swatantra prabhat kavita sangrah
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नीl

संजीव-नीl उनके अंदाज ही अलहदा निराले हैंlउनके अंदाज ही अलहदा निराले हैंइश्क के जख्म हमने दिल में पालें हैं।मौज करते हैं भीख मांग-मांग करजो मजबूत साबुत हाथ पैर वाले हैं।जिंदगानी की उमंग में उड़ते पंछीकुछ...
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कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नी।

संजीव-नी।    ।प्राकृतिक विभीषिका ।    हवा में जहर  मन में विषैला पन  आखिर क्या है इसकी परिणति  और भविष्य, प्राकृतिक विभीषिका, लाखों बच्चों बुजुर्गों की कर दी खत्म इह लीला, प्रकृति की अनुपम देन जल,वायु और हरियाली हमने मलिन इरादों से  कर...
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