कुशीनगर : लैंगिक उत्पीड़न से मुक्त सुरक्षित वातावरण में महिलाओं का जीने का अधिकार : विनय कुमार
कुशीनगर । जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज के निर्देशानुसार मंगलवार को कार्यस्थलों पर महिलाओं के साथ लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम 2013 विषयक एक दिवसीय प्रशिक्षण व अभिमुखीकरण कार्यशाला का आयोजन जिला प्रोबेशन कार्यालय कुशीनगर द्वारा कलेक्ट्रेट सभागार में किया गया।
अभिमुखीकरण कार्यशाला के दौरान जिला प्रोबेशन अधिकारी विनय कुमार द्वारा अवगत कराया गया कि महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013 को लैंगिक उत्पीड़न के परिणाम स्वरूप भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 15 के अधीन समता तथा संविधान के अनुच्छेद 21 के अधीन प्राण और गरिमा से जीवन व्यतीत करने के किसी महिला के मूल अधिकारों और किसी वृत्ति का व्यवसाय करने या कोई उपजीविका, व्यापार या कारोबार करने के अधिकार, का जिसके अंतर्गत लैंगिक उत्पीड़न से मुक्त सुरक्षित वातावरण का अधिकार होता है, उल्लंघन होता हैः और लैंगिक उत्पीड़न से संरक्षण तथा गरिमा से कार्य करने का अधिकार, महिलाओं के प्रति सभी प्रकार के विभेदों को दूर करने संबंधी अभिसमय जैसे अंतरराष्ट्रीय अभिसमयों और लिखतों द्वारा सर्वव्यापी मान्यता प्राप्त ऐसे मानवाधिकार हैं, जिनका भारत सरकार द्वारा 25 जून, 1993 को अनुसमर्थन किया गया है और कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न से महिलाओं के संरक्षण के लिए उक्त अभिसमय को प्रभावी करने के लिए उपबंध किया गया है। जिसके अंतर्गत किसी कार्यस्थल का प्रत्येक नियोजक लिखित आदेश द्वारा, ”आंतरिक परिवाद समिति“ नामक एक समिति का गठन करेगा परन्तु जहां कार्यस्थल के कार्यालय या प्रशासनिक यूनिटें, भिन्न-भिन्न स्थानों यो खंड या उपखंड स्तर पर अवस्थित है, वहां आंतरिक समिति सभी प्रशासनिक यूनिटों या कार्यालयों मे गठित की जाएगी। अधिनियम के उपबंधों के अनुपालन मे नियोजक आतंरिक समिति के गठन करने मे असफल रहता है या कार्रवाई करने मे असफल रहेगा अथवा इस अधिनियम के अन्य उपबंधों या उसके अधीन बनाए किन्हीं नियमों का उल्लंघन करेगा या उल्लंघन करने का प्रयास करेगा या उनके उल्लंघन के लिए दुष्प्रेरित करेगा वहां 50000 (पचास हजार मात्र) का दंड होगा। नियोजक इस अधिनियम के अधीन दंडनीय किसी अपराध में पूर्ववर्ती सिद्धदोष ठहराए जाने पर अधिरोपित दंड के दुगुने दंड का दायी होगा। सरकार या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा उसके कारबार या क्रियाकलाप को चलाने के लिए अपेक्षित, यथास्थिति, उसकी अनुज्ञप्ति के रद्द किए जाने या रजिस्ट्रीकरण को समाप्त किए जाने या नवीनीकरण या अनुमोदन न किए जाने या रद्दकरण के लिए दायी होगा।
कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे परियोजना निदेशक, जिला ग्राम्य विकास अभिकरण, द्वारा समस्त कार्यालयाध्यक्षों को अपने-अपने कार्यालय मे आंतरिक परिवार समिति का अनिवार्य रूप से गठन कर सूचना जिला प्रोबेशन कार्यालय मे उपलब्ध कराने हेतु निर्देशित किया गया।
इस अवसर पर जिला विकास अधिकारी, परियोजना निदेशक, जिला गन्ना अधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी के साथ-साथ जनपद के खण्ड विकास अधिकारी, खण्ड शिक्षा अधिकारी एवं पुलिस विभाग, पूर्ति विभाग, लोक निर्माण विभाग, उद्यान विभाग तथा प्रमुख महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य/प्राचार्य गण व प्रतिष्ठित व्यापारिक प्रतिष्ठानों के स्वामी इत्यादि उपस्थित रहे।
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