मुहर्रम पर निकला ताजिया जुलूस, गमगीन माहौल में 37 स्थानों पर किया दफन, 223 स्थान पर रखी गई थी ताजिया

मुहर्रम पर निकला ताजिया जुलूस, गमगीन माहौल में 37 स्थानों पर किया दफन, 223 स्थान पर रखी गई थी ताजिया

मिल्कीपुर, अयोध्या । पैगम्बर-ए-इस्लाम के नवासे हजरत इमाम हुसैन की याद में मुहर्रम पर ताजियों का जुलूस निकाला गया। मुहर्रम पर बुधवार को ताजिये गमगीन माहौल में दफन किए गए। नौ मुहर्रम को ताजियों को घरों के बाहर दीदार के लिए रखा गया था। लोगों ने रातभर जागकर इबादत की। दोपहर बाद मातम के बीच ताजिये को उठाया गया।
 
सर्किल के तीनों थाना क्षेत्रों में 223 स्थानों पर ताजिया रखी गई थी। अलीपुर खजुरी, ईंट गांव, खिहारन, बवां, इटौंजा देवगांव, अमानीगंज, हैरिंग्टनगंज, शाहगंज समेत 37 जगहों पर मौजूद करबला में ताजियें दारों द्वारा ताजिये ले जाए गए, और दफन किया गया।  
मुस्लिम समुदाय के मौलाना शाहिद आलम ने कहा कि मोहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना होता है। रमजान के बाद इस्लाम में मोहर्रम का खास स्थान होता है। शिया व सुन्नी समुदाय के लोग अपने-अपने तरीके से मनाते हैं। मुस्लिम समुदाय यौम-ए-आशूरा के 10 वें दिन को मोहर्रम का जुलूस निकाल कर शहादत मनाता है। उन्होंने बताया कि इस्लामिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन कर्बला की जंग में पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के छोटे नवासे हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथी शहीद हो गए थे। इसलिए इस दिन को शहादत के रूप में मनाते हैं।
 
सर्किल के सभी थाना प्रभारी निरीक्षक, चौकी प्रभारी अपने-अपने क्षेत्र में मुस्तैदी से पुलिस फोर्स के साथ डटे हुए हैं ताकि कहीं पर किसी प्रकार समस्या ना उत्पन्न होने पाए शरारती तत्वों पर सुरक्षा एजेंसियों की निगाहें बनी हुई है। संवेदनशील स्थानों पर ड्रोन कैमरे से पुलिस निगरानी कर रही है। क्षेत्राधिकारी सुनील कुमार  सिंह का कहना है कि सौहार्दपूर्ण तरीके से मोहर्रम का त्यौहार मुस्लिम संप्रदाय के लोगों द्वारा मनाया गया। कहीं पर किसी प्रकार की अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली करबला स्थलों पर पर्याप्त संख्या में पुलिस के जवान तैनात रहे।
 

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