मानवाधिकारो को लेकर दिल्ली में PUCL फिर सक्रिय होने की तैयारी में,किया सभा का आयोजन

मानवाधिकारो को लेकर दिल्ली में PUCL फिर सक्रिय होने की तैयारी में,किया सभा का आयोजन

स्वतंत्र प्रभात। एसडी सेठी।

नई दिल्ली। एक अर्से तक शांत बैठे पीपुल्स यूनियन फाॅर सिविल लिबर्टीज (PUCL) संगठन की दिल्ली ईकाई की ओर से एक जनसभा नई दिल्ली स्थित राजेन्द्र भवन मेंआयोजित की गई। सभा में  आम नागरिको के  मानवाधिकारो पर हो रहे कुठाराघात के खिलाफ बडी  संख्या में मौजूद एडवोकेट, समाजिक कार्यकर्ता, प्रोफेसर्स, पत्रकार, स्टूडेंट्स, सांस्कृतिक कर्मी, साहित्यकार, कवि लेखक समेत बडी संख्या में मजदूर संगठनों ने गर्मजोशी के साथ शिरकत की।  सभा में सभी वक्ताओ ने जिक्र किया कि वर्तमान में लोगो के मानवाधिकार, पर किस तरह से विभिन्न एक्ट और कानून को लादकर जुबान पर ताले जडे जा रहे है।

बेकसूर को जेलों में डाला जा रहा है,ऐसे कानूनों के दुरूपयोग पर सरकार के खिलाफ खुलकर अपना विरोध जताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पीयूसीएल दिल्ली इकाई के प्रेसीडेंट एनडी पांचौली  ने की। इसके अलावा पीयूसीएल दिल्ली ईकाई के जर्नल सेकेट्री टी.एस.आहूजा,सेकेट्री,अशोक भारती,अमित श्रीवास्तव ,वर्तिका मैनी त्रिपाठी ,कविता श्रीवास्तव भी मंच पर मौजूद थी। इस अवसर पर पीयूसीएल के महासचिव टी.एस.आहूजा ने पीपुल्स यूनियन फाॅर सिविल लिबर्टीज के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पीपल्स यूनियन फाॅर सिविल लिबर्टीज का गठन अक्टूबर,1976 में उस वक्त हुआ था ,जब 25-26 जून की आधी रात को आपातकाल दौरान तब की पीएम इन्दिरा गांधी ने आम नागरिक के मौलिक अधिकारों को पूरी तरह से कुचल दिया था।कोई भी नागरिक अपने अधिकारो के लिए कोर्ट मे न्याय की गुहार तक नहीं लगा सकता था।उस  वक्त के  तमाम विपक्षी राजनीतिज्ञों,बुद्धिजीवियों,सिविल लिबर्टीज एक्टिविस्ट,स्टूडेंट्स लीडर्स, एडवोकेट, गांधीवादी, और वह सब भी जो तब की कांग्रेस सरकार की नीतियो की अलोचना कर रहे थे,।

उन सभी को जेलों में डाल दिया गया था। सूचना के अधिकार को खत्म कर तमाम अखबारो पर सेंसर लगा दिया गया। इस बावत पीयूसीएल जर्नल सेकेट्री टी एस आहूजा ने कहा कि उनको भी तब स्टूडेंट्स यूनियन के लीडर होने के नाते पुलिस ने  डिटेंन कर जेल में डाल दिया था। वह करीब  आठ महीने तक बेवजह जेल में डाल दिए गए। उसी आपातकाल की ज्यादतियों और हालात  की  खिलाफत में  ही एक प्लेटफार्म की जरूरत महसूस हुई, जिस प्लेटफार्म पर अपने अधिकारों के लिए संघर्ष शुरू किया गया। 17 अक्टूबर,1976 को नई दिल्ली स्थित कंस्टीटयूशनल क्लब में लोकनायक जयप्रकाश नारायण  बतौर फाउंडर मेम्बर और वी एम तारकुंडे के निर्दशन में पीपुल्स यूनियन फाॅर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) का गठन किया गया।

इसके बाद इस संगठन के बैनर तले ही कैद किए गए तमाम नागरिक अधिकारों के संघर्ष की गाथा का आगाज किया गया।पीयूसीएल  यानि पीपुल्स यूनियन फाॅर सिविल लिबर्टीज का गठन  जेपी नारायण की निगरानी में पीयूसीएल के पहले कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस वी एम तारकुंडे, और संयोजक कृष्ण कांत संसद सदस्य को बनाया गया। जेपी नारायण गंभीर रूप से अस्वस्थ होने की वजह से नहीं आ पाए।  जेबी कृपलानी के द्वारा अध्यक्षीय भाषण दिया गया ।वहीं हिंदी कवि भवानी प्रसाद मिश्रा,पूर्व वाईस चांसलर और गुजराती लेखक उमाशंकर जोशी, जर्नालिस्ट बीजी वर्गीस, डाॅ.ऊषा मेहता,सर्वोदय लीडर वसंत नरगोलकर समेत अन्य बुध्दिजीवियों द्वारा सभा  को संबोधित किया गया था। 13 जुलाई , शनिवार 2024 को पीयूसीएल दिल्ली यूनिट के अध्यक्ष एनडी पांचौली की अध्यक्षता में भव्य समारोह का आयोजन किया गया।

सभा में उपस्थित वक्ताओ ने एक स्वर से वर्तमान सरकार द्वारा  अपनाए  जा रहे आपातकाल के दौर को दोहराए जाने का आरोप लगाया। सभी ने तीन नए क्रिमिनल लाॅ पर अपना विरोध जताया।साथ ही वर्तमान की मोदी सरकार द्वारा अपने विरोधियो को ठिकाने लगाने की कवायद भर है। डाॅ. सुनीलम ने इन तीन नए क्रिमिनल लाॅ को लाने का मकसद किसान आंदोलन को दबाने के लिए बताया।  उन्सोहोने सोशल एक्टिविस्ट मेघा पाटकर की कहानी भी इसी संदर्भ में साजिश का हिस्सा बताया। सोशल एक्टिविस्ट विनोद ने 9 अगस्त भारत छोडो की तर्ज पर पंजाब से बडा आंदोलन खडा करने का आह्वान किया। आंदोलन कारी रविंद्र कुमार ने कहा की पीएम मोदी  अभी हाल ही में आस्ट्रिया टूर पर गए। वहां उन्होने जनरल बातचीत मे आस्ट्रेलिया क ई बारा पुकारा । इससे उनकी शिक्षा का पता चलता है।

मोदी सरकार नाहक ही ईडी,सीबीआई, का बेजार इस्तेमाल कर रही है।ये संविधान की हत्या है।सांस्कृतिक कर्मी शुभेन्दू ने किसका लहुलुहान है,कौन मरा बतलाओ तो यारो। गाकर सभा मे मौजूद सभी में ऊर्जा का संचार कर दिया। कृष्ण मुरारी जाटव ने शिक्षा,स्वास्थ्य पर सरकार को चेताया। उन्होने कहा कि स्कूलों में परिवर्तन लाना हो तो सिर्फ सरकारी स्कूल मे पढने वाले को ही सरकारी नौकरी में वरियता देनी चाहिए। अगर सरकारी स्कूल पडा आईपीएस, आईएएस,या अन्य सरकारी नौकरी में होगा तो स्कूल अपने आप ठीक हो जाएगे। शिक्षा का निजीकरण बंद होना चाहिए। वही सरकारी अस्पताल भी सुधर जाएगे जब क्षेत्र के एमएलए, सांसद को सरकारी अस्पताल में ही इलाज करवाना अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए। अस्पतालों का आयुक्त अपने आप ही हो जाएगा।

वहीं वक्ता अनिल कुमार ने कहा कि ब्राह्मण वाद जन्मानुसार और आंबेडकर वाद कर्मानुसार अब नहीं चलेगा। एडवोकेट के एल बुद्ध ने संविधान पर खुल कर अपनी बात रखी। श्याम दत्त तिवारी ने वर्तमान व्यवस्था में 99 प्रतिशत कर्मचारी,अधिकारियों को भ्रष्ट बतलाया। नेताओ का अपना राग-हिस्सा है। इसके अलावा अन्य वक्ताओ में एडवोकेट प्रत्यक्ष उत्पल ,एडवोकेट पूनम, प्रगतिशील महिला मोर्चा, अनिल दूबे ने ,कामरेड राज व्रत आर्य, ने भी अपने बात रखी।  अन्त में सभा की अध्यक्षता कर रहे पीयूसीएल दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष एनडी पांचौली ने सभा की सफलता पर सभी उपस्थित जन अधिकार वादियों का ह्रदय से धन्यवाद किया। उन्होने कहा लोगों में गुस्सा है। सरकार द्वारा जन अधिकारो पर खुलकर वाॅयलेंस किया जा रहा है।सरकार के तीन क्रिमिनल लाॅ को लादने पर भी  विरोध जताया।

सरकारी ऐजेंसियों जिनमें यूएपीए,पीएमएलए, ईडी,सीबीआई, इन्कम टैक्स  का खुलकर दुरूपयोग किया जा रहा है । वहीं मणी पुर मामले में भी सरकार को घेरा जाएगा। उन्होने कहा कि ईडी,सीबीआई, यू एपीए,इंकम टैक्स,पीएमएलए, जैसी ऐजेंसियो सरकार की पाॅवर का हिस्सा बन गई है। इन एजेंसियों का राजनितिक नेताओ, बुद्धिजीवियों.आंदोलन- कारियों,सोशल एक्टिविस्टो के खिलाफ सरकार दुरूपयोग कर रही है। पीयूसीएल नए सिरे से सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ  अपना संघर्ष तेज करेगी।

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