कालिंजर किले के रास्ते मे फैली है दारू बाजो की बोतले, जिम्मेदार है मौन
बांदा। ऐतिहासिक एवं पौराणिक दुर्गा कालिंजर में हजारों पर्यटकों का आना-जाना बना रहता है वहीं पर भगवान बलखंडेश्वर महादेव की विशाल शिवलिंग का मंदिर बना हुआ है जहां पर जाने वाले रास्ता सीढीयो पर दारू की बोतल खाली गिलास सीडीओ पर पड़े हुए हैं पुरातत्व विभाग के संरक्षण में यह कालिंजर दुर्ग पुरातत्व विभाग द्वारा दुर्ग पर जगह-जगह गार्डाे की तैनाती की गई है लेकिन दुर्ग में यह स्थान पर किसी भी गार्ड की तैनाती नहीं की गई यहां पर अक्सर शराबियों का सूर्यास्त होते ही जमावड़ा लग जाता है सीढीयो के अगल-बगल शराब की बोतले एवं डिस्पोजल गिलास बहुत सारे पड़े हुए हैं बीच सीढ़ी पर भी डाल कर चले जाते हैं लेकिन पुरातत्व विभाग द्वारा कोई भी सफाई नहीं की जाती है।
पुरातत्व विभाग की घोर लापरवाही के चलते पूर्व में मंडूक भैरवी की मूर्ति भी खंडित हो चुकी हैं, एवं डिस बोर्ड भी टूट चुका है प्रश्न चिन्ह यह उठता है कि जब पुरातत्व विभाग के कर्मचारी जगह-जगह पर तैनात है तो ऐसी ऐतिहासिक चंदेल कालीन मूर्तियां खंडित क्यों की जा रही हैं इससे यह साबित होता है कि पुरातत्व विभाग संरक्षित करने में नाकामयाब साबित हो रहा है इसका रखरखाव सही ढंग से नहीं कर पा रहा भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण सहायक सत्येंद्र कुमार को फोन लगाया तो फोन भी नहीं उठा।
जबकि कालिंजर दुर्ग के सफाई के लिए सरकार द्वारा समय-समय पर रुपया भी सफाई के लिए आता है स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है की जो लोग पूजा अनुष्ठान करने जाते हैं वह झूठी गिलासों एवं शराब की बोतलों के ऊपर पैर रखकर निकालना पड़ता है एक तरफ प्रधानमंत्री का यह स्वच्छ भारत अभियान के मिशन को पलीता लगा रहा है पुरातत्व विभाग इसका जीता जागता उदाहरण कालिंजर दुर्ग में देखने को मिल रहा है कई बार संरक्षण सहायक को मौखिक रूप से भी बताया गया लेकिन कुछ भी नहीं हुआ ।
Comment List