कुशीनगर : काली माई स्थान की चबूतरा बनाने में स्वयं परिश्रम कर रहे ग्राम प्रधान मुनीब भारती 

यहां स्थान पर स्थित अद्वितीय और महत्वपूर्ण वृक्ष है परास वृक्ष, जो हिंदू धर्म, आयुर्वेद और पर्यावरण के साथ सौंदर्य में रखता है बहुत महत्व

कुशीनगर : काली माई स्थान की चबूतरा बनाने में स्वयं परिश्रम कर रहे ग्राम प्रधान मुनीब भारती 

कुशीनगर। जिले के विकास खंड विशुनपुरा क्षेत्र के ग्राम पंचायत पखनहा गांव से दक्षिण में स्थित सैकड़ों वर्ष पुरानी शक्तिपीठ काली माई मंदिर का चबूतरा निर्माण कार्य ग्राम प्रधान मुनीब भारती द्वारा कारीगर और मजदूरों से कराया जा रहा है, खास बात यह है कि ग्राम प्रधान मुनीब भारती आस्था की देवी काली माई की चबूतरा निर्माण में बड़े ही श्रद्धा और विश्वास से स्वयं ईट मसला की ढुलाई कर रहे है।

 
इस धार्मिक स्थान की पुनीत कार्य के अवसर पर उन्होंने बताया कि काली माई की यह स्थान सैकड़ों वर्ष पुरानी है। यहां दूरदराज से श्रद्धालु आते हैं और जो मन से पूजा पाठ करते हैं उनके मन की मुराद भी काली माई निश्चित पूरी करती है।
 
उन्होंने आगे बताया कि औषधीय गुणवत्ता वाली परास का वट वृक्ष के साथ पीपल वट आपस में जुड़ा हुआ है, परास वट वृक्ष के बारे में बताया कि ये वट बहुत कम जगह पर देखने को मिलता है, इस वट के बारे में बताया कि परास वृक्ष  या पारस पीपल एक पवित्र और औषधीय वृक्ष है, जिसका महत्व हिंदू धर्म, आयुर्वेद और पर्यावरण में बहुत अधिक है।
 
हिंदू धर्म में परास वट के महत्व के बारे में बताया कि पवित्र वृक्ष परास वृक्ष को हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है। भगवान विष्णु का निवास परास वृक्ष को भगवान विष्णु का निवास स्थान माना जाता है। जो वट पूजा और आराधना परास वृक्ष की पूजा और आराधना की जाती है। परास वट आयुर्वेद में भी महत्व रखता है जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में बहुत लाभकारी होता है।
 
पर्यावरण में महत्व के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि परास वट वायु को शुद्ध करता है। जल संरक्षण में मदद करता है। मिट्टी की उर्वरता शक्ति को  बढ़ाता है। परास वट के कई महत्व हैं जैसे सौंदर्य वर्धक, परास वृक्ष के पत्ते कीटनाशक होते हैं। परास वृक्ष के फल और पत्ते आर्थिक महत्व रखते हैं। परास वृक्ष एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण वृक्ष है, जिसका महत्व हिंदू धर्म, आयुर्वेद और पर्यावरण के साथ सौंदर्य में बहुत अधिक महत्व रखता है।

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