विकास भवन प्रांगण में ही एक अदद सफाई को तरस रहा आजीविका उपवन

कूड़ा करकट से गिरी कालिंदी

विकास भवन प्रांगण में ही एक अदद सफाई को तरस रहा आजीविका उपवन

 

अंबेडकरनगर। मुख्य विकास अधिकारी के परिसर में स्थित जिलाधिकारी राकेश मिश्रा के निर्देश पर निर्मित वृंदावन आज अपने ऊपर हो रहे सौतेले व्यवहार पर आंसू बहा रहा है। जबकि यह उपवन विकास भवन परिसर में ही स्थित है। इसी परिसर में जिले के मुख्यविकास अधिकारी का कार्यालय भी है जिनके मातहत हजारों सफाई कर्मी नियुक्त हैं और कार्य कर रहे हैं। फिर भी विकास भवन प्रांगण में स्थित वृंदावन एक अदद सफाई के लिए तरस रहा हैं।साफ सफाई करने की बात तो दूर की है यह उपवन तो चारों तरफ से निकाले जानें वाले गंदगी व कूड़ा करकट से भरा पड़ा है।IMG-20241109-WA0008

औषधीय पेड़ पौधों से सुसज्जित यह उपवन अपने साथ सौतेले व्यवहार पर खून के आंसू रो रहा है। मानो तो यह उपवन अपने अस्तित्व की समाप्ति की ओर है।इस उपवन की सुंदरता बढ़ाने हेतु कालिंदी का निर्माण किया गया था परन्तु इस कालिंदी नामक सरोवर में यदि कोई भूल से घुस गए तो उसके गंदे और विषाक्त जल के स्पर्श से बार बार अस्पताल के दर्शन की अभिलाषा जागृति होने से कोई रोक नहीं सकता। यह स्थिति तब है जब कि इसी प्रांगण में जिले कई विभागाध्यक्षों का कार्यालय बना हुआ है। लेकिन विडंबना यह कि कोई भी जिम्मेदार अपने वातानुकूलित कमरे से बाहर की दुनिया देखने का प्रयत्न नहीं करते।IMG-20241109-WA0007

बताते चलें कि यह विदारक स्थिति तब है जब कि यहां के जिलाधिकारी अविनाश सिंह जिले के विभिन्न स्थानों के रखरखाव, सौंदर्यीकरण और निर्माण के प्रति प्रतिबद्ध हैं। ऐसे में विकास भवन में स्थित यह उपवन जिले की सफाई व्यवस्था एवं विकास कार्यों की बखूबी पोल खोलता नजर आ रहा है। 

जो अपने कार्यालय परिसर स्थित मुख्य स्थानों की सफाई और मरम्मत नहीं करा सकता वह पूरे जिले की सफाई व्यवस्था और विकास किस तरह करता होगा? आप आसानी से समझ सकते हैं। बताते चलें कि इसमें लगी विलुप्तप्राय प्रजाति के औषधीय पेड़ पौधे जो लाखों की लागत लगकर स्थापित किए गए थे आज उनमें से ज्यादातर छोटे किस्म के पौधे सुख कर गायब होने की स्थिति में पहुँच चुके हैं यदि उनकी देखरेख न की गई तो सब सूख कर खत्म हो जाएंगे।

परंतु यह देखने सुनने वाला कोई नहीं है। भाई यहां तो भ्रष्टाचार का बोलबाला है जहां जेब भरे वही मानक विहीन कार्य होगा अन्यथा जाए चूल्ही भाड़ में। शेष जनता समझदार है, इतना कहने के बाद वह समझ गई होगी कि जनपद की सफाई व्यवस्था और विकास का दारोमदार कितने सक्षम कंधों पर है।

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