Sanjeevani
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Read More... संजीव-नीl
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By Swatantra Prabhat Desk
कौन दस्तक देता है दर पर संजीव।मैं तो अपनी शर्तों पर जीता हूं.पराये दर्द के अश्कों को पीता हूं।रातें तो सितारों संग बीत जाती हैं,दिन के उजालों से बचता रहता हूं।अब चले ना चले कोई...
Read More... संजीव-नी।
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By Swatantra Prabhat Desk
मुझे कोई गम नहीं रहा संजीव। आरजू आखरी सांस तलक नेकी की शर्त ही थी हर लम्हा पूरा जीने की। आबरू खुद बचा ली इस तूफ़ां ने मेरी जिंदगी के टूटे हुए सकिने की। दिल को तस्कीन सी मिली है...
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By Office Desk Lucknow
मतदाता एक दिन का राजाl एक मतदान के पावन दिन लगाकर कपड़ों में चमकदार रिन एक पार्टी के उम्मीदवार लगते थे मानो है सूबेदार, बिना लंबा भाषण गाये मुस्कुरा कर मेरे पास आए, बोले- कृपया अपने मताधिकार का लोकतंत्र के...
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By Swatantra Prabhat Desk
मुझ पर फेके गए पत्थर अपार मिलेl मुझ पर फेके गए पत्थर अपार मिले, फक्तियाँ,ताने सैकड़ों बन गले का हार मिले। शौक रखता हूं भीड़ में चलने का मित्रो, कही ठोकरे,तो कही जीत के पुष्प हार मिले। जीवन बिता यूँ...
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By Swatantra Prabhat Desk
सामने आओ तो,पलकें झुका देना तुम। एहसास दिल में न दबा देना तुम, होठों से तिरछा मुस्कुरा देना तुमl ये दिल की लगी है, घबरा न जाना, सिर्फ आंखों में ही मुस्कुरा देना तुम। नया नया रूप है तुम्हारे यौवन...
Read More... संजीवनी।
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By Swatantra Prabhat Desk
क्रूरता की परिणति युद्ध। युद्ध के बाद बड़ा पश्चाताप ही परिणति होती है, अक्सर होता है ऐसा देश या इंसान दुख और पश्चाताप में डूब जाता है हमेशा के लिए। युद्ध, हिंसा, किसी समस्या का हल नहीं। फिर क्यों लोग...
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By Swatantra Prabhat Desk
जाते ही माँ के सारे दिल भी बट गए। पर्दे रिश्तों के भी सारे परे हट गए जाते ही माँ के दिल भी सारे बट गए। मुद्दतों बाद मिलनें से संभला नही जुनूँ देखा मुझे तो दौड़ गले से लिपट...
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