मदरसे में छाप रहे जाली करेंसी, पढ़ाते थे नफरत का जहरीला पाठ! 

मदरसे में छाप रहे जाली करेंसी, पढ़ाते थे नफरत का जहरीला पाठ! 

यूपी के प्रयागराज जिले के एक मदरसा में बच्चों की पढ़ाई की आड़ में जाली करेंसी छापने का धंधा चलाया जा रहा था। पुलिस ने एक मदरसे पर छापा मारकर नोट छापने की मशीन और नकली नोट जब्त किये हैं। नोट छापने का धंधा मदरसे के मौलवी के संरक्षण में चल रहा था,उस समेत चार को गिरफ्तार कर लिया गया है। बिना मान्यता के चल रहे इस मदरसे में प्रतिदिन 20 हजार रुपये की नकली नोट की छपाई होती थी। इसके लिए अच्छी क्वालिटी का कागज, स्याही इस्तेमाल की जाती थी।
शुरूआती जांच में चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इस मदरसा से पढ़कर निकले 630 बच्चों को आइबी और एटीएस 6 राज्यों में पड़ताल कर रही है। ये वही बच्चे हैं, जिनका मौलवी मोहम्मद तफसीरुल आरीफीन ने जहरीला पाठ पढ़ा कर ब्रेनवॉश किया है।जांच में सामने आया कि मदरसा को तुर्की, सऊदी अरब और दुबई में बैठे लोग पैसा भेज रहे हैं। हर साल करीब 48 लाख रुपए के ट्रांजैक्शन हो रहे थे। यह पैसा किन बैंक अकाउंट में आता था? कहां खर्च होता था? एजेंसियां जांच कर रही हैं।
प्रिंटेड नोट को पटरी की मदद से कटर ब्लेड के जरिए बड़े सलीके से काटा जाता था। इसके बाद असली नोट में इस्तेमाल होने वाले मैटेलिक धागे की तरह नकली नोट पर हरे रंग का चमकीला टेप लगाते थे, ताकि देखने वालों की आंखें धोखा खा जाएं।
नकली नोट छापने वाले यह जानते थे कि पांच सौ रुपये की नोट को लेने से पहले लोग कई बार नोट उलट-पलट कर देखते हैं, लिहाजा सिर्फ 100-100 रुपये की नोट ही छापे जाते था। पुलिस का कहना है कि गिरोह का सरगना जाहिर खान और मो. अफजल दिन में नोटों की छपाई करते थे। वह हाई क्वालिटी के स्कैनर से 100 रुपये की नोट को स्कैन करते थे और फिर उसी सीरीज के नोट का प्रिंट निकालते थे।पुलिस का दावा है कि आरोपित पिछले तीन महीने से फैक्ट्री संचालित कर रहे थे। रोजाना 20 हजार रुपये की नकली नोट के हिसाब से 18 लाख की जाली मुद्रा बाजार में पहुंच चुकी है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ है।इस मामले की जांच में जुटी टीम ने एक और खुलासा किया है। यहां का प्रिंसिपल मौलवी मोहम्मद तफसीरुल आरीफीन  बच्चों को नफरत का जहर पढाता था।इस मदरसे में उन्हें पढ़ाया जा रहा था कि आर एस एस देश का सबसे बड़ा आतंकी संगठन है।
जाली करेंसी मामले की जांच के लिए आइबी की टीम 28 अगस्त को मदरसा पहुंची। मौलवी के कमरे की जांच में कई आपत्तिजनक किताबें और तस्वीरें बरामद कीं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े कुछ डॉक्युमेंट और किताबें भी मिली हैं। जिसमें ब्रेनवाश के मामले का खुलासा हुआ।खुफिया एजेंसियों ने इसे लेकर जांच तेज कर दी है। हालांकि पुलिस अधिकारियों ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की है, लेकिन किताबें मिलने की बात मानी है। उनका कहना है कि मामले की जांच आइबी कर रही है। मदरसा अतरसुइया थाने से महज एक किलोमीटर दूर है।
जानकारी के अनुसार  जांच टीम को मदरसे से जो किताबें मिली हैं, उनमें एक किताब का नाम है- संघ देश का सबसे बड़ा आतंकवादी संगठन। इसके लेखक एस एम मुशर्रफ, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक (महाराष्ट्र) हैं। मूल किताब उर्दू भाषा में लिखी गई है। इसके हिंदी और मराठी अनुवाद वाली भी किताबें हैं।यह किताब मदरसे के कार्यवाहक प्रिंसिपल मौलवी तफसीरुल आरीफीन के कमरे से मिली है। मौलवी के कमरे से कई स्पीड पोस्ट की पर्चियां मिली हैं। पर्चियों के आधार पर पुलिस एड्रेस वेरीफाई कर रही है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि कहां क्या भेजे जाते थे?ये मदरसे का प्रिंसिपल मौलवी मोहम्मद तफसीरुल आरीफीन है। इसी के कमरे में पुलिस को किताबें और पर्चियां मिली हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार बरामद किताब में लिखा है कि आरएसएस एक सांप्रदायिक संगठन है। बहुजन और दलित युवाओं को संघ के साथ जोड़ने के लिए यह झूठा प्रचार करता है। पूर्वनियोजित हिंदू-मुस्लिम दंगे करवाना ब्राह्मणवादियों का 20वीं सदी का सबसे बड़ा षड्यंत्र था। लेकिन, 21वीं सदी में आरएसएस ने अपने कुछ कामों में बदलाव किया है।हिंदू-मुस्लिम दंगे करवाने के अलावा मुस्लिम आतंकवाद का डर लोगों के दिलों-दिमाग में भरने का काम आरएसएस और अन्य ब्राह्मणवादी संगठन कर रहे हैं। गोपनीय एजेंसियां भी इन ब्राह्मणवादियों को सहयोग दे रही हैं।इस किताब में इसी तरह की जहरीली बातें लिखी गई है। किताब में छापा गया है कि अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए कट्टरवादी ब्राह्मणवादियों ने अभिनव भारत के नाम से और एक संगठन बनाया है। 21वीं सदी की शुरुआत में साल 2002 से 2008 के बीच देश में कई जगहों पर जो बड़े-बड़े बम धमाके हुए, वे सारे आरएसएस के काम हैं। इस किताब में कुछ इस तरह के विवाद को जन्म देने वाली बात लिखि गई है। 
मदरसे में करीब 70 बच्चे पढ़ाई करते हैं। यहां बच्चों के रहने के लिए हॉस्टल और खाने-पीने का भी इंतजाम है। इस मदरसे में यूपी के अलावा बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों के बच्चे पढ़ते हैं।प्रयागराज के मदरसा जामिया हबीबिया मस्जिदे आजम में 100 रूपये के नकली नोट छापने के मामले में पुलिस अब आरोपियों के परिवार वालों की कुंडली खंगाल रही है। साथ ही मदरसा और आरोपियों के परिवार का विदेशों से लिंक तलाशाजा रहा है। उनके बैंक अकाउंट भी जांचे जा रहे हैं।पुलिस ने मदरसे के मैनेजर शाहिद से भी लंबी पूछताछ की है। हालांकि पूछताछ के बाद से मैनेजर मदरसा नहीं पहुंचा है। इसके साथ ही पुलिस मौलवी मोहम्मद तफसीरुल के परिवार के एक-एक सदस्य की जानकारी जुटा रही है। तफसीरुल के पकड़े जाने के बाद से उसके परिवार के कई सदस्य घर से गायब हैं।पुलिस सभी का सोशल मीडिया अकाउंट भी खंगाल रही है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि पता चल सके कि कहीं यह लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए किसी विदेशी संगठन से तो नहीं जुड़े थे। सोशल मीडिया पर यह लोग किससे, कब से जुड़े थे? इसकी जांच साइबर सेल को दी गई। 
डीसीपी सिटी दीपक भूकर ने 28 अगस्त को मदरसा जामिया हबीबिया मस्जिद-ए-आजम पर छापा मारा था। इस दौरान वहां प्रिंटिंग मशीन से 100-100 रुपए के जाली नोट छापते हुए तीन लोग मिले। उनके पास से 1.30 लाख रुपए के नोट मिले। इसके बाद प्रिंसिपल को भी गिरफ्तार किया गया। आरोपियों में एक ओडिशा का रहने वाला जाहिर खान (23) है। पुलिस जांच में पता चला कि मदरसे का मौलवी मोहम्मद तफसीरुल (25) गैंग का मास्टरमाइंड है। उसी ने जाहिर और उसके साथियों को मदरसे में रुकने के लिए कमरादिया था।मो. अफजल (18) और मोहम्मद शाहिद (18) दोनों मार्केट में नोट खपाने का काम करते थे। ये दोनों नोटों की कटिंग और साफ-सफाई का काम भी करते थे।आरोपियों को पता था कि प्रयागराज में आने वाले साल में होने जा रहे महाकुंभ में 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु आएंगे। ऐसे में जाली करेंसी खपाना आसान होगा। डेढ़ महीने के मेले में ही वह कई करोड़ रुपए कमाने की फिराक में थे। ये लोग अभी से बड़े पैमाने में नोट छापने वाले पेपर यानी शीट का इंतजाम करने में जुटे थे।
आइबी और खुफिया विभाग की टीम मामले में गहनता से जांच कर रही है। मौलवी के एक साल की कॉल डिटेल खंगाली जा रही है। इसके अलावा, ये नोट कब से छापे जा रहे थे? क्या प्रयागराज के बाहर इनकी डिलीवरी की गई? मौलवी और उड़ीसा के शातिर का क्या विदेशी गैंग से कनेक्शन है? इस एंगल पर जांच हो रही है।यह भी पता चला है कि आरोपी 6 माह से प्रयागराज में नोट छापने का काम कर रहे थे। 1.30 लाख की नकली नोट मिले हैं। मौके से जो कागज बरामद की गई है,उससे कई लाख की नकली करेंसी छापी जा सकती है।
आरोपियों के पास महाकुंभ से संबंधित जानकारी मिलने से जांच एजेंसी इस एंगल पर भी जांच कर रही है कि कहीं ये लोग महाकुंभ के आयोजन के दौरान कोई आतंकी गड़बड़ी करने की योजना पर तो काम नहीं कर रहे थे। यूपी के इस अत्यंत धार्मिक महत्व वाले तीर्थराज नगर में इस तरह की गैर कानूनी गतिविधियों का संचालन बताता है कि देश के गद्दार कि तरह थाली में छेद करने में लगे हुए हैं। सरकार और खुफिया एजेंसियों को ऐसे भीतर घाती देश के दुश्मनों को बेनकाब करने के लिए बेहद सतर्कता की जरूरत है।
मनोज कुमार अग्रवाल 
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं) 

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