संचारी अभियान सिर्फ कागजो तक सीमिति पैसे का हो रहा है बन्दर बांट 

दस्तक अभियान के तहत क्षेत्र में नही दिख रही आशा

संचारी अभियान सिर्फ कागजो तक सीमिति पैसे का हो रहा है बन्दर बांट 

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कागजों के जरिये पाना चाहते है पहला स्थान, विभाग नही सक्रिय हुआ तो डेगू के मरीजों का लगेगा ताता

मीरजापुर । जिले में इस समय मुख्यमंत्री के आदेशानुसार संचारी अभियान का संचालन किया जा रहा है और संचारी अभियान के तहत दस्तक अभियान को भी चलाया जा रहा है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारी व कर्मचारी केवल कागजों को पूरा करके उच्चाधिकारियों सामने प्रेषित करने का कार्य कर रहे है और पहला स्थान पाने का प्रयास कर रहे है। लेकिन जमीनी स्तर पर कोई कार्य नही किया जा रहा है। दस्तक अभियान के बीते अभी सातदिन होगये है लेकिन विभाग के आशाओं द्वारा न नगर व ग्रामीण इलाको दस्तक देना उचित नही समझा है और कागजों की खाना पूर्ति करके अधिकारियों के सामने पेश कर दिया जा रहा है।
 
सत्ताइस लाख की आबादी वाले जिले में केवल एक गाड़ी व भी आफिस टाइम में शहर में कचहरी से लेकर स्टेशन तक आसानी से देखा जा सकता है यह सिंर्फ खाना पूर्ति करने का कार्य किया जा रहा है यह लापरवाही यही तक नही गांवो व शहर के एन्टीलार्वा का भी छिड़काव नही किया जा रहा है। इसका एक मात्र कारण है कि विभाग के अधिकारियों द्वारा क्षेत्र में दौरा नही किया जा रहा है और न ही मानीटरिंग की जा रही है। छिड़काव न होनेवाले में विकास खण्ड के तीन दर्जन से अधिक गांव मड़िहान के सुगांपाख व हिनौता गांव में पिछले तीन अभियान से आशाको तो छोड़े विभाग के अधिकारी भी जाना उचित नही समझे।
 
इसे यह साबित हो रहा है कि विभाग के अधिकारी प्रोगाम को लेकर किस तरह सक्रिय है। इस समय विशेष सूत्रो से ज्ञात हुआ है कि सीएमओ आफिस मीरजापुर के अधिकांश कर्मचारी व अधिकारी इलाहाबाद जिले के है जो छुट्टी के दिनों में मुख्यालय छोड़कर अपने-अपने घरों में मौज मस्ती में लग जाते है जिससे विभाग के तमाम प्रोग्राम अधर में है जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है अगर यही हालत रही तो आने वाले कुछ दिनों में डेगू के मरीजों से चिकित्सालय पट जायेगे।
 
जागरूकता के कार्य में लगी फेमिली हेल्थ इण्डिया के कर्मचारी का दावा है कि  आने वाले दिनों में कोन विकास खण्ड में डेगू के मरीजों की आने की आशंका है इसका यह सबसे बड़ा कारण है कि विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा न छिड़काव व जागरूकता ही है। इस तरह की लापरवाही को जिले के उच्चाधिकारियों द्वारा क्षम्य नही करना चाहिए।  

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