swatantra prabhat kavita
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Read More... संजीवनी।
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By Swatantra Prabhat Desk
क्रूरता की परिणति युद्ध। युद्ध के बाद बड़ा पश्चाताप ही परिणति होती है, अक्सर होता है ऐसा देश या इंसान दुख और पश्चाताप में डूब जाता है हमेशा के लिए। युद्ध, हिंसा, किसी समस्या का हल नहीं। फिर क्यों लोग...
Read More... संजीवनी
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By Swatantra Prabhat UP
मां आंचल की छांव.पिता कर्मयोगी lपिता प्रयोग धर्मी होतें हैं,और माँ की ममता भावुक।।पिता सिर्फ समझते हैं,कर्म और धर्म की बोली,माँ दिल की धड़कने । माँ समझती हैं बेटे का हाल,बेटे के अरमानों...
Read More... संजीवनी।
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By Swatantra Prabhat UP
क्यों खतो में इत्र की तरह महकते नहीं।क्यों गुलाबों की तरह महकते नहीं,क्यूं चिड़ियों की तरह चहकते नहीं।दफ्न हो रही है तमन्ना ए आरजू,क्यू कलियों की तरह खिलते नहीं।मर जायेगा आशिक़ तनहा होकर,क्यों खतो...
Read More... संजीव-नी।
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By Swatantra Prabhat UP
परछाइयों में तेरी रंग मिलाता हूं,तेरे एहसासों के संग बहा जाता हूं। तेरा एहसास बडा इंद्रधनुषी जानम,,तेरे ख्यालो में भिखर बिखर जाता हूँ।।तेरे सांसों की खुशबू से इतर,कोई और महक नहीं सह पाता हूं ।.न...
Read More... संजीव-नी। जीने का कोई तरीका आसान तो दे दे ।
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By Swatantra Prabhat UP
जीने का कोई तरीका आसान तो दे दे ।हे ईश्वर जमीं नही दी,आसमान तो दे,थोड़ा सा जीने का अदद सामान तो दे।बहुत की अभिलाषा,लिप्सा,आकांक्षा नहीं,जीने का कोई तरीका आसान तो दे ।रोज खाली हाथ लौटता...
Read More... संजीव-नी।
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By Office Desk Lucknow
अपने स्वयं को पहचानो lपरिश्रम और बलिदान।महान राष्ट्र की पहचान,युवा उठो जागोअपने स्वयं को पहचानो,श्रम शक्ति और लगन,देश के विकास के लिएतुम्हें पैदा करनी है अगन। भारत है युवाओं का देशअनेक है...
Read More... वोटवा हम काहे के डालीं
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By Office Desk Lucknow
पालटी आपन जीतत वा तौ, वोटवा हम काहे के डालीं।एक वोट से फरक क पड़िहै, ई सोचके हम परवाह न कइलीं। पालटी आपन जीतत वा तौ, वोटवा हम काहे के डालीं।अबकी नेतवा घर न अइले, न हम ऊके...
Read More... संजीव-नी।
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By Office Desk Lucknow
जिंदगी भी एक ख्वाब की तरह ही तो है ,मन कहता रिश्ता दुनियादारों से बनाए रखना,दिल कहता ताल्लुक फकीरों से बनाए रखनाlलोग सफलता को पचा नहीं पाते है ।बस दूरी तुम अमीरों से बनाए रखनाlबहुत...
Read More... लोकतंत्र के खातिर भैया चलो चले मतदान करें
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By Office Desk Lucknow
लोकतंत्र के खातिर भैया चलो चले मतदान करें सारे कामों से पहले अपना यह पहला काम करे लोकतंत्र की जड़ को पानी वोट से अपनी से दे आए लोकतंत्र के मीठे फल मिलकर हम सब खाए लोकतंत्र की रक्षा में...
Read More... संजीव-नी| देख कर भी नही देख पाया ।
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By Office Desk Lucknow
देख कर भी नही देख पाया ।फिर उस बात का जिक्लौटकर भुला नहीं पायाउस पल की याद है उसेजिया नहीं जिसे कभी,भोगा भी नहीं,जीने की जरूर कोशिश कीगहरे नहीं पैठ पाया,फिर भूल...
Read More... संजीव-नी।। तेरे मायके जाने के बाद।
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By Office Desk Lucknow
तेरे मायके जाने के बाद।तेरे मायके जाने के बाद,पूरा घर एक कोने मेंसिमट के रह गया है,सीढीया ऊपर जाने वालीऊपर नहीं जाती,नीचे आने वाली,नीचे नहीं आती,यूं तो बिस्तर डबल बेड का है,...
Read More... संजीव-नी। आप जग जाहिर होने लगे हो।
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By Swatantra Prabhat Desk
संजीव-नी।आप जग जाहिर होने लगे हो।आप अपने हो या बेगाने हो,आप जग जाहिर होने लगे हो।जालिम ये जमाना,ना-समझ नही ।रंजिशों में आप भी माहिर होने लगे हो।न जाने किस की सोहबत में रहते हो,...
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