युवाओं के विकास में ही देश का विकास छिपा है।

युवाओं के विकास में ही देश का विकास छिपा है।

भारत लोकतांत्रिक देश है यह बहुधार्मिक बहुजाति वाला देश है । यही इसकी दुनिया में अलग पहचान कराती है कि यहां बहुत जाति बहुधार्मिक बहुभाषी लोग एक साथ रहते हैं सबके सुख-दुख में भागीदार होते हैं सब एक परिवार की तरह रहते हैं।किसी देश के विकास में आज युवाओं की भूमिका बहुत बड़ी है औसतन तीस से चालीस प्रतिशत युवा हर देश में विकास में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं।वह कोई भी क्षेत्र हो हर जगह युवा है। किसी भी देश का विकास उसके युवा शक्ति और संख्या पर निर्भर करता है ।

हम कह सकते हैं युवा आज देश के सनरचनामक्ता और कार्यात्मकढाचा है  । प्रत्येक राष्ट्र के तरक्की का आधार उसकी युवा पीढ़ी होती है जिसकी उपलब्धियों से उस राष्ट्र का विकास होता है।किसी राष्ट्र का भविष्य युवाओं के सर्वागिण विकास में निहित होता है।युवा ही आज राष्ट्र के निर्माण में सर्वोच्च भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। युवाओं में समाज और क्षेत्र शामिल होता है जो एक राष्ट्रके लिए नये भाग्य का निर्माण करता है।

आज देश में युवाओं की स्थिति काफी दयनीय होती जा रही है । कारण इसके बहुत हैं । हर पहलू पर ध्यान दिया जाये तो समस्या ही समस्या है। कहने को भारत युवाओं का देश है जहां दुनिया के सबसे ज्यादा युवा रहते हैं। परन्तु अगर हम युवाओं के रोजगार पर बात करें तो भारत में ही आज अस्सी प्रतिशत युवा बेरोजगारी के दंश से ग्रसित और विक्षिप्तता की स्थिति में जीवन जी रहे हैं ।

वह बेरोजगार होकर समाज परिवार पर एक बोझ की तरह है।भारत में सरकारी विश्वविघालयो महाविद्यालयों और तकनीकी विश्वविद्यालय के साथ साथ निजी शिक्षा संस्थानों की बाढ से बहुत लोग शिक्षित होने लगे और हर शिक्षित युवाओं को सफेद कालर जाब की इच्छा होने लगीं हम कह सकते हैं जितने अधिक शिक्षित हो रहे हैं उतने ज्यादा बेरोजगार होने की सम्भावना भी बढ़ रही है।

२०२१मे भारत की आबादी में २७प्रतिशत युवाओं की है। देश में हर साल सत्तर से अस्सी लाख युवा रोजगार के लाईन में खड़ा हो रहा है या खड़ा है। भारत के साथ साथ पूरी दुनिया में कोविड१९के बाद ही रोजगार  केअवसर बहुत कम हो रहे हैं आखिर यह क्या और क्यों हुआ  कोविड१९,ने जहां लोगो को मौत दिया वहीं वह रोजगार के बढ़ते अवसर को कम कैसे कर दिया या यह कोई वैश्विक साजिश हो रही है कि आज के युवाओं को बेरोजगार रखा जाये ।यह एक सवाल है जिसका उत्तर आज नहीं कल मिलेगा।

आज हर देश के साथ भारत में गुणवत्ता वाला रोजगार भी कम उपलब्ध है।।२०२२मे युवाओं में बेरोज़गारी दर माध्यमिक और उच्च शिक्षा वाले व्यक्तियों की तुलना में गुना अधिक है(१८,४प्रतिशत)और(२९प्रतिशत )स्नातको में नौ गुना अधिक थी जबकि पढ़ लिख नहीं सकने वाले युवाओं में बेरोज़गारी दर३,४प्रतिशत है।

वर्ष२०२४मे समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष मे८,२प्रतिशत विकास दर की वृद्धि के साथ भारत दुनिया मे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।

भारत में बेरोज़गारी दर तेजी से बढ़ रही है जो सात  प्रतिशत से बढ कर ९,२प्रतिशत हो गई है।भारत  का८०प्रतिशत कार्यबल अनियंत्रित अर्थव्यवस्था में काम करता है।  यह भारतीय रिर्जव बैंक की एक रिपोर्ट में बताया गया है। भारत का अधिकांश कार्यबल ग्रामीण क्षेत्रों में है जो बेरोजगारी के रुप दर्ज नहीं होता है।आज भारत का युवा बेरोजगारी का खामियाजा भुगत रहा है।

बेरोजगारी की समस्या दिन प्रतिदिन विकराल होती जा रही है और सरकार उदासीन होती जा रही है।भारत में एक वर्ष में विभाग ५५०००अर्धसैनिको ने सेवानिवृत्त ले लिया है फिर भी भर्ती नहीं हो रही है। भारत के बेरोजगार स्नातक युवाओं के विरोध प्रदर्शन ने भारत की संसद को कुछ समय के लिए बिधित करने में किताबी हासिल की ।प्रर्दशनो ने लम्बे समय से चली आ रही उनक्षतमाम समस्याओं को उजागर किया जिसका सामना युवा शिक्षित काम खोजने  की कोशिश करते समय करते हैं। यदि वर्तमान अर्थ व्यवस्था हर साल बाजार में प्रवेश कर रहे लाखों  स्नातक युवाओं के लिए रोजगार का अवसर उपलब्ध नहीं करा सकता है तो यह  अर्थव्यवस्था देश को कभी भी  विकसित राष्ट्र नहीं बना सकता है।कारण अर्थव्यवस्था बढ़ रही है तो रोजगार भी बढ़ना चाहिए परन्तु आंकड़ों में अर्थव्यवस्था बढ़ रही है और रोजगार गुणात्मक कम होता जा रहा है यह कैसे।

आई एल ओ की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत स्नातकों को बिना अनौपचारिक शिक्षाके रहने वालों की तुलना में अधिक बेरोजगारी  का सामना करना पड़ रहा है।युवा बेरोजगारी दर जैसे जैसे शिक्षा का दर बढ़ रहा वैसे वैसे बढ़ रहा है।स्नातक डिग्री या उससे अधिक शिक्षित लोगों में बेरोज़गारी दर बहुत तेजी से बढ़ रहा है।आज भारत में २५ आयुवर्ष के ७०प्रतिशत स्नातक ही सबसे अधिक बेरोजगारी है जबकि इसी आयुवर्ग मे मात्र ११प्रतिशत लोग हैं जो केवल साक्षर हैं।यदि यह सच है कि भारत की अर्थ व्यवस्था सात प्रतिशत की दर से बढ़ रही है तो यह साल १२ मिलियन नौकरियां पैदा करनी होगी जो असम्भव लग रहा है। भारत एक विचित्र स्थिति में है कहा जाज्ञरहा है अर्थव्यवस्था में विकास हो रहा है और नौकरियां नहीं पैदा हो रही है यह कौन सा नया सूत्र है समझ से बाहर है जब भी अर्थव्यवस्था तेजी से विकसित होगी तो रोजगार भी बढ़ेगा पर यहां तो उल्टी गंगा बह रही है विकास तेजी से हो रहा पर रोजगार ही कम हो रहा है।

आज भारत में एक और समस्या है जो बेरोजगारी के बढ़ते दर के कारण पैदा हो ग ई है है शहरों से गांव तक लूट फरेब जिसमें युवा ही शामिल हैं कारण बस एक बेरोज़गारी।नशा गांव से शहर तक बढ़ रहा है जिसमें सबसे ज्यादा युवा है वह भी बेरोज़गारी का कारण है।कुछ युवाओं ने सोशल मिडिया यूं ट्युब को रोजगार बना लिया है तरह तरह के विडियोज बना रहे हैं पर कितने सफल है यह अभी सवाल के घेरे में है तो कुछ युवा राजनीतिक दल में अपना भविष्य देखने लगे हैं पर राजनीति में वही युवा है जिनके घर के लोग पहले से है या फिन नव धनाढ्य वर्ग अब राजनीति को अपने लिए सुरक्षित और विकास का माडल बनायां है वह अपने धन बल पर पिर्टी में पद और टिकट ले रहे हैं और अपने व्यापार को राजनिति की छाया में बेरोकटोक आगे बढ़ा रहे हैं इस क्षेत्र में भी सामान्य परिवार का पढा लिखा युवा आगे नहीं बढ़ पायेगा कारण खेल पैसे का हो गया है।

यदि समय रहते भारत सरकार युवाओं को रोजगार नहीं देदेता है तो निश्चित ही देश एक गम्भीर आन्दोलन को रोक पाने में विफल हो जायेंगी ।सरकार हर सरकारी उपक्रम को निजी हाथों में बेच कर दो काम कर ही है एक आरक्षण को समाप्त कर रही है।  तो दूसरी ओर नौकरियां समाप्त कर रही  है भारत में सबसे ज्यादा नौकरी रेलवे सेना और अर्धसैनिक बलों में युवाओं को मिलता था वह भी सरकार बन्द कर दी है। अगर५५००अर्धसैनिक बल  सेवानिवृत्ति ले लिये है तो उतनी जगह क्यों नहीं भरी जा रही है।  रेलवे में अकेले दस लाख पद है जो क्यों नहीं भरा जा रहा है।सब नौकरी अनुसन्धान की होगी तो कार्यकी गुणवत्ता भी दोषपूर्ण होगी।

युवाओं को  रोजगार गुणात्मक व शैक्षिक योग्यता के अनुसार नहीं मिलने के कारण आज अधिकांश युवा नशा की गिरफ्त में या फिर नकली हिन्दू बनकर राजनिति के जाल में फस कर बरवाद हो रहा है। जो उम्र खेल में लगाना था पढ़ने में लगाना था वह नशे में बीत रहा है ।।इन  युवा को बचाकर ही भारत वैश्विक स्तर पर हर क्षेत्र में विश्व गुरु बन सकता है । अगर भारत का युवा भटकता रहा सड़कों पर नशे की अन्धेरी गलियो मे  घूमता रहा तो भारत कभी विश्व मे अपना स्थान नहीं बना पायेगा । आज हम १४०करोड की जनसंख्या वाला देश है। परन्तु ओलम्पिक में मेडल लाने में दम नहीं है। कारण साफ है हम युवाओं में बचपन से प्रतिभा तलाशने में विफल है जिसके कारण मेडल से दूर है।

आज भारत का हर प्रदेश युवाओं के आक्रोश का शिकार है । हर प्रदेश में युवा आन्दोलन रत है।  केवल नौकरी के लिए पुरानी पेंशन के लिए कोई सरकार सही तरीक़े से परीक्षा करा पाने में असफल क्यों है। क्यों प्रश्न पत्र परीक्षा से पहले लीक हो रहा है। इसके पीछे कौन खूद सरकार या सरकार के साथ दलाल है या नकल माफिया कोचिंग सेन्टर के लोग।  यूपी में पुलिस पेपर लीक देश में नीट का पेपर लीक।  अब बिहार में पेपर लीक तीनक्षदिनो से युवा यही मांग कर रहे है बदले में पानी की बौछार और लाठी। बस सरकार पेपर रद्द करके पुनः परीक्षा कराये सरकार । पर सरकार तो लाठी के बल पर हर आवाज दबाना चाहती है जो सरकार के विरोध में उठ रहे हैं।कामोवेश हर प्रदेश में यही स्थिति बन रही है।  परीक्षा के नाम पर  युवाओं को धोखा नौकरी के नाम पर लुट सरकार नौकरी का विज्ञापन देकर वसूली कर  रही है।

स्वामी विवेकानंद जी युवाओं स के लिए कहा था उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य न प्राप्त हो जाए ।वह युवाओं में आशा और उम्मीद देखते थे। उनके लिए युवा पीढ़ी परिवर्तन का अग्रदूत है।उन्होंने कहा था युवाओं मे लोहे जैसे मांसपेशियां और फौलादी नशे हैं ।जिनके हृदय वज्र तुल्य संकल्पित है। वह चाहते थे युवाओं के विशाल हृदय के साथ मातृभूमि और जनता की सेवा करने की दृढ इच्छा शक्ति हो । उन्होंने युवाओं के लिए कहा था जहां भी लोग संकट में हैं आप वहां जाएं और उनके दुखों को दूर करें । आप पर देश की भविष्य की उम्मीदें टिकी है।

 भारतीय युवाओं के लिए विवेकानंद एक प्रेरणा के स्रोत हैं ।परंतु प्रश्न यही उठता है क्या आज कितने युवा विवेकानंद को आदर्श मानते हैं ।आज कि पीढ़ी बस स्व विकास तक ही केन्द्रित है।  समाज परिवार से दूरी बढ़ रही है कारण भौतिकवाद से ग्रस्त युवा हमेशा भौतिक सुख को प्राप्त करने के प्रयास में रहता है । वह बहुत जल्द दुनिया का अमीर और साधन संपन्न बनना चाहता है । धन कैसे आए वह नैतिक अनैतिक तरीके नहीं मानता है।  वह तो धन को सबसे बड़ा बाल मानता है । आज के युवाओं के लिए मातृभूमि नहीं बल्कि धन प्रेम ही बड़ा है । आज का युवा कई तरह का है एक वह  जो अच्छी नौकरी करके संतुष्ट है । दूसरा युवा राजनीति में जाकर भविष्य बनाना चाहता है कारण राजनीति में धन बहुत तेजी से बढ़ता है। नौकरी में धन नहीं बस जीवन चलता है और एक अन्य तरह का युवा है जो दोनों जगहो  में नहीं फिट है नशे का आदी बन रहा है नशे का कारोबार करने लगा है। सबको धन ही चाहिए कोई भी नौकरी राजनीति या कारोबार नशे का हो या व्यापार किसी तरह का  काम हो जहां से धन मिलता हो।

आज का युवा अब 70 के दशक का नहीं है वही 21वीं सदी का है जिसके हाथ में मोबाइल और कंधे पर लैपटॉप है वह दुनिया से दूर और नज़दीक दोनों है। दूर संबंधों से नजदीक है सोशल मीडिया से।

 युवा परिवार की संस्कृति से दूर रहना चाहता है परिवार उसके लिए जरूरी नहीं है। जरूरी है उसकी हर पल  की खुशी और इस दुनिया को जल्दी से देखने की। उसके रहन-सहन खान-पान सब दूसरे तरीके के हैं वह सुबह जल्दी उठने वाला नहीं है वह रात को जश्न की दुनिया में रहने को ही जीवन मानता है। और शादी की जगह लीव इन रिलेशन में रहना पसंद करता है । बच्चा पालना अच्छा नहीं मानता है जिम्मेदारी को बोझ मानता है । जो समाज परिवार उसके ऊपर मढना चाहता है वह इससे दूर भाग कर जीना चाहता है । स्वामी विवेकानंद का यह सपना यहां सार्थक नहीं हो रहा है। जो देखे थे कि भारत के युवाओं मे राष्ट्र प्रेम के साथ-साथ जनता की सेवा का भाव हो ।राष्ट्र प्रेम तो कुछ हद तक है पर जनता की सेवा का भाव  बहुत कम है  वह मानता है l

हर आदमी को स्वयं कमाकर खाना चाहिए अगर अपाहिज नहीं है वह भीख की प्रथा का विरोध करता है।कारण आज  के युवाओं को बाहर जाकर  अच्छी  नौकरी लग अच्छीजिंदगी के लिए जाने की ललक है। इसकारण पहले क्या चुने युवा सीधा सवाल धन और वह राष्ट्र जहां पर जीवन सरल और खुशहाल हो। जहां भ्रष्टाचार के व्यभिचार कमहो । भ्रष्टाचार व्यभिचार अत्याचार बलात्कार भारत में बहुत है। और यहां जीवन जीना सरल नहीं है यहां पुलिस किसी भी युवा को जो मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता हो रात ऑफिस से घर जा रहा हो रास्ते मे पुलिस की गोली का शिकार हो जाता है। सरकार मौन। कोई युवा कहीं किसी शहर मे घूमने जाएं और होटल रूके रात में पुलिस जाकर होटल मे मार दे आरोप लगा दे गैंगस्टर था। जनता मीडिया सरकार सब पुलिस को सही मानती है। ऐसे देश प्रदेश में युवक क्यों रहना चाहेगा। यह बात भारत के हर युवाओं के मानस पटल पर अंकित है कि भारत में पैसा कमाने पर भी जीवन सरल नहीं कठिन है। शासन टैक्स पुलिस टैक्स ,गुंडा टैक्सन,न  जाने कितनेतरह के टैक्स  है।और सुविधा सीवर से भरी सड़क ट्रैफिक जाम दिनदहाड़े लूट ही मिलता है ।

अगर वास्तव में सरकार देश के युवाओं में राष्ट्र का भविष्य देख रही है तो देश में एक शिक्षा अनेक नौकरी के साथ पुलिस और कानून को सरल बनाएं । न्याय तुरंत हो और हर तरह का टैक्स कम हो नहीं।  तो प्रतिभाएं पलायन करेगी । भाषणों से युवाओं में राष्ट्र प्रेम नहीं जगाया जा सकता है। असली प्रतिभाएं जब देश की पलायन कर जाएगी तो बस ठंडा उठाने वाले झंडा लेकर चलने वालेऔर मंदिर मस्जिद पर वोट देने वाले ही युवा देश में रहेंगे ।जो सब दंगे में शामिल होकर भीड़ ही बनेंगे कोई गोली से मरेगा को लाठी से।

वैज्ञानिक अभियंता डॉक्टर सब देश छोड़कर कहीं और जीवन की जीवन जिएंगे।

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