फिलिस्तीन पर इजरायली कब्जे को यूएन कोर्ट ने बताया अवैध, पीएम बेंजामिन नेतन्याहू भड़के 

फिलिस्तीन पर इजरायली कब्जे को यूएन कोर्ट ने बताया अवैध, पीएम बेंजामिन नेतन्याहू भड़के 

International Desk

संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत ने कहा कि कब्जे वाले फिलिस्तीन में इजरायल की उपस्थिति गैरकानूनी है और इसे समाप्त करने के लिए कहा है। इसके साथ ही निर्माण को तुरंत रोकने के लिए भी कहा गया। संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत ने फलस्तीनी राष्ट्र के लिए मांगी गई भूमि पर इजराइल के 57 वर्षों के कब्जे की वैधता पर एक गैर-बाध्यकारी सलाहकारी राय देने के लिए सुनवाई करते हुए इजरायल के कमद की निंदा की है।

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के 15-न्यायाधीशों के पैनल द्वारा जारी गैर-बाध्यकारी राय की तुरंत निंदा करते हुए कहा कि ये क्षेत्र यहूदी लोगों की ऐतिहासिक मातृभूमि का हिस्सा हैं। लेकिन निर्णय की व्यापक गंभीरता अंतरराष्ट्रीय राय को प्रभावित कर सकती है और फ़िलिस्तीनी राज्य की एकतरफा मान्यता के लिए कदम बढ़ा सकती है।

 पश्चिम एशिया युद्ध में इजरायल ने 1967 में पश्चिमी तट, पूर्वी यरुशलम और गाजा पट्टी पर कब्जा कर लिया था। फलस्तीनी तीनों क्षेत्रों को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में चाहते हैं। इजराइल पश्चिमी तट को विवादित क्षेत्र मानता है, जिसका भविष्य बातचीत से तय किया जाना चाहिए। उसने हालांकि अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए वहां बस्तियां बसा दी हैं।

उसने पूर्वी यरुशलम पर कब्जा कर लिया है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसके इस कदम को मान्यता प्राप्त नहीं है। उसने 2005 में गाजा से अपनी सेना वापस बुला ली थी, लेकिन 2007 में हमास के सत्ता में आने के बाद भी इसने इस क्षेत्र की नाकेबंदी जारी रखी। अंतरराष्ट्रीय समुदाय आम तौर पर तीनों क्षेत्रों को अधिकृत क्षेत्र मानता है।

न्यायाधीशों ने नीतियों की एक विस्तृत सूची की ओर इशारा किया, जिसमें वेस्ट बैंक और पूर्वी येरुशलम में इजरायली बस्तियों का निर्माण और विस्तार, क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग, भूमि पर कब्ज़ा और स्थायी नियंत्रण और फिलिस्तीनियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण नीतियां शामिल हैं।

उसने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है। अदालत ने कहा कि इज़राइल को क्षेत्रों में संप्रभुता का कोई अधिकार नहीं है, वह बलपूर्वक क्षेत्र हासिल करने के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन कर रहा है और फिलिस्तीनियों के आत्मनिर्णय के अधिकार में बाधा डाल रहा है। 

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