संजीव-नी।।
On
मुझ पर फेके गए पत्थर अपार मिलेl
मुझ पर फेके गए पत्थर अपार मिले,
फक्तियाँ,ताने सैकड़ों बन गले का हार मिले।
शौक रखता हूं भीड़ में चलने का मित्रो,
कही ठोकरे,तो कही जीत के पुष्प हार मिले।
जीवन बिता यूँ आपा धापी में ही जरा,
कही मीठे बोल तो कही कर्ण कटु प्रहार मिले।
आनंद तो जीवन में चलते जाना ही हैं
कभी कहीं जीत मिले या गहरी हार मिले।
नए नए मुखौटे लगाये रोज मिलते है लोग,
कई जिंदगी से खुश् तो कई बेजार मिले।
आओ मिलते है गले प्यार और मनुहार से,
ऐसी जिन्दगी,शाम शायद न बार बार मिले।
या फिर मीठी यादो की बारिश में भीग जाये,
चाहत है,ऐसी मधहोश निशा बार बार मिले।
संजीव ठाकुर,
About The Author
Post Comment
आपका शहर
यह तो कानूनी प्रावधानों को घोर उल्लंघन है’, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को पलटा
20 Dec 2024 16:57:48
प्रयागराज। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक नाबालिग से बलात्कार के दो आरोपी को इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दी...
अंतर्राष्ट्रीय
बशर अल-अस्साद- 'सीरिया नहीं छोड़ना चाहता था, लड़ना चाहता था, लेकिन रूसियों ने मुझे बाहर निकालने का फैसला किया
17 Dec 2024 16:30:59
International Desk सीरिया के अपदस्थ नेता बशर असद ने कहा कि एक सप्ताह पहले सरकार के पतन के बाद देश...
Comment List