हिजबुल्लाह आतंक के खात्मे की गारंटी नहीं है नसरल्लाह की मौत? 

हिजबुल्लाह आतंक के खात्मे की गारंटी नहीं है नसरल्लाह की मौत? 

इजरायल की लगातार हिजबुल्लाह आतंकियों को निशाना बनाते हुए उनके ठिकानों पर एयर स्ट्राइक के दौरान हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह मारा गया. इजारयली डिफेंस फोर्स ने कहा कि अब हसन नसरल्लाह दुनिया में आतंक नहीं फैला पाएगा. हसन नसरल्लाह 32 साल से संगठन को चीफ था लेकिन क्या हिजबुललाह चीफ नसरल्लाह के मारे जाने से आतंकवाद दफन हो जाएगा? दरअसल जरूरत नसरल्लाह के खात्मे की नहीं उस कट्टरपंथी आतंकी मानसिकता के सफाए की है जो नसरल्लाह को जन्म देती है।  आपको बता दें कि लेबनान में इजरायल के बड़े हवाई हमले में विश्व के सबसे बड़े सशस्त्र और आतंकी संगठन हिजबुल्लाह के प्रमुख सैयद हसन नसरल्लाह  की मौत हो गई । ईरान समर्थित समूह हिजबुल्लाह ने भी पुष्टि की है कि 32 वर्षों तक समूह का नेतृत्व करने वाला नसरल्लाह शुक्रवार के हमले में मारा गया है। अब हिजबुल्लाह अपने 42 साल के इतिहास में सबसे भारी हमले के बाद एक नए प्रमुख को चुनने की चुनौती का सामना कर रहा है।
 
इजरायल ने लेबनान की राजधानी बेरूत पर एयर स्ट्राइक कर हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह को मार गिराया. इसके बाद उनके चचेरे भाई हाशिम सफीद्दीन को हिजबुल्लाह चीफ घोषित किया गया है. नसरल्लाह की मौत का रोष जम्मू कश्मीर में देखने को मिला है. यहां विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारी छात्रा ने कहा कि आपने एक हिजबुल्लाह को मारा है अब हर घर से हिजबुल्लाह निकलेगा', नसरुल्लाह की मौत पर इजरायल पर आक्रोश व्यक्त किया जा रहा है। हसन नसरल्लाह की मौत के बाद जम्मू-कश्मीर के बडगाम की सड़कों लोगों ने जमकर प्रदर्शन किया. लोगों ने नसरल्लाह के पोस्टर के साथ इजरायल के खिलाफ नारे लगाए। 
 
काश्मीर में प्रदर्शन कर रहीं एक छात्रा ने इजरायल पर गुस्सा दिखाते हुए कहा, "मैं हर उस इंसान से बात कर रही हूं, जो फिलिस्तीन के खिलाफ है. मैं लेबनान के लोगों को हौसला देना चाहूंगी कि वो बिल्कुल भी फिक्र न करें जो हम उनके साथ हैं. हम उनका साथ कभी नहीं छोड़ेंगे. आपको पता नहीं है कि आपने किसको शहीद किया है. अब हर घर से हिजबुल्लाह निकलेगा."न्यूज चैनल के मुताबिक इस एयर स्ट्राइक में नसरल्लाह के अलावा उसकी बेटी जैनब की भी मौत हुई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जिस कमांडर सेंटर पर इजरायल ने हमला किया था, वहां नसरल्लाह की बेटी का शव मिला।
इजरायल ने यह हमला तब किया नसरल्लाह और ईरान समर्थित समूह के कई अन्य नेता लेबनान की राजधानी बेरूत में एक बंकर में जमा हुए थे. ये लोग दक्षिण बेरूत के व्यस्त इलाके में जमीन से 60 फीट नीचे इजरायल पर हमले की प्लानिंग कर रहे थे. इस क्षेत्र को तबाह करने के लिए आईडीएफ ने लगभग 80 टन बम का इस्तेमाल किया था। 
 
दहियाह के बेरूत उपनगर में हमला इजरायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू द्वारा संयुक्त राष्ट्र को संबोधित करने के तुरंत बाद हुआ, जिसमें उन्होंने कसम खाई थी कि हिजबुल्लाह के खिलाफ इजरायल का अभियान जारी रहेगा। जानकारी के मुताबिक, विस्फोट से कुछ समय पहले ही इससे पहले हुई स्ट्राइक में मारे गए वरिष्ठ कमांडर सहित तीन हिजबुल्लाह सदस्यों के अंतिम संस्कार के लिए लोग जमा हुए थे।बीते शुक्रवार (27 सितंबर) को इजरायल के हवाई हमले में मारे गए हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरुल्लाह का शव बरामद कर लिया गया है. सुरक्षा और मेडिलकल टीम ने शव को हमले वाली जगह से ही बरामद किया है. वहीं, इजरायल लगातार हिजबुल्लाह पर हमले कर रहा है और रविवार (29 सितंबर) को लेबनान से सटी सीमा पर टैंक तैनात किए हैं। 
 
सूत्रों ने कहा कि उसके शरीर पर कोई सीधा घाव नहीं था और ऐसा लग रहा है कि मौत का कारण तेज धमाके से हुए ट्रॉमा रहा होगा. उधर, इजरायल ने कहा कि हिजबुल्लाह के ठिकानों पर हमले जारी हैं. एक नए अपडेट में, इजरायली सेना ने कहा कि उसने पिछले कुछ घंटों के दौरान लेबनान में हिजबुल्लाह के कई ठिकानों पर हमला किया है. सेना का कहना है कि हमलों का उद्देश्य हिजबुल्लाह के रॉकेट लॉन्चर और हथियार गोदामों को तबाह करना था। महीनों की योजना और कई खुफिया सूचनाओं के बाद, इजरायल ने एक अंडरग्राउंड बंकर पर सटीक हमला किया, जहां नसरल्लाह और कई अन्य हिजबुल्लाह नेता बैठक कर रहे थे. यह बंकर दक्षिण बेरूत की एक व्यस्त सड़क से 60 फीट नीचे स्थित था.पिछले कुछ हफ्तों में इजरायल रक्षा बलों (आईडीएफ) ने लेबनान के अंदर अपने हमले तेज कर दिए हैं. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का दावा है कि इन हमलों का उद्देश्य आतंकवादी ग्रुप हिजबुल्लाह को तबाह करना है जो कथित तौर पर इजरायल में नागरिकों पर हमला करने की योजना बना रहा है। 
 
कौन था नसरल्लाह? 
31 अगस्त 1960 को बेरूत के उत्तरी बुर्ज हम्मूद उपनगर में जन्मे नसरल्लाह का जन्म एक गरीब किसान परिवार हुआ था। उसके आठ भाई-बहन थे। नसरल्लाह शिया समुदाय से ताल्लुक रखता था।उसके पिता अब्दुल करीम एक छोटी सी सब्जी का दुकान चलाते थे। 1975 में लेबनान में गृह युद्ध छिड़ जाने के बाद वे अमल आंदोलन में शामिल हो गया था।हसन नसरल्लाह के परिवार की बात करें तो उसकी पत्नी का नाम फातिमा यासीन है। उसके चार बच्चे थे।  उसके सबसे बड़े बेटे की सितंबर 2017 में मौत हो गई थी। वो हिजबुल्लाह का लड़ाका था।
 
साल 1992 में नसरल्लाह को हिजबुल्लाह का महासचिव बनाया गया था। उसने अब्बास अल-मुसावी की जगह ली थी। मुसावी को भी इजरायल ने ही मार गिराया था। उसे जबरदस्त वक्ता माना जाता था।हसन नसरल्लाह को कड़ी सुरक्षा में रखा जाता था। एक इंटरव्यू में नसरल्लाह ने कहा था कि वो बंकर में नहीं रहते, लेकिन वो समय-समय पर अपना ठिकाना बदलते रहते हैं। गौरतलब है कि जो उसका इंटरव्यू लेने जाते थे उन्हें ये तक पता नहीं होता कि वहां पर कहां पर मौजूद हैं।
दशकों से नसरल्लाह अपने भाषणों को खुफिया स्थान से जाकर प्रसारित करता था। वो न सिर्फ लेबनान में बल्कि पश्चिम एशिया के सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक था। बताया है कि लेबनान के बेरूत में हवाई हमले में हिजबुल्लाह नेता सैय्यद हसन नसरल्लाह के मारे जाने से कुछ घंटे पहले एक ईरानी जासूस ने इजरायली अधिकारियों को उनके ठिकाने के बारे में जानकारी दी थी।
 
हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की मौत हो गई है. इसकी आंच भारत तक पहुंच गई है. भारत के जम्मू व कश्मीर के लोगों ने हसन नसरल्लाह की मौत की मुखालफत की है. जम्मू व कश्मीर के बडगाम इलाके में बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए और उन्होंने हसन नसरल्लाह की मौत की मुखालफत की. विरोध प्रदर्शन में हसन नसरल्लाह के सपोर्ट में एक रैली निकाली गई, इसमें औरतें और बच्चे भी शामिल हुए। महबूबा मुफ्ती ने बताया शहीद जम्मू व कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने रविवार को हसन नसरल्लाह की मौत के दुख में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी का विधानसभा चुनाव अभियान रोक दिया. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी लेबनान और गाजा के लोगों के साथ खड़ी है. महबूबा मुफ्ती ने एक्स पर लिखा कि "मैं गाजा और लेबनान खासकर हसन नसरल्लाह की शहादत के वास्ते कल का अपना चुनावी अभियान रोकती हूं. इस अपार दुःख और प्रतिरोध की घड़ी में हम लेबनान और गाजा के लोगों के साथ खड़े हैं." 
 
सवाल उठता है कि भारत में काश्मीर की सड़कों पर हर घर से निकलेगा नसरल्लाह के नारे लगाने के पीछे कौन लोग हैं? इनकी मानसिकता क्या है? दरअसल नसरल्लाह के समर्थक उसे आतंक का सरगना या सरपरस्त मानने के लिए तैयार नहीं है। अंजुमन-ए-शरी के अध्यक्ष शियान आगा सैयद ने कहा कि हम उनकी (हसन नसरल्लाह) मौत पर कितना भी शोक मनाएं, यह हमेशा कम होगा… शांति होनी चाहिए और यही उनका मिशन था। उस पर आतंकवाद में शामिल होने का आरोप लगाया गया था ताकि लोगों को पता न चले कि वह मानवता के लिए क्या कर रहा है और वह क्या चाहता है। वह फिलिस्तीन के लोगों के लिए फिलिस्तीन को आजाद कराना चाहता था। मैं पूरी मानव जाति से और इस्लामिक देशों के लोगों से यह कहना चाहता हूं कि उनकी शहादत ऐसे ही नहीं जाने देना चाहिए।
 
उनकी कमी को पूरा नहीं किया जा सकता लेकिन इतना तय है कि उनके खून से हजारों नसरल्लाह पैदा होंगे और इस मिशन को आगे बढ़ाएंगे और सफलता हासिल करेंगे।उधर हमास के आतंकी भी नसरल्लाह की मौत का बदला लेने की बात कह रहे हैं। लेकिन इतना तय है कि इजराइल के कंधे पर अमेरिका का हाथ है और अमेरिका इजराइल के कंधे पर बंदूक रख कर हिजबुललाह का सफाया करने में मददगार बना है।
मनोज कुमार अग्रवाल 
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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