दुष्कर्मी सैनिक को 20 वर्ष का कठोर कारावास

पीड़िता से दुष्कर्म कर किया गर्भवती, शादी की बात करने पर कराया गर्भपात

दुष्कर्मी सैनिक को 20 वर्ष का कठोर कारावास

कोर्ट ने लगाया 1 लाख रुपए अर्थदंड, धनराशि पीड़िता को देने का आदेश

तामीर हसन शीबू 

जौनपुर: चंदवक क्षेत्र की नाबालिग पीड़िता से दुष्कर्म करने और शादी का झांसा देकर गर्भपात कराने के दोषी सैनिक पंकज मौर्या को अदालत ने 20 वर्ष के कठोर कारावास और 1 लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई।

अपर सत्र न्यायाधीश (पाक्सो) उमेश कुमार द्वितीय ने पंकज मौर्या को दुष्कर्म, पाक्सो एक्ट और एससी/एसटी एक्ट के तहत दोषी ठहराया। अर्थदंड की पूरी राशि पीड़िता को देने का आदेश दिया गया।  

मामले का विवरण
पीड़िता ने 11 अक्टूबर 2021 को पुलिस अधीक्षक को दी तहरीर में बताया कि वह अनुसूचित जाति की नाबालिग है और उसके पिता की एक कॉपी-किताब की दुकान है। आरोपी पंकज मौर्या, निवासी बजरंग नगर, चंदवक, उससे दुकान पर आने-जाने के दौरान परिचित हुआ।

दो साल पहले पंकज ने शादी का झांसा देकर फर्जी आधार कार्ड बनवाया और उसे बनारस के होटलों में ले जाकर कई बार दुष्कर्म किया। इस दौरान आरोपी ने अश्लील फोटो और वीडियो भी बना लिए।  

पीड़िता के गर्भवती होने पर पंकज ने दवा पिलाकर उसका गर्भपात करा दिया। जब पीड़िता ने शादी की बात की, तो पंकज ने इनकार कर दिया और जातिसूचक शब्दों से अपमानित करते हुए जान से मारने की धमकी दी।  

जांच और सुनवाई
- पुलिस अधीक्षक के आदेश पर 13 अक्टूबर 2021 को आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म, गर्भपात, धोखाधड़ी और एससी/एसटी एक्ट की धाराओं में एफआईआर दर्ज हुई।  
- पुलिस ने 23 फरवरी 2022 को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की।  
- 15 जून 2022 को पंकज के खिलाफ आरोप तय हुए।  

अभियोजन पक्ष
सरकारी वकील राजेश उपाध्याय, कमलेश राय, वेद प्रकाश तिवारी, और रमेश पाल ने पीड़िता समेत छह गवाहों के बयान दर्ज कराए।  

आरोपी का पक्ष
पंकज मौर्या ने तर्क दिया कि 18 सितंबर 2018 को सेना में चयन के बाद से वह लगातार ट्रेनिंग में था और उसे झूठे मामले में फंसाया गया है। उसने अपने दस्तावेज और पहचान पत्र कोर्ट में पेश किए।  

कोर्ट का फैसला
कोर्ट ने कहा कि पंकज मौर्या ने शादी का झांसा देकर नाबालिग के साथ शारीरिक संबंध बनाए और नौकरी मिलने के बाद शादी से इनकार कर दिया।

कोर्ट ने अपराध की गंभीरता, समाज पर प्रभाव और पीड़िता के मानसिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए आरोपी को 20 वर्ष के कठोर कारावास और 1 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।  

न्याय की मिसाल
इस सजा को समाज में ऐसे अपराधों के खिलाफ एक कड़ा संदेश माना जा रहा है, जो पीड़ितों को न्याय दिलाने और अपराधियों को दंडित करने की दिशा में एक अहम कदम है।

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