देश ने खो दिया एक अनमोल 'रतन' टाटा

देश ने खो दिया एक अनमोल 'रतन' टाटा

रतन टाटा देश में एक ऐसा नाम है जिसे कोई भूल नहीं पाएगा। आज हमने ऐसे हीरो को खो दिया है।
अमीर होते हुए एक सादगी का जीवन जीने वाले रतन टाटा ने कभी दिखावा नहीं किया लेकिन टाटा उद्योग को उस मुकाम पर पहुंचा दिया जहां पर शायद ही कोई पहुंचे। एक सुई से लेकर ट्रक बनाने वाले टाटा ने देश के हर घर में पहुंचने के लिए टाटा नमक का उत्पादन शुरू किया था। जो आज एक गरीब परिवार से लेकर अमीरों के घर में मौजूद हैं। यदि यह कहा जाए की भारतीय उद्योग जगत में यदि कोई क्रांति लाया था तो वह टाटा ही थे। वैसे तो देश में बहुत से बड़े-बड़े उद्योगपति हैं लेकिन टाटा जैसी सादगी किसी में नहीं दिखती है। रतन टाटा का परिवार भारत के प्रमुख उद्योगपतियों में से एक है और उनके परिवार का नाम देश की कई महत्वपूर्ण कंपनियों से जुड़ा हुआ है। रतन टाटा और उनके परिवार का एक लंबा इतिहास है, जो भारत के औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

यदि हम रतन टाटा और उनके परिवार की बात करें तो जमशेदजी टाटा (पैतृक संस्थापक) टाटा समूह के संस्थापक थे। जमशेद जी टाटा का जन्म 1839 में हुआ था और 1904 में उन्होंने दुनिया छोड़ दी थी। जमशेदपुर झारखंड राज्य में स्थित है जो पहले बिहार में था इस शहर का नाम जमशेद जी टाटा के नाम पर रखा गया था। यह शहर टाटा स्टील कंपनी के लिए प्रसिद्ध है और इसे भारत का पहला औद्योगिक शहर भी कहा जाता है। जमशेदपुर की स्थापना टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा ने की थी। टाटा के नाम से एक ट्रेन भी चलती थी जिसका नाम था टाटा एक्सप्रेस जिसे बदलकर बाद में मुरी एक्सप्रेस कर दिया गया। जमशेदजी टाटा, टाटा समूह के संस्थापक थे। उन्होंने टाटा स्टील, भारत की पहली इस्पात कंपनी, की स्थापना की और भारतीय उद्योग के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाई। उनके योगदान से भारत में औद्योगिक क्रांति की शुरुआत हुई। जमशेद जी टाटा रतन टाटा के परदादा थे।

रतन टाटा के पिता का नाम नवल टाटा था। नवल टाटा का जन्म एक पारसी परिवार में हुआ था और उन्हें रतनजी टाटा ने गोद लिया था, जो जमशेदजी टाटा के बेटे थे। नवल टाटा भी टाटा समूह के प्रबंधन और सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे थे।नवल टाटा के जैविक पिता का नाम होर्मुसजी टाटा था। नवल टाटा का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था, लेकिन बाद में उन्हें सर रतनजी टाटा और उनकी पत्नी नवजबाई टाटा ने गोद लिया था। गोद लेने के बाद नवल टाटा, टाटा परिवार का हिस्सा बन गए और उन्होंने टाटा समूह में अहम भूमिका निभाई। नवरोजी सकलातवाला (रतन टाटा के दादा) थे।

नवरोजी सकलातवाला टाटा समूह के तीसरे चेयरमैन थे और जमशेदजी टाटा के परिवार के सदस्य थे। उन्होंने टाटा समूह का विस्तार किया और समूह को एक नई दिशा दी।  जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा इसी परिवार के सदस्य थे इनका जन्म 1904 में और मृत्यु 1993 में हुई थी। जे .आर.डी. टाटा, रतन टाटा के पिता के चचेरे भाई थे। उन्होंने टाटा समूह के विकास में अहम भूमिका निभाई और 50 से अधिक वर्षों तक समूह के चेयरमैन रहे। J.R.D. टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने नई ऊंचाइयों को छुआ और टाटा एयरलाइंस की स्थापना भी की थी जो कि अब इंडियन एयरलाइंस है।

नवल टाटा रतन टाटा के पिता थे नवल टाटा, जे.आर.डी. टाटा के परिवार से अलग थे लेकिन उन्हें रतनजी टाटा ने गोद लिया था। उन्होंने भी टाटा समूह के प्रबंधन में योगदान दिया।  सोनी टाटा रतन टाटा की मां थीं। सोनी टाटा और नवल टाटा का तलाक हो गया था, जिसके बाद रतन टाटा और उनके भाई दोनों की परवरिश उनके नाना-नानी ने की थी।  रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 में हुआ था और 10 अक्टूबर 2024 को उनकी मृत्यु हो गई। रतन टाटा टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन थे। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने वैश्विक स्तर पर पहचान बनाई। रतन टाटा ने 1991 से 2012 तक टाटा समूह का नेतृत्व किया। उन्होंने टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, और टाटा टी जैसी कंपनियों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया था। नूह टाटा, रतन टाटा के छोटे भाई हैं। वे मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं का सामना कर चुके हैं, और उनका टाटा समूह में सक्रिय हैं।

 रतन टाटा का परिवार एक लंबे इतिहास और समृद्ध विरासत का हिस्सा है, और उन्होंने भारत में उद्योग, शिक्षा, और सामाजिक कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। रतन टाटा के बाद टाटा समूह की नेतृत्व की जिम्मेदारी पहले से ही संरचित प्रणाली के तहत तय कर दी गई थी। 2012 में जब रतन टाटा ने चेयरमैन पद से सेवानिवृत्ति ली, तो सायरस मिस्त्री को टाटा समूह का चेयरमैन नियुक्त किया गया था। हालांकि, 2016 में सायरस मिस्त्री को इस पद से हटा दिया गया और अंतरिम रूप से रतन टाटा ने फिर से चेयरमैन का कार्यभार संभाला। इसके बाद, 2017 में एन. चंद्रशेखरन को टाटा संस का चेयरमैन नियुक्त किया गया, जो अब टाटा समूह का नेतृत्व कर रहे हैं। चंद्रशेखरन इससे पहले टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के सीईओ रह चुके हैं और उनके नेतृत्व में टीसीएस ने शानदार प्रदर्शन किया है।

रतन टाटा ने अब कोई औपचारिक प्रबंधन भूमिका नहीं निभाई, लेकिन वह टाटा ट्रस्ट्स के साथ जुड़े हुए थे । टाटा ट्रस्ट्स, टाटा संस में सबसे बड़ा शेयर धारक है और समूह की गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए, रतन टाटा की विरासत का प्रबंधन एन. चंद्रशेखरन और टाटा ट्रस्ट्स के साथ मिलकर किया जाता रहा था। रतन टाटा ने अमीरी में रहते हुए एक सादगी भरा जीवन जिया। जो हर किसी के लिए ऐसा कर पाना संभव नहीं है। आज उनकी मृत्यु पर सारा देश स्तब्ध है क्योंकि देश ने एक अनमोल हीरा खो दिया है।

जितेन्द्र सिंह पत्रकार 

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