योगी सरकार की ऐतिहासिक उपलब्धि: रोशन हुआ गोंडा का बुटहनी वनटांगिया गांव
मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने गोंडा में इस समुदाय को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए।
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आजादी के 77 वर्षों बाद बुटहनी वनटांगिया गांव तक पहुंची बिजली
सीएम योगी की मंशा के अनुरूप बदल रहा है गोण्डा के वनटांगिया समुदाय का जीवन
पहले मकान, जमीन, रोजगार का साधन और अब बिजली पहुंचने से खिले गांववासियों के चेहरे
बृजभूषण तिवारी
ब्यूरो गोंडा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रेरणा और उनके नेतृत्व में प्रदेश के पिछड़े और अति पिछड़े समुदायों को मुख्यधारा में जोड़ने के प्रयासों में एक और बड़ी सफलता मिली है। आज़ादी के 77 साल बाद गोंडा जिले के बुटहनी वनटांगिया गांव में पहली बार बिजली पहुंची है। यह गांव अब दूधिया रोशनी से जगमगा रहा है, जिससे यहां के निवासियों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आया है।
गोंडा जिले के छपिया ब्लॉक स्थित बुटहनी वनटांगिया गांव, जो जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर है, वर्षों से विकास की मुख्यधारा से कटा हुआ था। अंग्रेजों द्वारा जंगलों में बसाए गए इस समुदाय को लंबे समय तक अधिकारों और मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा गया। पांच वर्षों के लिए एक जगह पर बसाए जाने के बाद इन्हें बार-बार विस्थापित किया जाता था। घासफूस के मकानों में रहने वाले इन लोगों को जीवनयापन के लिए जलौनी लकड़ी पर निर्भर रहना पड़ता था।
2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम घोषित कर विकास की प्रक्रिया की नींव रखी। इस पहल के तहत समुदाय को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत घर, जमीन का मालिकाना हक, पीने का पानी और रोजगार के अवसर प्रदान किए गए। इन योजनाओं ने पहली बार वनटांगिया समुदाय को स्थिरता और अधिकार दिलाए।
मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने गोंडा में इस समुदाय को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए। इसी कड़ी में छपिया के बुटहनी वनटांगिया गांव को रोशन किया है। पहली बार इनके घरों में बिजली पहुंची है। गांव में अंधेरे का युग समाप्त हुआ और एक नए बदलाव की शुरुआत की गई है। जिलाधिकारी ने कहा, "प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है कि हर समुदाय को लोक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिले। बुटहनी गांव में बिजली पहुंचाने से ग्रामीणों का जीवन बदला है।"
बिजली पहुंचने के बाद गांव में पहली बार बल्ब की रोशनी देख ग्रामीणों के चेहरे खिल उठे। मीना, जो गुलाब स्वयं सहायता समूह की संचालिका हैं, ने कहा, "पहले अंधेरे में घर से बाहर निकलने में डर लगता था। अब हमारी जिंदगी में उजाला और सुरक्षा दोनों आई हैं।" गांव के बुजुर्ग नंद लाल (60 वर्ष) कहते हैं, "हमने अपना पूरा जीवन अंधेरे में बिताया, लेकिन अब हमारी अगली पीढ़ी को रोशनी और विकास देखने का अवसर मिला है।"
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