संजीव-नी।
On
कविता,
जरा आंखों से मुस्कुरा देना तुम।
एहसास दिल में न दबा देना तुम,
होठों से जरा सा मुस्कुरा देना तुमl
ये दिल की लगी है न घबराना,
जरा आंखों से मुस्कुरा देना तुम।
नया रूप है तुम्हारे यौवन का,
एहसासो से महक जाना तुम।
जरा आओ सूरज की रोशनी में,
रातों में चांदनी सा बन जाना तुम,
रातों के टिमटिमाते जुगनू हैं हम,
आंखों का सितारा बन जाना तुम।
हमसे छुपने की अदा बड़ी प्यारी,
सामने तो पलकें झुका देना तुम।
दिलों के एहसास खास हैं हमारे,
सामने सब के मासूम बन जाना तुम।
बड़ी सौगात है दीदार ये तेरा संजीव,
कली से अब गुलाब बन जाना तुम।
संजीव ठाकुर
About The Author
Related Posts
Post Comment
आपका शहर
ये महाकुम्भ बनेगा एकता का महायज्ञः पीएम मोदी।
15 Dec 2024 17:13:05
पीएम बोले। प्रयागराज की पावन धरा पर महाकुम्भ का आयोजन देश की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक पहचान को नए शिखर पर करेगा...
अंतर्राष्ट्रीय
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को रोके सरकार: राजकुमार दुबे
15 Dec 2024 18:16:36
स्वतंत्र प्रभात गोंडा। बांग्लादेश में लगातार हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर रघु बाबा मंदिर के तत्वाधान में एक बैठक...
Comment List