swatantra prabhat kavita sangrah
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Read More... संजीव-नीl
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By Swatantra Prabhat UP
उनके अंदाज ही अलहदा निराले हैंlउनके अंदाज ही अलहदा निराले हैंइश्क के जख्म हमने दिल में पालें हैं।मौज करते हैं भीख मांग-मांग करजो मजबूत साबुत हाथ पैर वाले हैं।जिंदगानी की उमंग में उड़ते पंछीकुछ...
Read More... संजीव-नी।
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By Swatantra Prabhat UP
।प्राकृतिक विभीषिका । हवा में जहर मन में विषैला पन आखिर क्या है इसकी परिणति और भविष्य, प्राकृतिक विभीषिका, लाखों बच्चों बुजुर्गों की कर दी खत्म इह लीला, प्रकृति की अनुपम देन जल,वायु और हरियाली हमने मलिन इरादों से कर...
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