दिल्ली में निजी स्कूलों द्वारा अभिभावक प्रताड़ित, शिक्षा तंत्र व सरकार की निष्क्रियता का प्रमाण

जब महाराजा अग्रसेन मॉडल स्कूल, पीतमपुरा अभिभावकों को नही मिला समाधान तब असंवैधानिक फीस बढ़ोतरी के खिलाफ शिक्षा निदेशालय, विधानसभा पर किया प्रदर्शन

दिल्ली में निजी स्कूलों द्वारा अभिभावक प्रताड़ित, शिक्षा तंत्र व सरकार की निष्क्रियता का प्रमाण

स्वतंत्र प्रभात विशेष संवाददाता 
नई दिल्ली: राजधानी में निजी स्कूलों की मनमानी बढ़ती जा रही है जिसके चलते सभी अभिभावकों में निजी स्कूलों के साथ ही जनप्रतिनिधियों, प्रशासन, सरकारों आदि द्वारा अनदेखी के प्रति काफी रोष है। सोमवार को पीतमपुरा स्थित महाराजा अग्रसेन मॉडल स्कूल के 150 से अधिक अभिभावकों ने स्कूल की मनमानी व उसको रोकने में नाकाम शिक्षा निदेशालय के कर्त्तव्यहीन एवम लापरवाह संबधित अधिकारियों के खिलाफ शिक्षा निदेशालय के मुख्यालय, विधानसभा पर एकत्रित हो कर प्रदर्शन किया, अभिभावक 10 बजे तक वहा एकत्रित हो संबधित अधिकारियों से मिलना चाहा, अभिभावक हितेश ने बताया उन्हें मना कर दिया गया जबकि सप्ताह का पहला दिन सोमवार होने पर भी अधिकारियों का पब्लिक मीटिंग के समय उपलब्ध न होना उनकी कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह उठता है
 
तब अभिभावकों ने वहा प्रदर्शन शुरू किया दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने कहा शिक्षा निदेशालय द्वारा पुलिस को बुला अभिभावकों को डराने धमकाने को कोशिश की गई यहां तक धारा 144 का हवाला भी दिया लेकिन वर्षो से अत्याचार सहते अभिभावक जिसमे 70% सीनियर सिटीजन एवम महिलाए थी ने ठान रखा था वह यहां से तब तक नही जाएंगे जब तक उन्हें समाधान नहीं मिल जाता।अभिभावक प्रियंका ने कहा महाराजा अग्रसेन मॉडल स्कूल लगातार कई वर्षो से दिल्ली शिक्षा निदेशालय (DOE) की बिना मंजूरी के फीस बढ़ाए जा रहा है
 
जो की मंजूर फीस से लगभग 190 प्रतिशत अधिक है जबकि स्कूल दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) द्वारा डीएसईएआर (DSEAR) एक्ट 1976 के अंतर्गत भूमि आवंटित की गई थी जिसके चलते बिना शिक्षा निदेशालय की अनुमति के फीस बढ़ोतरी नहीं कर सकता है लेकिन आजकल निजी स्कूलों ने अधिकारियों के साथ साठगांठ कर सभी नियम, कानूनों, सविधान की अनदेखी कर रहे हैं। अभिभावकों ने बताया की वह समय से हर महीने मंजूर फीस का भुगतान करते आ रहे है लेकिन स्कूल ने उन्हें नोटिस जारी कर दिए साथ ही दसवीं, बारहवी तथा अन्य कक्षाओं के 200 से अधिक बच्चो को स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट थमा दिया जो 3 अक्टूबर से मान्य होगा।
 
अभिभावक सलोगन बोर्ड एवम बैनर लेकर प्रदर्शन शुरू किया अभिभावक विनीत ने बताया की हम एक बॉक्स लेकर लोगो से चंदा इकट्ठा कर रहे थे जिससे वह अधिकारियों की अगर कोई मांग है तो पूरा कर सके जिससे कई महीनो से लंबित उनके कई शिकायत पत्रों पर करवाई हो सके जो अधिकारियों की टेबलों पर धूल फांक रही है।
 
गौतम ने बताया दो घंटे बाद लगभग 12 बजे शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों द्वारा सिर्फ 4 अभिभावकों को मिलने के लिए बुलाया गया तब अभिभावकों ने अपनी सारी शिकायते बताई तब अधिकारी ने सिर्फ आश्वाशन दिया एवम उन्हे जाने के लिए कहा मगर सभी अभिभावक आज ठान के आए थे की या तो आज विभाग कोई ठोस करवाई करे वरना अभिभावक वहा से नही हटेंगे क्योंकि कई महीनो से अभिभावकों को कठपुतली बना एक कार्यालय (जोनल) से दूसरे कार्यालय (मुख्यालय) के चक्कर कटवाए जा रहे यहां तक शिक्षा मंत्री आतिशी से मुलाकात दौरान भी शिक्षा मंत्री द्वारा आश्वाशन भी दिया गया था की स्कूल पर जल्द ठोस करवाई होगी। अभिभावकों ने अपनी शिकायत उपराज्यपाल के कार्यालय में भी दर्ज कराई।
 
महेश मिश्रा, विख्यात समाजसेवी एवम सचिव (फेडेरेशन ऑफ साउथ एंड वेस्ट डिस्ट्रीक्ट वेलफेयर फोरम दिल्ली) तथा राष्ट्रीय महासचिव (राष्ट्रीय युवा चेतना मंच, भारत) जो सामाजिक कुरुतियों एवम शिक्षा संबधित मुद्दों के समाधान करवाने के लिए हमेशा जनता के साथ खड़े रहते है उन्होंने बताया की यह परिस्थिति सिर्फ दिल्ली के एक निजी स्कूल की नही है, दिल्ली के अभिभावक सालो से दिल्ली शिक्षा मंत्री, दिल्ली शिक्षा निदेशालय, विधायको, सांसदो एवम उपराज्यपाल से इसके समाधान के लिए गुहार लगा रहे लेकिन कोई समाधान नहीं हो रहा है
 
इसलिए 150 से ज्यादा निजी स्कूलों के अभिभावक आज कोर्ट में है जिसके चलते अपने खून पैसे की कमाई से वह स्कूल की फीस तो भर ही रहे वही कोर्ट एवम वकीलों की भी मोटी मोटी फीस भर रहे है साथ न्यायालय में कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है यहां तक उच्च न्यायालय से भी ज्यादातर अभिभावकों को कोई राहत नहीं मिली बल्कि उनके आदेश भी नियम, संविधान के विपरीत निजी स्कूलों के ही पक्ष में आ रहे है जिससे अभिभावक परेशान है एवम गंभीरता से सोचने में मजबूर है कि उच्च न्यायालय के कुछ न्यायाधीश नियम व सविधान को दरकिनार कर कैसे ऐसे फैसले दे रहे जिससे अभिभावकों के लिए स्थिति और चिंताजनक बन गई है।
 
यहां तक कुछ महीनो पहले एक निजी स्कूल द्वारा बच्चो के नाम काटे गए, उन्हे लाइब्रेरी में बैठाया गया, परीक्षा नही देने दी यहां तक बच्चो एवम अभिभावकों के नाम पब्लिक में धूमिल करने के लिए स्कूल के वेबसाइट पर लगा दिया गया जिसकी राष्ट्रीय मीडिया, अन्य स्कूल के प्रिसिपल द्वारा कड़ी निन्दा की गई क्योंकि स्कूल बच्चो का दूसरा घर होता है। हम मांग करते है की शिक्षा निदेशालय के सभी अधिकारियों की एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) व सतर्कता विभाग द्वारा जांच हो जो संविधान जनित अपने ही ऑर्डरों को लागू कराने में असमर्थ है जिससे उनकी निजी स्कूलों से मिलीभगत को नकारा नहीं जा सकता है साथ ही देश के मुख्य न्यायधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ जी से मांग करते है की इसको स्वत संज्ञान में लेकर देश के अभिभावकों को समयबद्ध तरीके से न्याय दिलाए जिससे भारत की जनता का विश्वाश सविधान के स्तंभ न्यायपालिका पर बना रहे।
 
अभिभावकों अथक प्रयासों के चलते दिन खत्म होते होते निम्नलिखित मांगो में से बिंदु 1 से 3 तक के लिए विभाग द्वारा स्कूल को आदेश पारित किया गया :-
 
संविधान एवम नियम के तहत स्कूलों द्वारा फीस ली जाए।
 
किसी भी बच्चे के साथ अमानवीय वव्यहार न किया जाए 
 
नोटिस तथा स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट को तत्काल रद्द किया जाए।
 
सभी संबधित शिक्षा विभाग के अधिकारियों (जोनल व मुख्यालय) की सतर्कता तथा एंटी करप्शन विभाग द्वारा जांच की जाए
 
स्कूल के फाइनेंस की फोरेंसिक ऑडिट सीएजी द्वारा की जाए 
 
अभिभावकों से लिए गए अतरिक्त पैसों को ब्याज के साथ वापस किया जाए

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