मैत्री की अटूट धुरी 'भुट्टे '

 मैत्री की अटूट धुरी 'भुट्टे '

आपने अपने आसपास तमाम तरह की पार्टियां सुनी और देखी होंगी लेकिन ग्वालियर में  एक मित्र-मण्डली ऐसी  पार्टी आयोजित करती है जो 'भुट्टों ' की पार्टी होती है।  जी हाँ मक्के के भुट्टों की पार्टी। इस पार्टी के जरिये शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में सक्रिय मित्र आपस में मिलते जुलते हैं और अपने रिश्तों को नयी प्राण-वायु देते हैं। ग्वालियर की इस अनूठी भुट्टा पार्टी की नींव   एक दशक पहले राहुल गुप्ता स्पर्शी ने रखी थी ।  शहर की एक फुटपाथ पर दरी बिछाकर उन्होंने अपने मित्रों को बरसात के मौसम में भुट्टे खाने के लिए आमंत्रित किया था। इस पार्टी में गरमा-गर्म और सौंधे भुट्टे तो थे ही लेकिन इसके साथ ही ऐसे तमाम लोग भी थे जो आमतौर पर पार्टियों से बचते हैं। इस भुट्टा पार्टी में स्ट्रीट सिंगर,बाथरूम सिंगर और स्टेज सिंगरों के अलावा नेता,अभिनेता,नाटककर्मी,संगीतकार ,चिकित्स्क ,शासकीय कर्मचारी शामिल हुए।

बढ़ते शहरीकरण के दौर में जब एक ही शहर में रहकर लोग अजनबी हो रहे हैं तब भुट्टा पार्टी का ये प्रयोग ऐसा कामयाब हुआ की एक दशक कब बीत गया किसी को पता ही नहीं चला ।  इस पार्टी के लिए न कोई चन्दा किया जाता है और न कोई सदस्य्ता शुल्क लिया जाता है। स्पर्शी ऐंड कम्पनी आपस में अपने संसाधनों से इस पार्टी का आयोजन करती है।इस बार बरसात कुछ ज्यादा हुई इसलिए भुट्टा पार्टी एक होटल में हुई और मजे की बात ये कि इस भुट्टा पार्टी में सहकार किया नवगठित किट्टा पार्टी ने। आपो सुनने में पार्टियों के नाम भले ही अजूबे लग रहे होंगे लेकिन ये दोनों ही  पार्टियां आजकल होने वाली सभी पार्टियों से हर तरह अलग हैं।

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ग्वालियर में स्पर्शी मित्र मंडल पूरे साल इस भुट्टा पार्टी का इन्तजार करता है।  हर साल पार्टी में नए लोग जुड़ते हैं। बिछुड़ता कोई नहीं है। पार्टी में खानपान का हर सामन होता है लेकिन भुट्टा इस पार्टी की अनिवार्य   डिश है। आग पर सिके भुट्टे नमक  और नीबू के साथ खाने का जो मजा इस पार्टी में आता है वो और कहीं नामुमकिन है। इस वर्ष की पार्टी में शायर घनश्याम भारती,मदन मोहन दानिश ,गीतकार राजेश शर्मा, शायर विजय कलीम,रविंद्र रवि और राकेश अचल के अलावा भाजपा के वरिष्ठ नेता राजचढ़ढा का सम्मान भी किया गया। किट्टा पार्टी ने भुट्टा पार्टी के सदस्यों का अभिनंदन किया और भुट्टा पार्टी के सदस्यों ने किट्टा पार्ट के सदस्यों का।IMG_20240917_095642

नाच ,गाना, कविता,शायरी में रंगी इस भुट्टा पार्टी के चर्चे अब ग्वालियर से बाहर भी होने लगे हैं। इस पार्टी में करोबारी,चिकित्सक ,संगीतकार ,गायक ,नाट्यकर्मी सभी शामिल होते हैं।अगर आप अपनी मित्रता को ऊर्जावान बनाये रखना चाहते हैं तो अपने आसपास इसी तरह की भुट्टा पार्टियां आयोजित करके देखिये। ये भुट्टे रिश्तों को मजबूती के साथ ही रेशमी अहसासों में बांधने में कारगर  साबित हुए हैं। इस बार तो भुट्टा पार्टी की दसवीं साल गिरह पर जो केक मंगाया गया वो भी भुट्टे से सज्जित था। इसीलिए मै हमेशा कहता हों कि - भुट्टा है महान, भुट्टा रिश्तों की शान। समाज में यदि भुट्टापन ज़िंदा रहेगा तो समाज  हँसता-खेलता रहेगा और अवसाद उसके पास कभी भी फटकेगा नहीं।

 

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