परिषदीय विद्यालयों की रंगाई पुताई महज खानापूर्ति, बाहर के दीवारों पर कराया जाता है कार्य

परिषदीय विद्यालयों की रंगाई पुताई महज खानापूर्ति, बाहर के दीवारों पर कराया जाता है कार्य

सिद्धार्थनगर। जिले के परिषदीय विद्यालयों के भवनों की रंगाई पुताई का काम पूरा नहीं कराया जा सका है। कुछ विद्यालयों में रंगाई पुताई हुई भी है तो आधा अधूरा कराकर ही छोड़ दिया गया है। प्रधानाध्यापक कम धनराशि मिलने की बात कह रहे हैं। खंड शिक्षा अधिकारी धन देर से आने की बात कह रहे हैं। जबकि विभाग की ओर से छह माह पहले ही विद्यालयों के खाते में धन भेज दिया गया है। धन कहां डंप पड़ा है आम लोगों के समझ से परे है। आला अधिकारी समीक्षा करने की बात कहकर मामले से पल्ला झाड़ ले रहे हैं।
 
कान्वेंट स्कूलों को आकर्षक बनाने से लेकर आधुनिक सुविधाएं बहाल करने के लिए स्कूल संचालकों में जहां होड़ लगी है। वहीं परिषदीय विद्यालयों में सुविधाएं बहाल करना तो दूर विद्यालयों के भवनों की रंगाई पुताई तक नहीं कराई जा सकी है। जिले में 2262 परिषदीय विद्यालय हैं। शासन की ओर से विद्यालयों में शत प्रतिशत नामांकन तथा सुविधाएं बढ़ाने के लिए सभी उपाय किए जा रहे हैं। वहीं विभाग की ओर से सिर्फ कागज पर ही सब कुछ नजर आ रहा है। 
 
शासन की ओर से रंगाई पुताई सहित अन्य कार्यों के लिए दस हजार रुपये प्रत्येक विद्यालयों में विद्यालय कंपोजिट ग्रांट  खाते में भेजा जाता है। विभागीय लापरवाही की स्थिति यह है कि धन जारी होने के छह माह बाद भी अधिकांश विद्यालयों की रंगाई पुताई का कार्य पूरा नहीं किया जा सका है। कुछ विद्यालयों की पुताई हुई भी है तो वह विद्यालय  का केवल बाहरी हिस्सा, और आधा अधूरा ही छोड़ दिया गया है। कई प्रधानाध्यापकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मजदूरी व मैटेरियल का दाम बढ़ने से बेहतर ढंग से रंगाई पुताई संभव नहीं हो पा रहा है। खंड शिक्षा अधिकारी धन देर से आने की बात कह रहे हैं।
 
क्या कहते हैं अधिकारी
 
जब  इस सम्बंध में खंड शिक्षा अधिकारी बर्डपुर अरुण कुमार से  बात  की गई तो उनका कहना था कि रंगाई पुताई करया जा रहा है। धन मार्च  में  आने के चलते कुछ विद्यालयों में रंगाई पुताई कार्य पूरा नहीं हो पाया है। और कुछ विद्यालय कंपोजिट ग्रांट से वंचित रह गए है।
 
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी देवेंद्र कुमार पांडेय  का कहना है कि शासन की मंशा के अनुरूप सभी कार्य पूरा कर लिया जाएगा। समीक्षा की जा रही है।

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