दूषित जल व गलत दिनचर्या स्वास्थ्य के लिए बड़ी समस्या-डॉ. मनोज पटैरिया

दूषित जल व गलत दिनचर्या स्वास्थ्य के लिए बड़ी समस्या-डॉ. मनोज पटैरिया

मिल्कीपुर, अयोध्या। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में चल रहे तीन दिवसीय स्वास्थ्य संसद कार्यक्रम का रविवार को समापन हो गया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति डा. बिजेद्र सिंह भी मौजूद रहे। स्वस्थ भारत की की ओर से कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह को सम्मानित किया। इस मौके पर कुलपति ने इस कार्यक्रम की जमकर सराहना करते हुए कहा कि समय समय पर ऐसे कार्यक्रम होने से सभी को एक नई सीख मिलती है।

स्वास्थ्य संसद कार्यक्रम के दौरान कई तकनीकी सत्र हुए। जिसमें अंतरराष्ट्रीय विज्ञान लेखन संघ के अध्यक्ष डॉ. मनोज पटैरिया ने बताया कि नैनो टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की वजह से चिकित्सा के क्षेत्र बड़ी सफलता मिली है। नवीन परंपराओं को बहुत सोच समझकर अपनाना है। उन्होंने कहा कि दूषित जल के सेवन से कई बीमारियां हो रही हैं और इसे नष्ट नहीं किया जा सकता। आरोग्य भारती के संगठन सचिव डॉ. अशोक कुमार वार्ष्णेय ने बताया कि 100 में से 83% लोग गलत जीवनशैली से रोग ग्रसित हैं। स्वस्थ रहने के लिए सूर्यास्त से पहले भोजन कर लेना चाहिए।

डॉ. राजेश श्रीवास्तव का कहना है कि रामचरित मानस में वर्णित पात्रों के जीवन से हम सभी को सीखना चाहिए। कई ऋषि मुनि अपने तपोबल से हजारों वर्षों तक स्वस्थ रहते हुए जीवित रहते थे। सीनियर फेलो डॉ. अलका सिंह ने कहा कि हम सभी प्राचीनतम आहार परंपरा को छोड़कर बहुत दूर चले आए हैं। जिसके कारण घर-घर कई बीमारियां फैल रही हैं। आदिवासियों की आहार परंपरा एकदम अलग है। आदिवासी अनाज की बजाय प्राकृतिक खान-पान पर ज्यादा निर्भर रहते हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जागरण इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन, कानपुर के निदेशक डॉ. उपेंद्र पाण्डेय ने बताया कि स्वास्थ्य प्रति नई तकनीकों को अपनाने से पहले सचेत होना जरूरी है। मानसिक तनाव भी बीमारियों का मुख्य कारण है। रोग, मनोविज्ञान व समाधान" पर प्रख्यात आध्यात्मिक गुरु पवन सिन्हा ने बताया कि शरीर में मन अत्यंत महत्वपूर्ण है। मन ही रोगों को जन्म भी देता है और रोगों से निजात भी दिलाता है। उन्होंने कहा कि भोजन के साथ-साथ मन का शुद्ध रहना भी आवश्यक है।डॉ. स्नेहा अग्रवाल ने बताया कि इंटीग्रेटेड दवाओं के बहुत अच्छे परिणाम आते हैं।

लखनऊ नेपकैम के सचिव डॉ. पीयूष गुप्ता ने बताया कि मृत्यु तो निश्चित है लेकिन आईसीयू में बीमारियों जूझने की बजाय अपनों के बीच प्राकृतिक रूप से देह त्यागना अलग बात है। उन्होंने कहा कि बुजुर्गों को स्वस्थ रखने के लिए पैलियेटिव केयर अति महावपूर्ण है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य जागरण मंच के राष्ट्रीय संगठन महासचिव गोलोक बिहाई राय ने बताया कि बुजुर्गों की सबसे बड़ी समस्या एकाकी जीवन है। इसलिए बुजुर्गों की देखभाल और मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाने के लिए पारिवारिक और सामाजिक संरचना को बेहतर बनाने की आवश्यकता है।

समापन समारोह के पूर्व संध्या पर कवि सम्मेलन भी आयोजित किया गया। कवियों ने अपने काव्य के माध्यम सभी को गुदगुदाया और कई महात्वपूर्ण संदेश दिए। इस मौके पर कृषि अधिष्ठाता डॉ प्रतिभा सिंह को भी स्वस्थ संसद की ओर से सम्मानित किया गया। स्वस्थ भारत के अध्यक्ष आशुतोष कुमार सिंह की अध्यक्षता में कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में वरिष्ठ पत्रकार एवं वक्ता चंद्रकांत शर्मा, कृषि महाविद्यालय की अधिष्ठाता डा. प्रतिभा सिंह और उनकी टीम का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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