आशाओ की नियुक्ति प्रक्रिया में जमकर की गई मानकों की अनदेखी बहुओं के जगह बेटी की नियुक्ति

आशा नियुक्ति से लेकर वेतन तक के खेल में सीएचसी तुलसीपुर अधीक्षक की चल रही तानाशाही

आशाओ की नियुक्ति प्रक्रिया में जमकर की गई मानकों की अनदेखी बहुओं के जगह बेटी की नियुक्ति

सूत्रों की माने तो साम दाम दण्ड प्रक्रिया अपना कर अपना पक्ष मजबूत करने को लेकर स्वास्थ कर्मियों को किया जाता मजबूर

विशेष संवाददाता मसूद अनवर की रिपोर्ट 

तुलसीपुर/बलरामपुर

जहां योगी सरकार उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने को लेकर लग़ातर प्रयासरत है और इसके सम्बन्ध में शासनादेशों और नियमों के पालन कराने का दावा करती है विभागीय भ्रष्टाचार पर पूर्ण अंकुश लग चुका है। और पारदर्शी नियमों का पालन लगातार करवाया जा रहा है। लेकिन तस्वीरे झूठ नही बोलती हैं। और सच सामने आ ही जाता है ।

ऐसे में जब पटल से पर्दा उठता है तो तमाम ऐसे मामले प्रकाश में आते है जिनमे विभागीय भ्रष्टाचार का बोलबाला होता है । जिसमे कर्म कोई करता है और सजा दूसरे को मिलती है ।वही जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा अपने सहयोगियों से वसूली करवाने का खेल अक्सर होता रहता है लेकिन जब कोई मामला फंसता है तो जांच व कार्यवाही के नाम पर अधीनस्थ के ऊपर गाज गिरती है और सम्बन्धित विभागीय अधिकारी इसमें स्वयं बच जाते हैं ।

अब बात करते हैं स्वास्थ्य विभाग बलरामपुर के तुलसीपुर की जंहा भ्रष्टाचार उजागर होने पर अधीनस्थ कर्मचारी पर ही गाज गिरती है और मुख्य अधिकारी साफ बच जाता है और मामला जांच व कार्यवाही के नाम रफादफा हो जाता है और जांच व कार्यवाही पटल पर चलती है ऐसा ही एक बार फिर बड़ा मामला स्वास्थ विभाग का उभरा है जंहा सीएचसी तुलसीपुर में बिना मानक और नियमो के खुलेआम शासनादेश की धज्जिया उड़ा आशाओ की नियुक्ति में बड़ा खेल किया जाता हैl

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और सारे नियमो को ताक पर रख आशा नियुक्ति में बड़ा खेल हो जाता है ।जी हां मामला जनपद बलरामपुर के स्वास्थ विभाग से सम्बंधित है। जंहा समुदायिक स्वास्थ केंद्र तुलसीपुर के दबंग अधीक्षक डा सुमन्त सिंह चौहान के द्वारा आशाओ की नियुक्ति प्रक्रिया होती है और तमाम ऐसे आशाओ की नियुक्ति होती है जो बहु न हो कर परिवार के माँ और बेटियां होती है अगर सूत्रों की माने तो वह इनके हर अच्छे व बुरे कर्मों की साहयोगी भी है कि बात सामने आरही है जबकि शासनादेश की माने तो आशा के नियुक्ति में बहुओ के होने का प्रावधान है लेकिन उनके स्थान पर बेटियों की नियुक्ति कैसे और क्यो जो एक बड़ा सवाल है ।

जिसमे उर्मिला गुड़िया प्रिया माँ बेटी एक ही घर की है दूसरे में मंजू व प्रियंका एक ही घर की कैसे हुई नियुक्ति व कैसे कर रही नौकरी। वही इस प्रकरण में सीएचसी अधीक्षक के निजी प्रेक्टिस व निजी दवा बिक्री में साहयोगी बन खुलेआम प्रसूताओं को इनके दवा बिक्री की प्रमुख सूत्राधार है कि बात सामने आरही है ।

जिसमे चहेती व चिन्हित आशाओ के द्वारा मरीजो से अक्सर अवैध वसूली का खेल होने की बात से इनकार नही किया जा सकता है और यह खेल सीएचसी तुलसीपुर में कोई नया नही काफी दिनों से चल रहा लेकिन दबंगई, पैसा और राजनीतिक संरक्षण के चलते लोगो मे काफी दहशत देखा जा रहा और सब कुछ जानकर भी लोग सामने आने से डरते है ।जिसकी अगर किसी अन्य एजेंसी से प्रशासन जांच करवाएं तो बड़ा खुलासा होने निश्चित है जिसमे इस सीएचसी के कई ऐसे बड़े राज है जो कब्र में दफन है उन सब का खुलासा होगा।

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