ललई ने पेरियार साहब की परंपरा को आगे बढ़ाया :चंद्रभूषण
स्वतंत्र प्रभात
देवरिया।
ललई सिंह यादव ने पाखंडवाद के प्रतिरोध में दक्षिण भारत के महानतम समाज सुधारक पेरियार रामासामी नायकर जी के रास्ते को अख्तियार करते हुए उनकी 1944 में तमिल में लिखी पुस्तक रामायण पादिरंगल को जिसका अंग्रेज़ी अनुवाद 1959 में द रामायण -ए ट्रू रीडिंग प्रकाशित हुआ था।।हिंदी में 1968 में अनुवादित कर सच्ची रामायण के रूप में प्रकाशित कर तहलका मचा दिया था।
उक्त बातें पेरियार ललई सिंह यादव के स्मृति दिवस पर डुमरी स्थित सपा जनसंपर्क कार्यालय पर आयोजित कार्यक्रम में उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद व्यक्त करते हुए सपा नेता चंद्रभूषण यादव ने व्यक्त करते हुए कहा कि ललई सिंह यादव सामाजिक क्रांति के अद्भुत पुरोधा थे।
सपा नेता ने कहा कि हिंदी संस्करण सच्ची रामायण को छपवाने हेतु न केवल अपनी जमीन बेच खुद का छापखाना लगवाया तो वहीं इसके प्रकाशन के बाद सरकार द्वारा जब्त करने के विरुद्ध हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से मुकदमा लड़ इसे जब्ती से मुक्त करवाया।
इस अवसर पर रामप्यारे यादव, इंद्रासन यादव, संतोष मद्धेशिया, अभिषेक गुड्डू गोंड, अयोध्या वर्मा, रामअशीष यादव, तीर्थराज यादव, चंद्रभान यादव , सुरेश नारायण सिंह, गुड्डू यादव, शैलेंद्र यादव, व्यास यादव, मनोहर यादव आदि मौजूद रहे।
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