मानवता की संस्कृति  ही सहकारिता की प्राण है  जो दुनिया के लिए एक मॉडल हो सकता है -नरेंद्र मोदी

भारत की संस्कृति और जीवन शैली का आधार है सहकारिता।  आईसीए के ग्लोबल कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन करते हुए बोले प्रधानमंत्री। 

मानवता की संस्कृति  ही सहकारिता की प्राण है  जो दुनिया के लिए एक मॉडल हो सकता है -नरेंद्र मोदी

स्वतंत्र प्रभात । दयाशंकर त्रिपाठी। 
 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय  ग्लोबल कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन करते हुए कहा की सहकारिता के विकास और उन्नत में मानवता केंद्र बिंदु  होना चाहिए । मानवता की संस्कृति सहकारिता की प्राण है ।

 
प्रधानमंत्री मोदी भारत मंडपम नई दिल्ली के हाल में अंतर्राष्ट्रीय कोऑपरेटिव एलायंस आईसीए के ग्लोबल कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे दुनिया भर के 3000 सहकारी प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि भारत की जीवन शैली में सहकारिता का आधार होता है दुनिया के लिए सहकारिता एक रोल मॉडल हो सकता है जबकि भारत के लिए  सहकारिता ही यहां की संस्कृति का मूल मंत्र  है। हमारे वेदों और उपनिषदों में कहांगया है सभी लोग सूखी रहे और साथ रहे। भारत में तो  सहकारिता परिवार से ही शुरू होती है। 
 
भारतवर्ष में पहली बार आयोजित अंतरराष्ट्रीय कोऑपरेटिव एलाइंस की कॉन्फ्रेंस मैं मोदी ने कहा की आजादी आंदोलन की प्रेरणा में  सहकारिता  ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई महात्मा गांधी के खादी ग्रामोद्योग मैं सहकारिता मूल मंत्र था जिसका विकास बड़े-बड़े ब्रांड से भी आगे निकल गया। किसान आंदोलन की क्रांति सहकारिता में से प्राप्त हुई। 
मानवता की संस्कृति  ही सहकारिता की प्राण है  जो दुनिया के लिए एक मॉडल हो सकता है -नरेंद्र मोदी
 
श्री मोदी ने कहा कि हमारी सरकार ने सहकारिता से समृद्ध के सिद्धांत पर कई कदम उठाए हैं सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए ही भारत सरकार में सहकारिता मंत्रालय का अलग एक मंत्रालय  बनाया गया है। दुनिया के 30 करोड लोग सहकारिता से जुड़े हैं जो पांच में से एक व्यक्ति तथा भारत में भी पांच में से एक व्यक्ति सहकारिता से जुड़ा हुआ है चीनी उद्योग उर्वरक दूध उत्पादन आज के क्षेत्र में सहकारिता महत्वपूर्ण हिस्सेदारी निभा रहा है l
 
हाउसिंग सोसायटी के क्षेत्र में भी काफी अच्छा योगदान और के बैंकिंग क्षेत्र में भी इस समय 12000 करोड रुपए सहकारी बैंकों में लोगों के जमा है। बैंक को रिफॉर्म किया गया है और आरबीआई के दायरे ले आया गया है। बैंक को इंश्योरेंस के भी क्षेत्र में शामिल किया गया और हर खातेदार को₹500000 का इंश्योरेंस  किया गया है। सहकारी समितियां को ज्यादा से ज्यादा मजबूत और आगे बढ़ाएं इसके लिए 2 लाख गांव में सरकारी समितियां का विस्तार किया जा रहा है फार्मर प्रोड्यूसर इकोसिस्टम रिफॉर्म किया जा रहा है मल्टी सोसाइटी एक्ट कॉपरेटिव एक्ट नए मॉडल का  बनाया गया ।जिसमें जिला और राज्य स्तर को जोड़ा गया है l
 
मानवता की संस्कृति  ही सहकारिता की प्राण है  जो दुनिया के लिए एक मॉडल हो सकता है -नरेंद्र मोदी
 
महिला सशक्तिकरण के लिए प्रत्येक सहकारी समितियां में एक डायरेक्टर का होना अनिवार्य किया गया है वंचित और दलित वर्ग के महिलाओं को भी क  समितियां में जगह आरक्षित की गई है 10 करोड़  महिलाएं सेल्फ प्रॉफिट ग्रुप से जुड़ी हुई है ।जिनके लिए  विकास के लिए नौ लाख करोड़ रुपए का सस्ता लोन सरकार ने दिया है ।गांव को सहकारिता से जोड़ने के लिए संचार माध्यम का उपयोग किया जा रहा है 21वीं शताब्दी में हम सभी का कर्तव्य है की छोटे और मजले सहकारी समितियां की मदद करने की योजना बनावे और उत्पादन तथा वितरण में इस योजना का लाभ यह सरकारी समितियां के द्वारा  हो ।जिससे कि इसका सामूहिक लाभ समाज को मिल सके।
 
 
 प्रधानमंत्री मोदी ने कहा की इंटरनेशनल कोऑपरेटिव वैसे तो बहुत अच्छा काम कर रही है लेकिन इस कांफ्रेंस में इस पर भी मंथन होना चाहिए की क्या हम ग्लोबल कोऑपरेटिव संस्थाओं को जो कमजोर देश में अभी आर्थिक रूप से कमजोर  हैं पूरी दुनिया में उनकी आर्थिक मदद के लिए ऐसी संस्था बनाने पर   विचार करना चाहिए जो मदद कर सकेशायद सहकारिता को स्टार्टअप ग्लोबल के साउथ देश की सहकारिता जो काफी कमजोर है मदद कर सकती है।
 
मानवता की संस्कृति  ही सहकारिता की प्राण है  जो दुनिया के लिए एक मॉडल हो सकता है -नरेंद्र मोदी
 
नवाचार करना होगा इसका कॉन्फ्रेंस का महत्व इसी में है हाई ग्रोथ के साथ गरीब की मदद और मानवता की भावना सहकारी आंदोलन का मूल मंत्र होना चाहिए। और इसके विकास के केंद्र बिंदु में रहना चाहिए कानून नियम से संस्थाएं संस्थाएं तो बन सकती हैं मजबूरी हो सकती हैं लेकिन उससे मानवता का कोई लाभ नहीं होगा ।महात्मा गांधी कहा करते थे संख्या के आधार पर  नहीं नैतिकताके आधार  से होनी चाहिए। हाई ग्रोथ जीडीपी के साथ गरीब का कल्याण अधिक से अधिक हो सके विकास अधिक से अधिक हो सके जो मानवता की भावना की प्रबल भावना हो।
 
 भारत की मूल भावना में मानवता के कल्याण की भावना सर्वोच्च रहती है भारत कोरोना के टाइम में भी अर्थशास्त्र के सिद्धांत का पालन नहीं किया गरीब देश में दवा और संसाधन नहीं मिल पा रहे थे भारत में ऐसे देश की मदद किया और उनके साथ खड़ा रहा आर्थिक दृष्टि में पैसा कमाने का भी उसे समय अवसर था लेकिन हमने मानवता के साथ जाना पसंद किया हम आर्थिक दृष्टि को नहीं पसंद किया। यही हमारी संस्कृति है यही हमारी सहकारिता की भावना है ।
 
 मोदी ने आशा व्यक्त की किया 5  दिवसी य सम्मेलन उन तमाम समस्याओं पर विचार मंथन करके कोई ऐसी निष्कर्ष  निकलेगा जिससे सहकारिता का विकास और मानव कल्याण सह अस्तित्व सहभागिता कैसे हो इसका कोई रास्ता निकले उन्होंने इस बात पर खुशी जताई की अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस 2025 का वर्ष दुनिया में सह कारी आंदोलन को मजबूत करेगा और इस सम्मेलन से मजबूती प्रदान होगी। 
 
इस सम्मेलन की अमित शाह मुख्य अतिथि है। र इस कांफ्रेंस की अध्यक्षता भूटान के प्रधानमंत्री ने किया।  वैश्विक सम्मेलन की अध्यक्षता भूटान के प्रधानमंत्री दाशो शेरिंग तोबगे और फिजी के उप प्रधानमंत्री मनोआ कामिकामिका ने स्वागत किया। सम्मेलन की मेजबानी  इफको कर रही है।इस में 100 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे है।

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