मोदी जी की मैहर मैसी की फिल्म पर

मोदी जी की मैहर मैसी की फिल्म पर

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी की पूरी कैबिनेट को ' द  साबरमती रिपोर्ट ' फिल्म देखते हुए अखबारों में छपी तस्वीर ने दिल खुश कर दिया।  हमें गर्व है कि हमारे प्रधानमंत्री अकेले नहीं बल्कि पूरी कैबिनेट के साथ बैठकर कोई फिल्म भी देखते हैं। मोदी जी की दिनचर्या बेहद व्यस्त रहती है ।  वे 24  में से 18  घंटे काम करते हैं,ऐसे में यदि वे कोई फिल्म देखने के लिए वक्त निकालते हैं तो ये हैरानी का नहीं बल्कि गौरव का विषय है। विपक्षी खामखां मोदी जी के फिल्म देखने को लेकर हलाकान हो रहे हैं।

मै इस बात के लिए अपने देश के देशी प्रधानमंत्री जी का हमेशा कायल रहा हूँ कि  वे जो भी करते हैं खुल्ल्म  -खुल्ला करते हैं। छिपाते नहीं हैं। उनके मन में मेल बिलकुल नहीं है ।  वे निर्मल चित्त नेता हैं,नायक हैं।  उन्होंने यदि विक्रांत मैसी की फिल्म ' द  साबरमती रिपोर्ट देखी तो उसे छिपाया नहीं, बल्कि इसकी इत्तला बाकायदा अपने एक्स खाते पर भी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सहयोगी एनडीए सांसदों के साथ 'द साबरमती रिपोर्ट' फिल्म देखी. उन्होंने  फिल्म बनाने वालों की सराहना की।  मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फिल्म की तारीफ में लिखा, "मैं 'द साबरमती रिपोर्ट' फिल्म के निर्माताओं की सराहना करता हूं और इस प्रयास के लिए उन्हें बधाई देता हूं।"

प्रधानमंत्री जी के फिल्म देखने के शौक को लेकर कांग्रेसियों के पेट में दर्द हो रहा है ।  दर्द होना स्वाभाविक है ,क्योंकि कांग्रेस के नेता कभी फिल्म देखने जाते ही नहीं। कांग्रेस के नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को तो भारत जोड़ो यात्रायें करने से ही फुरसत नहीं मिलती,और अगर मिल भी जाये तो वे धूं-धूंकर जल रहे मणिपुर के राहत शिविरों की तरफ दौड़  लगाते हैं। मणिपुर को लेकर संसद में हंगामा करते हैं और करते हैं। वे क्या जानें की फ़िल्में  देखना सेहत के लिए कितना लाभप्रद होता है ? राहुल बाबा को मोदी जी से इस मामले में प्रेरणा  लेना चाहिए। जस उम्र में लोग माला जपने  लगते हैं ,उस उम्र में मोदी जी फ़िल्में देख रहे हैं।

कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी को पता नहीं क्यों मोदी जी को फिल्म देखकर ऐसा लगता है कि  -' रोम जल रहा है और नीरो बंशी बजा रहा है। वे सरकार पर हमला करते हुए कहते हैं  कि  प्रधानमंत्री श्री  मोदी जी  मणिपुर और जीडीपी पर ध्यान नहीं दे रहे, फिल्म देख रहे है। पंडित प्रमोद तिवारी जी को शायद ये मालूम नहीं है कि  न तो मणिपुर रोम है और न मोदी जी नीरो। तिवारी जी को शायद ये भी नहीं पता कि  मोदी जी बंशी नहीं बल्कि डंका वादक है। वे डंका बजाते हैं। वैसे  भी  फिल्म देखना हर नागरिक का जन्मसिद्ध अधिकार है।प्रधानमंत्री को भी ये अधिकार हासिल है। मणिपुर जाना न जन्मसिद्ध अधिकार है और न ड्यूटी।  अब किसी को मणिपुर नहीं जाना तो नहीं जाना। किसी को फिल्म देखना है तो देखना है। पसंद अपनी -अपनी ,ख्याल अपना-अपना।

' द  साबरमती रिपोर्ट ' देखकर देश के गृहमंत्री श्री अमित शाह साहब भी गदगद नजर आये ।  वे इतने गदगद मणिपुर हिंसा की किसी रिपोर्ट को देखकर गदगद नजर नहीं आये। गृह मंत्री अमित शाह ने भी फिल्म 'द साबरमती रिपोर्ट' की सराहना की और इसे गोधरा के सच को उजागर करने वाला बताया है।  उन्होंने एक्स पर लिखा, "इस फिल्म ने देशवासियों को गोधरा कांड के असल सच से परिचित कराया और बताया कि कैसे एक पूरा इकोसिस्टम इसे छिपाने में लगा था ?  आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और एनडीए सांसदों के साथ इस फिल्म का आयोजन किया गया है, और मैं पूरी फिल्म टीम को इस प्रशंसनीय प्रयास के लिए बधाई देता हूं.।
सब जानते हैं कि देश की संसद में विपक्ष लगातार हंगामा कर रहा है ,ऐसे में रिलेक्स होने के लिए फिल्म देखना जरूरी है।

विपक्ष को भी कोई न कोई फिल्म जरूर देखना चाहिए। विपक्ष यदि मणिपुर में जारी हिंसा का सच और उसके पीछे जारी ईकोसिस्टम को उजागर करना चाहता है तो उसे भी कोई एकता कपूर खोजना चाहिए,किसी विक्रम मैसी की तलाश करना चाहिए ताकि वो भी कोई ' द मणिपुर रिपोर्ट ' नाम से फिल्म बना सके। ऐसी फिल्म को कांग्रेस शासित राज्यों में करमुक्त भी किया जाना चाहिए ,लेकिन दुर्भाग्य कि  कांग्रेस को कुछ करना आता ही नहीं है सिवाय गाल बजाने के। अब गाल बजाकर  तो आप माननीय मोदी जी का ,डॉ  भागवत जी का ,माननीय नड्ढा जी का ,माननीय अमित शाह जी का मुकाबला कर नहीं सकते। ये सभी दिग्गज  गाल बजाने में भी कांग्रेस की टीम  से मीलों  आगे  हैं। दअरसल कांग्रेस को कुछ करना  आता ही नहीं है।

कांग्रेस न गड़े मुर्दे उखड़वा  पाती  है और न किसी पूजाघर  का सर्वे करने के लिए अदलात की शरण ले पाती है। आजकल  तो कांग्रेस दंगे  करना  भी भूल  गयी  है , ये पुण्य  कार्य  भी भाजपा  को ही कराना  पड़  रहा है। कांग्रेस केवल ख्वाब देखती है ,देश को धर्मनिरपेक्ष बनाने का । कांग्रेस को न तो डॉ भागवत की तरह देश में घटती प्रजनन डॉ की चिंता है और न समाज के वजूद को समाप्त होने की चिंता। यदि होती  तो कोई कांग्रेसी डॉ भागवत की तरह देश की जनता  से तीन  बच्चे  पैदा  करने की मार्मिक  अपील  न करती ?

योगी आदित्यनाथ की तरह बटोगे तो कटोगे का नारा न देती  ? केवल संविधान की लाल कितबिया लेकर घूमने से थोड़े ही संविधान और लोकतंत्र बचता है। संविधान बचाने के लिए,लोकतंत्र बचाने के लिए फिल्म देखना पड़ती है। पता नहीं इन  कांग्रेसियों को अक्ल कब आएगी ? वे कब फिल्म देखेंगे ? मुझे  पक्का  यकीन है कि जब  तक  कांग्रेसी अपने नेता राहुलगांधी  के साथ बैठकर  किसी लाइब्रेरी  हाल  में कोई फिल्म नहीं देखेंगे ,तब  तक  उन्हें  कामयाबी नहीं मिलने वाली ।  कांग्रेसियों को यदि ' द साबरमती रिपोर्ट ' अच्छीनहीं लगती तो कांग्रेसी इसी विषय पर बनी बीबीसी की फिल्म  मंगाकर देख सकते हैं,हालाँकि देश में इस फिल्म का प्रदर्शन  सरकार  ने होने नहीं दिया था। इस फिल्म में भी गोधरा  कांड  का सच दिखाया  गया था।

मेरा तो सुझाव  है कि संसद में जब -जब हंगामा होता है और सदन  की कार्रवाई  स्थगित  की जाती  है तब-तब खाली  समय  में सांसदों  को कोई न कोई फिल्म दिखाई  जाना चाहिए। फिल्म देखना स्वास्थ्य  कि लिए बहुत  फायदेमंद  क्रिया  है। कसरत करने से भी ज्यादा । योग-ध्यान से भी ज्यादा फायदेमंद  है। मै तो एक  जमाने  में दिन  में फिल्मों  के तीन शो  देखता  था। इसी का नतीजा  है कि  मै आज भी स्वस्थ्य  और प्रसन्न  हूँ। अब देश को ऐसी किसी तस्वीर  की अपेक्षा  नहीं करना चाहिए की जिसमें   मोदी जी अपनी  पूरी कैबिनेट कि साथ  इम्फाल  के राजभवन  में मणिपुर को बचाने कि लिए बैठक  करते नजर आएंगे। उन्हें पहले  फिल्म देखने से तो फुरसत मिले?

राकेश अचल

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