेकर माफी मांग ली है
जब यह जानकारी आशा परिवार को हुई तो उनके द्वारा डीएम बलरामपुर को इस मामले से अवगत कराते हुए शिकायत पत्र दिया गया जिसमें डॉ सुमन्त सिंह द्वारा फर्जी दस्तावेज तैयार करने की बात कही गई है ।जिसको लेकर आईजीआरएस में शिकायत दर्ज हुई और विभाग से इसका स्पष्टीकरण मांगा गया जिसमें तुलसीपुर सीएचसी अधीक्षक के द्वारा मनामनी आख्या प्रस्तुत करते हुए मामले का निस्तारण करवा दिया जाता है वही दूसरी तरफ उल्टे शिकायत कर्ता आशा पर कई आरोप लगाते हुए।
पूर्व अधीक्षक के द्वारा धमकी दी जाने की बात सामने आ रहा है कि मिली शिकायत पर जांच कमेटी जांच कर रही अभी सीएमओ को जांच रिपोर्ट नही सौपी गई और तुमने हम पर साजिश कर फर्जी आरोप लगाया है जिसमे शाजिश कर्ताओ संग तुम्हारी भी संलिप्ता है के साथ स्टाम्प पर तुम्हारा हस्ताक्षर नही व तुम्हारे द्वारा एक अन्य शिकायत में आमरण अनशन की धमाकी दी गई और सरकारी कार्य मे तुमने बाधा डाला है जो जघन्य अपराध है जैसे शब्दों के साथ धमकी दी गई है यह कितना सही है ।
वही एक बात समझ से परे है कि जिसपर सारे आरोप लग रहे और उसके कई आरोप की पुष्ठि के बाद उसी अधिकारी से अस्पष्टीकर्ण विभाग द्वारा मांगा गया और उनके द्वारा आख्या लगा शिकायत के निस्तारण करने की बात भी की जारही कितना सही है ।जिससे ऐसा लगता है कि हाथी के दांत खाने व दिखाने के औऱ है । जबकि स्वास्थ विभाग बलरामपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ मुकेश रस्तोगी की मंशा जो अब तक साफ नही दिख रही थी उसकी धुंधली तस्वीर दिखने लगी कि खेल क्या चल रहा ।
जबकि ऐसे कई मामलों में जिसमे आशा विवाद ,निजी दवा बिक्री, अस्पताल में तमाम हेराफेरी व अवैध रूप से चोरी छिपे तमाम आये सामान को बेचने व लाकर की चाबी व विभागीय वेबसाइट का आईडी पासवर्ड जिम्मेदार को न सौप अपने पास रखने के साथ अवैध वसूली प्रकरण जिसमे ऑनलाइन रिश्वत का साक्ष्य मिलने पर सख्त विभागीय कार्यवाही न कर सिर्फ पूर्व अधीक्षक सुमन्त के बचाव में जिला प्रशासन खड़ा साफ नजर आ रहा इसकी पुष्ठि इस तहरीर से होती नजर आरही है।
जिससे ऐसे प्रतीत होता है कि योगी आदित्यनाथ के हर पीड़ित को न्याय के दावे मात्र दावे तक ही सीमित है और धरातल पर अधिकारियों की मनमानी पूरी तरह हावी है जिससे किसी पीड़ित को न्याय की आशा एक सुनहरे स्वप्न जैसा है जंहा आपके दूसरे घर कहे जाने वाले तुलसीपुर में एक भृष्ट अधिकारी के बचाव में आपके स्वास्थ विभाग के अधिकारी नतमस्तक नजर आरहे और इंसानियत ईमानदारी व कर्तब्य अब सिक्को के खनक के आगे बेकार साबित हो रही है ।
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