कुशीनगर : शीतलहरी से बचाव हेतु जनपद वासियों से अपील
बढ़ते ठंड के दृष्टिगत क्या करें, क्या न करें
आकस्मिक स्थिति हेतु जारी हुआ हेल्पलाइन/कंट्रोल रूम का नंबर
कुशीनगर। अपर जिलाधिकारी(वि0/रा0)/मुख्य कार्यपालक अधिकारी, जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण वैभव मिश्रा ने बताया कि जनपद में अत्यधिक ठण्ड एवं शीतलहरी से उत्पन्न होने वाली समस्याओं के दृष्टिगत निराश्रित बुजुर्गो, यात्रियों/असहाय/कमजोर/गरीब व्यक्तियों सहित आम जनता की सुरक्षा और सहायता एवं राहत प्रदान करने के दृष्टिगत जनपद के समस्त तहसीलो में कम्बल वितरण, अलाव जलाये जाने एवं 13 नगर निकायों में 15 शेल्टर होम(रैन बसेरा) का संचालन व रैन-बसेरों में केयर टेकर, प्रकाश की व्यवस्था, पर्याप्त मात्रा में कम्बल, गद्दे एवं स्वच्छ बिस्तर, मेडिकल किट, स्वच्छ पेयजल, शौचालय, महिलाओ एवं पुरुषों के अलग-अलग रहने की व्यवस्था, महिलाओ एवं किशोरियों की सुरक्षा व्यवस्था, अलाव की व्यवस्था, आदि आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था भी की गयी है। उन्होंने जनपद वासियों से अपील करते हुए बताया किः-
क्या करें, क्या न करें
कोयले/लकडी की अंगीठी/हीटर/ब्लोअर इत्यादि का प्रयोग करते समय सावधानी बरतें तथा कमरें में शुद्ध हवा का आवागमन/वेंटिलेशन/वायु संचार बनायें रखें। उक्त का प्रयोग करते समय कमरें में खुले वर्तन में पानी अवश्य रखें। बुजुर्गों, बच्चों और पुराने रोगों से पीड़ित लोगों को विशेष ध्यान देना चाहिए। ज्यादा ठंड से बचने के लिए उन्हें गर्म स्थानों पर रखें। जितना हो सके घर के अंदर रहें हाइपोथर्मिया और फ्रॉस्टबाइट से बचें।
हाइपोथर्मिया के लक्षण जैसे ठंड लगना और लगातार कांपना, बोलने में दिक्कत (जैसे, हकलाना), उलझन या मानसिक भ्रम, त्वचा का रंग नीला पड़ना (विशेषकर होंठ और नाखूनों में), अत्यधिक थकान या सुस्ती, सांस में रुकावट या धीमी गति से सांस लेना एवं फ्रॉस्टबाइट के लक्षण जैसेः-रक्त प्रवाह धीमा या रुक जाना, प्रभावित हिस्सों का नीला या सफेद होना और कठोर महसूस होना, सूजन और खुजली, सांस लेने में कठिनाई या प्रभावित हिस्से का ठंडा, सुन्न या सख्त होना, त्वचा पर दर्द या जलन महसूस होना, खासकर जब प्रभावित हिस्से को गर्म किया जाता है।
ऽ बचावः- हाइपोथर्मिया और फ्रॉस्टबाइट दोनों ही गंभीर स्थितियाँ हैं जो अत्यधिक ठंड के कारण हो सकती हैं। ठंडी लहर के दौरान इनसे बचाव के लिए उपयुक्त कपड़े पहनना, गर्म रहने की कोशिश करना, और ठंडे मौसम में समय बिताने से बचना महत्वपूर्ण है। स्ट्रेचिंग और गहरी साँसें लेना रक्त परिसंचरण को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं, अगर लक्षण गंभीर हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ठंडी जगहों पर बहुत समय तक न रहें।
उन्होंने बताया कि शरीर को गर्म रखने के लिए पोषक आहार जैसे सूखें फल, खजूर, चाय, कॉफी, सूप आदि का सेवन करें। गर्म तरल पदार्थ पिएं, लेकिन शराब और कैफीन से बचें क्योंकि ये शरीर को और ठंडा कर सकते हैं। ठंड के मौसम में पशुओं को थनैला, मिल्क फीवर, नेमोटाइटिस आदि रोग होने का खतरा रहता है इसलिए पशुओं को समय-समय पर चिकित्सक को दिखाते रहें पशुओं को रात में खुले पेड़ के नीचे अथवा घर से बाहर ना निकालें। पशुओं को ठंड के समय में गुड़ व कैल्शियम टॉनिक पिलाएं पशुओं को ठंड के मौसम में जूट की बोरी अथवा घर में पड़ा कंबल आदि का प्रयोग करें। पशुओं के पास अलाव की व्यवस्था करें, जलते अलाव का समय-समय पर ध्यान रखें। सोते समय आग को बुझा दें।
आग जलाते समय ज्वलनशील पदार्थ जैसे-पेट्रोल, डीजल, मिटटी का तेल,मोबिल, आदि आग के पास न रखे। मौसम और आपातकालीन प्रतिक्रिया की जानकारी के लिए सभी मीडिया स्रोतों के माध्यम से निगरानी रखें।
जिला प्रशासन सेवा/सहयोग हेतु तत्पर है। आकस्मिक स्थिति में हेल्पलाईन न0-112 के अतिरिक्त अग्निशमन-101 जनपद कन्ट्रोल रुम न0-1077 व 05564-240590, पर सर्म्पक करें।
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