सीएमओ कार्यालय बना लूट का अड्डा

अस्पताल संचालकों को नोटिस के बाद होती है वसूली

सीएमओ कार्यालय बना लूट का अड्डा

अस्पताल संचालकों से  रुपया लेकर नोटिस  किया जा रहा खारिज

अम्बेडकरनगर। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राजकुमार, ऐ सीएमओ करतूत का हुआ खुलासा 
जितने अवैध अस्पतालों पर छापा मार कर नोटिस दी गई अस्पताल वालों को नोटिस में भी हो रहा है। खेल जितने अवैध अस्पतालों को नोटिस मिला है सभी से पांच हजार रुपए लेकर ऐ सी एमओ नोटिस को कर रहे है निरस्त। अवैध धन और वसूली करने का नया अंदाज सीखना है तो ऐ सीएमओ से सीखो। मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं ऐ सीएमओ का वेतन लगभग 70 से 80 हजार होगा।
 
सरकारी वेतन से जी नहीं भरता क्षुब्ध ऊपरी कमाई कमाने के लिए बनाया गया अनोखा तरीका अस्पतालों पर छापामारी का। छापेमारी में जिस अस्पताल संचालकों को नोटिस दी गई अस्पताल संचालकों से पांच   दस हजार रुपए देकर अपने नोटिस निरस्त करवा सकता है  और पुरानी जगह से अस्पताल हटाकर दूसरी जगह अपनी क्लीनिक चला सकता है यह मुख्य चिकित्सा अधिकारी का चमत्कार। मुख्य चिकित्सा कार्यालय के अगल-बगल दलाल घूमते रहते हैं।
 
 इस अवैध धन वसूली प्रकरण में सत्ताधारी से लेकर कथित पत्रकार भी शामिल
इस पूरे अवैध धन वसूली के प्रकरण का वीडियो खुफिया कैमरे में कैद हो गया अस्पताल संचालक स्वयं बता रहा है‌‌। की जो नोटिस दी गई थी मुख्य चिकित्सा अधिकारी और  एसीएमओ के द्वारा अस्पताल संचालकों दिया गया इस अस्पताल संचालकों से  रुपया  लेकर नोटिस को खारिज कर दिया जा रहा है। विश्वस सूत्रों से यह भी जानकारी प्राप्त हुई की कुछ अस्पताल रजिस्ट्रेशन होने के बाद भी छापेमारी में उसको सील कर दिया गया था। आखिर क्या कारण था जब रजिस्ट्रेशन था तो सील करने की क्या आवश्यकता पड़ गई जानकारी के मुताबिक यह सब खेल अवैध धन वसूलने के लिए किया जा रहा है।
 
सूत्रों से यह भी जानकारी मिली कि जो उसका रजिस्ट्रेशन अस्पताल का है उससे भी मांगा जा रहा है दो से ढाई लाख रुपए और उसकी फाइल जिले के दफ्तरों तक घूम रही है बताया जाता है कि फाइल पास करने में सभी  की हिस्सेदारी है। आखिर मुख्यमंत्री योगी स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार पर अंकुश कैसे लगा पाएंगे यह सवाल बना हुआ है फिलहाल जब से सीएमओ डॉक्टर राजकुमार जिले की कमान को संभाले हुए हैं तब से आए दिन सुर्खियों में धन वसूली का चल रहा है। आखिर जब रजिस्ट्रेशन नहीं है अवैध पाया जाता है फिर पकड़ कर जेल क्यों नहीं भेजा जाता। बहुत से ऐसे सवाल मन को टटोल रहे है। फिलहाल देखना यह होगा कब मुख्य चिकित्साधिकारी रजिस्ट्रेशन संचालक अस्पतालों के कागज मुआयना करते हैं।या भ्रष्टाचार का सिलसिला जारी रहेगा।
 

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