समिति से खाद चोरी पकड़े जाने के बाद फिर चकमा देने की तैयारी
सचिव का कहना है कि किसानों का आधार कार्ड मौजूद है वितरण रजिस्टर में किसानों के हस्ताक्षर नहीं है
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महेन्द्र कुमार शुक्ल
कौशाम्बी। जनपद में सहकारी समितियो से उर्वरक की कालाबाजारी और किसानों को उर्वरक ना मिलने की लगातार शिकायत के बाद सहायक निबन्धक सहकारिता ने जिला अधिकारी को बताया कि जिले की समितियां में उर्वरक डीएपी का पर्याप्त भण्डारण है लेकिन सहायक निबन्धक सहकारिता के बताने के दूसरे दिन ही जिलाधिकारी से किसानों ने शिकायत की जिस पर जिलाधिकारी ने जिला कृषि अधिकारी को जांच करने का निर्देश दिया जिला अधिकारी के निर्देश पर किसान सेवा सहकारी समिति नेवादा की जांच करने जिला कृषि अधिकारी पहुंचे जहां 104 बोरी उर्वरक मौके पर कम पाई गई जिसका अभिलेख सचिव वा कर्मचारी मौके पर जांच अधिकारी को नहीं दिखा सके जिससे एक बार फिर यह साबित हो गया है
कि जिले की समितियो में उर्वरक डीएपी की कालाबाजारी कर्मचारियों द्वारा की जाती है और किसानों को सरकारी मूल्य पर उर्वरक नहीं मिल पाती है जिससे आए दिन हंगामा भी होता है सरकारी उर्वरक की बिक्री में बड़े पैमाने पर सहकारी समितियां में हेरा फेरी की शिकायत में कहीं ना कहीं सत्यता नजर आ रही है लेकिन जैसे ही जिला कृषि अधिकारी ने सहकारी समिति नेवादा में 104 बोरी डीएपी उर्वरक जांच में कम पाई डीएम के निर्देश पर जिला कृषि अधिकारी ने गोदाम को सील कर दिया। जिला कृषि अधिकारी ने मामले की रिपोर्ट डीएम को सौंप दी है। गोदाम सील होने से विभाग में हड़कम्प मच गया।
सहकारी समिति की जांच करने के बाद जांच अधिकारी मौके से चले गए और जांच अधिकारी के जाने के बाद समित के भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने के लिए योजनाएं बनाई जाने लगी रणनीति शुरू हो गई सचिव ने किसी से फोन पर बात किया और उसके बाद खाद कम मिलने के बाबत सचिव का ड्रामा फिर शुरू हो गया सचिव का कहना कि किसानों का आधार कार्ड उनके पास रखा है उन्होंने किसानों को उर्वरक दे दिया है रजिस्टर में नाम नहीं लिखा रजिस्टर में हस्ताक्षर नहीं कराया है अब सवाल उठता है कि जिन किसानों को उर्वरक समिति से दी गई थी उनका रजिस्टर में नाम क्यों नहीं दर्ज किया गया उर्वरक की बिक्री की रसीद क्यों नहीं काटी गई उन किसानों के हस्ताक्षर रजिस्टर में क्यों नहीं करवाए गए
और जब जिला कृषि अधिकारी जांच में पहुंचे तो उस समय उन किसानों के आधार कार्ड को जिला कृषि अधिकारी के सामने क्यों नहीं उपलब्ध कराया गया इससे साबित होता है कि जिला कृषि अधिकारी की जांच के बाद विभाग के मास्टरमाइण्ड लोगों ने सचिव को निर्दोष बनाने की योजना शुरू कर दिया है और बयान बाजी शुरू कर बचने के तरीके खोज लिए हैं सचिव ने बचाव में रणनीति बनाना शुरू कर दिया और रणनीति बनाकर जिलाधिकारी को भ्रमित करने वाले समितियों के इन अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज कर के निलम्बित किए जाने की जरूरत है तभी सहकारी समितियो से उर्वरक की कालाबाजारी में विराम लगेगा और किसानों को आसानी से उर्वरक मिल सकेगी।
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