बलरामपुर में लगे हैंडपंपों की कराई जाएगी जियो टैगिंग

 डीएम ने अधिकारियों से हैंडपंपों की मांगी है सूची

बलरामपुर में लगे हैंडपंपों की कराई जाएगी जियो टैगिंग

मरम्मत व रिबोर पर खर्ज का नहीं चल पाता है पता

बलरामपुर- बलरामपुर के गांव में लगे सभी हैंड पंप की जियो टैगिंग कराई जाएगी। जियो टैगिंग होने के बाद क्रियाशील व खराब हैंडपंपों के बारे में पता चल सकेगा। डीएम बलरामपुर पवन अग्रवाल ने विभागीय अधिकारियों से हैंडपंपों की सूची मांगी है। विभाग इसको लेकर तैयारी कर रहा है। वही मामले पर डीएम का कहना कि शासन ने चिंता जताई गई है कि हर साल गांवों में लगे हैंडपंपों की मरम्मत व रिबोर के नाम पर वित्त आयोग की धनराशि खर्च की जाती है। हैंडपंपों की मरम्मत व रिबोर पर कितनी धनराशि खर्च हुई इसका पता नहीं चल पाता है।
 
हैंडपंप की कितनी बार मरम्मत हुई है, यह भी नहीं पता चल पाता है। लघु मरम्मत में बियरिंग, कप सील व वाॅशर आदि और बड़ी मरम्मत में प्लंजर, फुट वाॅल्व व राइजर पाइप बदले जाते हैं, जिनकी आयु चार से 10 वर्ष तक होती है। विभाग के पास हैंडपंपों की मैपिंग नहीं है। हैंडपंपों के खराब होने से लोगों को शुद्ध पेयजल के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
 
वही बलरामपुर में अब साॅफ्टवेयर तैयार करके पंचायत सहायकों की मदद से गांवों में लगे हैंडपंपों की जियो टैगिंग कराई जाएगी। प्रत्येक हैंडपंप की एक यूनीक आईडी बनेगी। इसमें राज्य वित्त आयोग में उपलब्ध राशि का 1.05 प्रतिशत प्रशासनिक मदद से खर्च किया जाएगा। जिले के प्रत्येक ब्लॉक पर तीन-तीन वेंडर से 10 वर्ष तक हैंडपंपाें की मरम्मत व रिबोर कराया जाएगा। ई-टेंडर का प्रचार-प्रसार सूचना विभाग के जरिए कराया जाएगा। बीडीओ व एडीओ पंचायत वेंडर के पास उपलब्ध पांच प्लंबर का तीन साल का अनुभव प्रमाणित करेंगे। ऑनलाइन शिकायत की व्यवस्था होगी। मरम्मत कराए गए हैंडपंपों की सूची एप के माध्यम से वेबसाइट पर अपलोड होगी, इसके बाद ई ग्राम स्वराज पोर्टल से भुगतान किया जाएगा।

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