जमीन बैनामा के मामले में फर्जीवाड़ा आया सामने, जीजा ने साली को अनुसूचित जाति बताकर करवा दिया बैनामा, खुद बन बैठा गवाह

जमीन बैनामा के मामले में फर्जीवाड़ा आया सामने, जीजा ने साली को अनुसूचित जाति बताकर करवा दिया बैनामा, खुद बन बैठा गवाह

अंबेडकरनगर। अकबरपुर रजिस्ट्री दफ्तर कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिली भगत से अनुसूचित जाति की जमीन को ओबीसी जाति से संबंध रखने वाली महिला को बैनामा कर दिया गया है।
 विक्रेता को भी बैनामा के दौरान विश्वास में लेते हुए अनुसूचित जाति के महिला को बैनामा करने की बात बताई गई थी।विक्रेता ने भी अपने साथ जालसाजी होने की बात बताई है। अंबेडकर नगर से लेकर कोलकाता तक इस जलसाजी में कई लोग शामिल हैं। दस्तावेज लेखक समेत गवाह भी इस पूरे जालसाजी में शामिल हैं।  पूरा मामला अकबरपुर रजिस्ट्री दफ्तर से संबंधित है।
 
अकबरपुर तहसील क्षेत्र के ग्राम औरंगनगर के निवासी हरीराम पुत्र नौहर की जमीन पहितीपुर रोड से मंशापुर जाने वाले मार्ग पर  गाटा संख्या 1124 से दो बिस्सा जमीन को पहले तहसील क्षेत्र के ही विश्रामपुर थाना बेवाना निवासी अर्पणा राय पत्नी संतोष राय ने एग्रीमेंट पर लिया था। एग्रीमेंट धारक पिछडी जाति से होने के कारण बैनामा करने के लिए जिलाधिकारी से परमिशन के लिए गया लेकिन किन्हीं कारणों से जमीन विक्रय का परमिशन नहीं बन पाया
 
तो एग्रीमेंट धारक के पति के द्वारा जालसाजी यही से शुरू की गई। आपको बता दें अर्पणा राय के पति संतोष राय पेसे से झोलाछाप डॉक्टर हैं जिनके द्वारा विक्रेता से जालसाजी करते हुए बताया गया कि बंगाल की एक अनुसूचित जाति की महिला हमारे पास है आप उसको बैनामा कर दीजिए। बैनामा धारक को भी पैसे की आवश्यकता थी उसके द्वारा पाँच लाख सत्तावन हजार रुपये में बैनामा रजिस्ट्री दफ्तर पहुंचकर 4 मार्च 2024 को क्रेती रुपाली विश्वास के पक्ष में कर दिया गया।
 
बैनामा धारक को बाद में पता चला कि जिस महिला के नाम उसने अपनी भूमि को बैनामा किया है वह महिला संतोष राय की साली लगती है जो पिछड़ी जाति से है। आखिर इतना बड़ा फर्जीवाड़ा हो गया जिसकी भनक रजिस्टार  को नही हो पाई। वही इस बैनामे में एग्रीमेंट धारक के पति संतोष राय खुद गवाह के रूप में है। जिनके द्वारा इतना बड़ा जालसाजी का चक्रव्यूह रचा गया।
 
आपको बता दे अकबरपुर रजिस्ट्री दफ्तर में लगातार फर्जीवाड़ा का मामला सामने आते रहते है। एक मामला ठंढे बस्ते में नही पहुचता कि दूसरा मामला सामने आ जाता है। इस जालसाजी में दस्तावेज लेखक श्री राम राजभर व दूसरे गवाह तहसील क्षेत्र के औरंग नगर निवासी अरुण कुमार पुत्र हरिराम शामिल हैं।
 

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