hindi kavita sangrah
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नी|

संजीव-नी| आज मेरे दिल का क्या हाल है।     आज न जाने मेरे दिल क्या हाल है, सुर है न ताल है हाल मेरा बेहाल है।     आंखों से क्या जरा ओझल हुए तुम, जिन्दगी की हर चाल ही बेचाल है।     सोते जागते...
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संजीव-नी।

संजीव-नी।    ईश्वर सब तेरी मेहरबानीl     वह दूसरों की खुशहाली से परेशान है, दुनिया की चमक धमक से हैरान हैl     खुद ने कभी ईमान का पसीना बहाया नहीं, बिना श्रम के कोई नहीं बना धन वान हैl     धन की लिप्सा चाहत किसे...
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संजीवनी

संजीवनी मां आंचल की छांव.पिता कर्मयोगी lपिता प्रयोग धर्मी होतें हैं,और माँ की ममता भावुक।।पिता सिर्फ समझते हैं,कर्म और धर्म की बोली,माँ दिल की धड़कने । माँ समझती हैं बेटे का हाल,बेटे के अरमानों...
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संजीव-नी।

संजीव-नी। परछाइयों में तेरी रंग मिलाता हूं,तेरे एहसासों के संग बहा जाता हूं।  तेरा एहसास बडा इंद्रधनुषी जानम,,तेरे ख्यालो में भिखर बिखर जाता हूँ।।तेरे सांसों की खुशबू से इतर,कोई और महक नहीं सह पाता हूं ।.न...
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संजीव-नी। जीने का कोई तरीका आसान तो दे दे ।

संजीव-नी। जीने का कोई तरीका आसान तो दे दे । जीने का कोई तरीका आसान तो दे दे ।हे ईश्वर जमीं नही दी,आसमान तो दे,थोड़ा सा जीने का अदद सामान तो दे।बहुत की अभिलाषा,लिप्सा,आकांक्षा नहीं,जीने का कोई तरीका आसान तो दे ।रोज खाली हाथ लौटता...
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संजीव-नी।

संजीव-नी। जिंदगी भी एक ख्वाब की तरह ही तो है ,मन कहता रिश्ता दुनियादारों से बनाए रखना,दिल कहता ताल्लुक फकीरों से बनाए रखनाlलोग सफलता को पचा नहीं पाते है ।बस दूरी तुम अमीरों से बनाए रखनाlबहुत...
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संजीव-नी।। तेरे मायके जाने के बाद।

संजीव-नी।। तेरे मायके जाने के बाद। तेरे मायके जाने के बाद।तेरे मायके जाने के बाद,पूरा घर एक कोने मेंसिमट के रह गया है,सीढीया ऊपर जाने वालीऊपर नहीं जाती,नीचे आने वाली,नीचे नहीं आती,यूं तो बिस्तर डबल बेड का है,...
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संजीव-नी। आकाश की अनंत ऊंचाई दो l

संजीव-नी। आकाश की अनंत ऊंचाई दो l संजीव-नी। आकाश की अनंत ऊंचाई दो l    इनकी छोटी-छोटी हथेलियों में, पूरे ब्रह्मांड को समा जाने दो, संपूर्ण संभावना के साथ  पैदा हुआ नवजात, एक नन्हा पंछी तो है। आंखों में भविष्य के सपने  जल की निश्छलता, सूरज की किरणों...
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