क्यों नहीं पशुओं की हौद तक पहुंच रहे अधिकारी?
गौशालाओं में भूख से दम तोड़ रहे गौवंश, नहीं मिल रहा भरपेट चारा
अलीगढ़। गायों के प्रति उनकी इस संवेदनशीलता का ही नतीजा है कि राज्य में सरकार बनने के बाद से ही गायों को सुरक्षा, स्वास्थ्य और उनकी देखभाल के लिए कई फैसले लिए गए हैं। गौशालाएं बनवाने के निर्देश दिए गए और बजट में अलग से इसके लिए प्रावधान किया गया है। लेकिन अलीगढ़ का शायद ही कोई ऐसा इलाका हो जहां से आए दिन गायों बछड़ों के भूख से मरने की खबर न आती हो ? राज्य सरकार ने इसी साल सभी गांवों में गौशाला और शहरी इलाकों में पके आश्रय स्थल बनावाने के निर्देश दिए थे लेकिन ज्यादातर आश्रय स्थलों में गायें चारे और पानी के अभाव में दम तोड़ दे रही हैं।
बरौला जाफरााबाद क्षेत्र में पशुओं के संरक्षण के लिए बनाया बाड़ा (गोशाला) लावारिस पशुओं को जान पर भारी पड़ रहा है। पर्यात चारा न मिलने से यहां लाए गए लावारिस पशु जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। भरपेट चारा न मिलनो के कारण बीते दो माह में करीब पांच गौवंश दम तोड़ चुके हैं। जिसमें वर्तमान में लगभग 70 से अधिक गोवंशों को शरण दिया गया है। इन पशुओं के चारा पानी व देखभाल की जिम्मेदारी कर्मचारियों पर है, लेकिन इन पशुओं के लिए भरपेट बारा नहीं मिल रहा है। इसके चलते आए दिन पशुओं की मौत हो रही है।
नाम व छापने की शर्त पर गौशाला के एक कर्मचारी का कहना है कि लावारिस पशुओं को बाग में पहुंचा दिया जाता है, लेकिन पर सारे को व्यवस्था नहीं होने से संकट हो गया है।
एक दिन में 10 किलो चारा खाने वाले एक पशु को महज दो किलो चार ही दिया जा रहा है। भरपेट चारा न मिलने के कारण पशु दुर्बल होकर दम तोड़ रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल गौवंश की सुरक्षा जिले में दम तोड़ रही है। प्रशासनिक लापरवाही के चलते गौवंशों की मौतों का सिलसिला थम नहीं हो रहा है। चारे के अभाव में दम तोड़ रहे गौवंश को बिना पोस्टमार्टम कराए ही गड्ढों में दफन कर दिया जाता है। जिले के अधिकारी केवल बैठकों तक में सीमित होकर रह गए हैं । जबकि धरातल पर गौवंश की सुरक्षा के लिए कोई भी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
जिलाधिकारी गौ आश्रय स्थलों की समीक्षा करते रहते हैं जिलाधिकारी विशाख जी भी गौ आश्रय स्थलों को स्थिति की समीक्षा लगभग आए दिन करते रहते हैं, लेकिन इस समीक्षा का असर उनके मातहतों पर कितना पड़ता है यह एक गौ आश्रय स्थल की हकीकत को देखने के बाद ही उजागर हो जाता है। सवाल है कि जब सरकार गौशाला के लिए पैसा पानी की तक बहा रही है तो आखिर कर्मचारी उसको पशुओं के हौद तक क्यू नहीं पहुंचा रहे हैं।
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