श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान  चन्द्र किशोर जायसवाल को ।

 रेनू यादव को  युवा साहित्य सम्मान।

श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान  चन्द्र किशोर जायसवाल को ।

नई दिल्ली। उर्वरक क्षेत्र की प्रमुख संस्था इफको द्वारा वर्ष 2024 का ‘श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान’ कथाकार चन्द्र किशोर जायसवाल को प्रदान किया गया। इसी वर्ष शुरु हुए ‘श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको युवा साहित्य सम्मान’ रेनू यादव को उनके कहानी संग्रह ‘काला सोना’ के लिए प्रदान किया गया। यह सम्मान नई दिल्ली के इंडिया हैबिटैट सेंटर के स्टेन सभागार में आयोजित एक समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी ने प्रदान किया। 
चन्द्र किशोर जायसवाल का जन्म 15 फरवरी, 1940 को बिहार के मधेपुरा जिले के बिहारीगंज में हुआ। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय, पटना से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर शिक्षा हासिल की और अरसे तक अध्यापन करने के बाद भागलपुर अभियंत्रणा महाविद्यालय, भागलपुर से प्राध्यापक के रूप में सेवानिवृत्त हुए। ‘गवाह गैरहाजिर’‘जीबछ का बेटा बुद्ध’‘शीर्षक’‘चिरंजीव’ ‘माँ’ ‘दाह’ ‘पलटनिया’‘सात फेरे’ ‘मणिग्राम’‘भट्ठा’‘दुखग्राम’ (उपन्यास); ‘मैं नहिं माखन खायो’ ‘मर गया दीपनाथ’‘हिंगवा घाट में पानी रे!’‘जंग‘नकबेसर कागा ले भागा’‘दुखिया दास कबीर’ ‘किताब में लिखा है’ ‘आघातपुष्प’, ‘तर्पण’ ‘जमीन’‘खट्टे नहीं अंगूर’‘हम आजाद हो गए!’, ‘प्रतिनिधि कहानियाँ’ (कहानी-संग्रह); ‘शृंगार’‘सिंहासन’‘चीर-हरण’, ‘रतजगा’‘गृह-प्रवेश’ ‘रंग-भंग’ (नाटक); ‘आज कौन दन है?’ ‘त्राहिमाम’‘शिकस्त’ ‘जबान की बन्दिश’ (एकांकी) इनकी प्रमुख कृतियाँ हैं।
 
वह ‘रामवृक्ष बेनीपुरी सम्मान (हजारीबाग), ‘बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान’ (आरा), ‘आनन्द सागर कथाक्रम सम्मान’ (लखनऊ), बिहार राष्ट्रभाषा परिषद का ‘साहित्य साधना सम्मान’ (पटना) और बिहार सरकार का जननायक ‘कर्पूरी ठाकुरी सम्मान’ (पटना) से सम्मानित हैं। इनके उपन्यास ‘गवाह गैरहाजिर’ पर राष्ट्रीय फ़िल्म विकास निगम द्वारा निर्मित फ़िल्म ‘रूई का बोझ’ और कहानी ‘हिंगवा घाट में पानी रे!’ पर दूरदर्शन द्वारा निर्मित फ़िल्में काफी चर्चित रही हैं। ‘रूई का बोझ’ नेशनल फ़िल्म फेस्टिवल पैनोरमा (1998) के लिए चयनित हुई थी और अनेक अन्तराष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सवों में प्रदर्शित हो चुकी है।
 
रेनू यादव को इफको युवा साहित्य सम्मान।
रेनू यादव का जन्म 16 सितम्बर, 1984 को गोरखपुर में हुआ। भारतीय भाषा एवं साहित्य विभाग (हिन्दी), गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर कार्यरत रेनू की प्रमुख कृतियां है- 'महादेवी वर्मा के काव्य में वेदना का मनोविश्लेषण' (आलोचनात्मक पुस्तक), 'मैं मुक्त हूँ' (काव्य-संग्रह), साक्षात्कारों के आईने में - सुधा ओम ढींगरा (संपादित पुस्तक)। मासिक पत्रिका साहित्य नंदिनी में 'चर्चा के बहाने' स्तम्भ (कॉलम) प्रकाशित होता है तथा इससे पहले कैनेडा से निकलने वाली पत्रिका हिन्दी चेतना में 'ओरियानी के नीचे' नामक स्तम्भ प्रकाशित होता था। स्त्री-विमर्श पर केन्द्रित कहानियाँ, कविताएँ एवं शोधात्मक आलेख आदि विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। इन्हें 'सृजन श्री' सम्मान सृजन-सम्मान बहुआयामी सांस्कृतिक संस्था एवं प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान, रायपुर (छत्तीसगढ़) के साथ ही 'विरांगना सावित्रीबाई फूले नेशनल फेलोशिप अवार्ड' भारतीय दलित साहित्य अकादमी, दिल्ली प्राप्त हैं। 
 
मूर्धन्य कथाशिल्पी श्रीलाल शुक्ल की स्मृति में वर्ष 2011 में शुरू किया गया यह सम्मान प्रत्येक वर्ष ऐसे हिन्दी लेखक को दिया जाता है जिसकी रचनाओं में मुख्यतः ग्रामीण व कृषि जीवन का चित्रण किया गया हो। इस पुरस्कार के अन्तर्गत सम्मानित साहित्यकार को एक प्रतीक चिह्न, प्रशस्ति पत्र तथा ग्यारह लाख रुपये की राशि का चैक प्रदान किया जाता है।  इफको निदेशक मंडल के अनुमोदन से इस वर्ष से शुरू हुए ‘श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको युवा साहित्य सम्मान’ के अंतर्गत सम्मानित साहित्यकार को एक प्रतीक चिह्न, प्रशस्ति-पत्र और ढाई लाख रुपये का चैक प्रदान किया जाएगा।
 
वरिष्ठ साहित्यकार प्रो असग़र वजाहत की अध्यक्षता वाली निर्णायक समिति ने मधु कांकरिया का चयन ग्रामीण व कृषि जीवन, भारत के बदलते यथार्थ पर केन्द्रित उनके व्यापक साहित्यिक अवदान को ध्यान में रखकर किया। निर्णायक मंडल में डॉ. अनामिका, श्री प्रियदर्शन, श्री यतींद्र मिश्र, डॉ. नलिन विकास एवं श्री उत्कर्ष शुक्ल शामिल थे। 
 
प्रबंध निदेशक डॉ उदय शंकर अवस्थी ने दिया बधाई।
अपने संदेश में इफको के प्रबंध निदेशक डॉ॰ उदय शंकर अवस्थी ने चन्द्र किशोर जायसवाल को बधाई देते हुए कहा कि जायसवाल जी गहरे सामाजिक सरोकारों के रचनाकार हैं। उन्होंने पूर्णिया अंचल और ग्रामीण जीवन के विषयों पर कुशलता के साथ अपनी लेखनी चलाया है। डॉ. यू.एस. अवस्थी ने चन्द्र किशोर जी की रचनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि अपने कथा संसार में उन्होंने ग्रमीण परिवेश की जटिलताओं को पकड़ने की कोशिश की है। 
 
सम्मान चयन समिति के अध्यक्ष प्रो.असगर वजाहत ने चयन प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी। सम्मान चयन समिति सदस्य प्रियदर्शन ने चन्द्र किशोर जायसवाल के लिए व डॉ. अनामिका ने रेनू यादव के लिए  प्रशस्ति पाठ किया।
 
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहित्यकार डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी ने चन्द्र किशोर जायसवाल एवं रेनू यादव को सम्मानित करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उनके लेखन को अत्यंत महत्त्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि शोधपरक लेखन के जरिए समाज के यथार्थ को मुखरित करने का जो काम चन्द्र किशोर जायसवाल जी ने किया है, वह अन्यत्र दुर्लभ है। उन्होंने कहा कि रेनू में असीम संभावनाएं हैं, अगर ये ऐसे ही सृजनरत रहीं तो बड़े सम्मान की भावी दावेदार बनेंगी। इस अवसर पर रंग विरासत नाट्य मंडली के कलाकारों द्वारा आसिफ़ अली हैदर खान के निर्देशन में श्रीलाल शुक्ल की रचना पर आधारित नाटक ‘राग विराग’ का मंचन किया गया। समारोह में शिक्षक, छात्र सहित बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी शरीक हुए।

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