संजीव-नीl
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उनके अंदाज ही अलहदा निराले हैंl
उनके अंदाज ही अलहदा निराले हैं
इश्क के जख्म हमने दिल में पालें हैं।
मौज करते हैं भीख मांग-मांग कर
जो मजबूत साबुत हाथ पैर वाले हैं।
जिंदगानी की उमंग में उड़ते पंछी
कुछ दिल के गोरे और कुछ काले हैं।
मौत तो यकीनन आसान होती है
जिंदगानी के यहां पड़े बेहद लालें हैं।
बारिश के बादलों का अता-पता नहीं
सुखी नदियां और खुश्क पड़े नालें हैं।
दुश्मनों की कभी कमी नहीं रही
आस्तीन में बहुत से सांप वाले हैं।
उनका निखर उठा चेहरा संजीव
प्यार के हमने इतने रंग डाले हैं।
संजीव ठाकुर,
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