सीएचसी तुलसीपुर में आशा उत्पीड़न का एक और मामला हुआ उजागर

पूर्व सीएचसी अधीक्षक सुमन्त सिंह चौहान द्वारा एक और आशा उत्पीड़न को लेकर मुख्यमंत्री से हुई शिकायत

सीएचसी तुलसीपुर में आशा उत्पीड़न का एक और मामला हुआ उजागर

आखिर जिला प्रशासन सुमन्त सिंह चौहान के कई गम्भीर मामलों में संलिप्ता पर भी नही कर रहा प्रशानिक कार्यवाही क्यो?

आशाओ के तमाम आरोप पर जांच कमेटियों द्वारा बयान दर्ज के बाद भी मौन मुख्य चिकित्सा अधिकारी बलरामपुर 

ब्यूरो रिपोर्ट बलरामपुर 

बलरामपुर

सरकार स्वास्थ सेवाओ को लेकर जहां सरकार तमाम देशवासियों के स्वास्थ को लेकर संकल्प लेते हुए तमाम योजनाएं संचालित करती है जिनका लाभ आम जनमानस को मिले और इसके संचालन को लेकर लाखों करोड़ों रुपए स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर स्वास्थ विभाग के माध्यम से सरकारी स्वास्थ केंद्रों के प्रदान किया जाता है जिससे स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हो सके। लेकिन विभागीय भ्रष्टाचार के चलते तमाम योजना का लाभ आम जनता तक पहुंचने से पहले विभागीय भृष्ट अधिकारियो के मौज का सामान बन जाता है और भ्रष्टाचार में लिप्त जिम्मेदार सरकारी धन अवैध रूप से अर्जित करते है फिर कैसे सरकारी स्वास्थ सेवाओं का लाभ आम जनता तक पहुंचे।

 स्वास्थ विभाग बलरामपुर की बात करें तो पूर्व सीएचसी अधीक्षक तुलसीपुर और आशा विवाद के मामले इस समय काफी चर्चाओं में है। जहां सीएससी तुलसीपुर के पूर्व अधीक्षक डॉक्टर सुमंत सिंह चौहान का कई कारनामा उजागर हुआ है। जिसमें कई आशाओं से अभद्रता के साथ अपने आवास से चहेती आशाओ द्वारा निजी दवा के बिकवाने ,आशा नियुक्तियों में फर्जी बाड़ा और शासनादेश की अनदेखी करने के साथ चहेती आशाओं से बिना किसी महिला चिकित्सा के मरीजो का प्रसव करवाना और जबरन अपनी महंगी दवाइयां खरीदने के लिए बाध्य करना के साथ अन्य आशाओं का मानदेय अपने चाहते आशाओं के अकाउंट में भेजना के साथ अगर कोई आशा किसी गरीब मरीज को सीएचसी तुलसीपुर ला कर प्रसव करवाती तो उसे दवा न खरीदने पर डिस्चार्ज न करने और डिस्चार्ज रसीद कई हफ्ते न देने व अन्य कई मामले प्रकाश में आए हैं जिसको लेकर कई आशाओं ने अपनी शिकायत स्थानीय जिम्मेदारी से लेकर प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक अपनी शिकायत दर्ज करवाते हुए न्याय की गुहार लगाई है। लेकिन इतना सब कुछ होने के बावजूद स्वास्थ विभाग बलरामपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी मुकेश रस्तोगी के द्वारा उसके जघन्य अपराध को लेकर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है और मामले को जांच की आड़ में दबाने का प्रयास अब तक जारी है । जबकि कई आशाओं ने बताया कि उक्त मामले को लेकर हमारा बयान 3 सदस्यीय टीम के सामने 15 दिन पहले ही दर्ज करवाया गया है लेकिन अब तक जांच होने के बाद भी सुमन्त सिंह चौहान पर कोई भी प्रशासनिक कार्रवाई नहीं की गई है। सिर्फ उनका ट्रांसफर तुलसीपुर सीएचसी केंद्र से हटाकर सीएचसी केंद्र श्रीदत्तगंज पर कर दिया गया है। इसके अलावा अब तक विभागीय कारवाई शून्य देखी जा रही है। जबकि उनके ऊपर फर्जी दस्तावेज में कूट रचित ढंग से आशा सावित्री प्रकरण पर माफी नामा लगवाने की जानकारी भी सामने आई है । फिर आखिर किन कारण से स्वास्थ विभाग बलरामपुर के सीएमओ पूर्व अधीक्षक को अब तक बचा रहा है जबकि आशाओं पर मामला वापस लेने के लिए लग़ातार दबाव बनाए गए हैं की जानकारी सूत्रों से मिल रही 

लेकिन फिर भी जिले के उच्च अधिकारी अबभी मामले को दबा रहे हैं जबकि सूत्रों की माने तो स्थानांतरण के बाद आज भी तुलसीपुर में डॉक्टर सुमंत सिंह चौहान के द्वारा स्थानीय कर्मचारियों और आशाओं पर दबाव और धमकी का सिलसिला अब भी जारी है। जिसके कारण कुछ कर्मचारी और आशाएं भयभीत होकर उनके पक्ष की बात करने और उनके पक्ष में बयान देने को मजबूर है। वही शिकायत पत्र देने वाली आशाओं और उनके परिवार डॉ सुमन्त सिंह से भयभीत दिख रहे कि हमारे साथ कुछ भी करवाया जा सकता है लेकिन फिर भी स्वास्थ विभाग के द्वारा ऐसे लोगों पर कोई कार्रवाई न करते हुए उन्हें साफ बचाया जा रहा है वहीं अगर अपराध मुक्त भारत की बात करने वाले उत्तर प्रदेश सरकार की बात की जाए तो दावे सिर्फ किताबी साबित हो रहे हैं। बाकी जमीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर दिखा रही है ।

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